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Naveen Mani Tripathi's Blog – June 2017 Archive (13)

दोहे

सुंदर चितवन उर बसे ,सुंदर सुंदर नैन ।

मृगनैनी को देखकर खोया खोया चैन ।।



अलक छटा बिखरी हुई यौवन पर मधुमास ।

मेघ तृप्त करने चला शुष्क धरा की प्यास ।।



श्वास श्वास में दीर्घता ,अग्नि हुई उच्छ्वास ।

दहकी सारी देह है ,प्रियतम तेरे पास ।।



ज्वाला मुखरित जब हुई,प्रणय बना उन्माद ।

प्रिय के स्वर करते गए,जीवन भर अनुनाद ।।



प्रियतम का है आगमन ,मन में हाहाकार ।

दर्पण पर होने लगी ,प्रश्नों की बौछार ।।



क्षण प्रतिक्षण वह…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on June 28, 2017 at 4:00pm — 6 Comments

गज़ल- कैसे कहूँ मै आप से मुझको गिला नहीं

देखिए ग़ज़ल हुई क्या ??



*221 2121 1221 212*



कैसे कहूँ मैं आपसे मुझको गिला नहीं ।

चेहरे से क्यूँ नकाब अभी तक उठा नहीं ।।



भूखा किसान शाख से लटका हुआ मिला ।।

शायद था उसके पास कोई रास्ता नहीं ।।



नेता को चुन रहे हैं वही जात पाँत पर ।

जिसने कहा था जात मेरा फ़लसफ़ा नहीं ।।



मजबूरियों के नाम पे बिकता है आदमी ।

तेरे दयार में तो कोई रहनुमा नहीं ।।



मुझसे मेरा ज़मीर नहीं माँगिये हुजूर ।

इसकी ही वज़ह से मैं अभी तक मरा नहीं… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on June 24, 2017 at 8:33pm — 10 Comments

ग़ज़ल - तेरी महफ़िल में दीवाने रहेंगे

1222 1222 122



शमा के पास परवाने रहेंगे ।

तेरी महफ़िल में दीवाने रहेंगे ।।



तुम्हारी शोखियाँ कातिल हुई हैं ।

तुम्हारे खूब अफ़साने रहेंगे ।।



बना देंगे नया इक ताज़ हम भी ।

हमें जब हाथ कटवाने रहेंगे ।।



तुम्हारी बज्म में आता रहूँगा ।

खुले जब तक ये मैखाने रहेंगे ।।



जिसे है फिक्र दौलत की नहीं अब ।

उसी के साथ याराने रहेंगे ।।





तुम्हारी शोखियाँ कातिल हुई हैं ।

तुम्हारे खूब अफ़साने रहेंगे ।।



बड़ा… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on June 24, 2017 at 11:15am — 2 Comments

ग़ज़ल ---झुकी झुकी सी नज़र में देखा

-----**** ग़ज़ल ***------



121 22 121 22 121 22 121 22



झुकी झुकी सी नज़र में देखा ,

कोई फ़साना लिखा हुआ है ।।

ये सुर्ख चेहरा बता रहा है

के दिल का मौसम जुदा जुदा है ।।



------------------------------------------------



फ़िजा की सूरत बदल रही है ,

अजीब मंजर है आशिकी का ।।

हैं मुन्तजिर ये सियाह रातें ,

वो चांद कितना ख़फ़ा खफ़ा है ।।



-----------------------------------------------



तमाम शिकवे गिले हुए हैं ,

तमाम… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on June 21, 2017 at 1:49pm — 15 Comments

52 शेर की ग़ज़ल।

-------ग़ज़ल -------

2122 1212 22

बात तुम भी खरी नही करते ।

काम कोई सही नही करते ।



चोट दिल पर लगी है फिर उसके ।

काम ये मजहबी नहीं करते ।।



जब से अफसर बना दिया कोटा ।

बात अच्छी भली नहीं करते ।।



दोस्तों की किसी तरक्की में ।

यूँ मुसीबत खड़ी नहीं करते ।।



जिंदगी पर यकीन है जिनको । वो कभी खुदकुशी नहीं करते ।।



कुछ तो खुन्नस बनी रही होगी ।

बेसबब बेरुखी नहीं करते ।।



पेंग गर प्यार की बढ़ानी है ।

प्यार में… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on June 18, 2017 at 12:00am — 4 Comments

गज़ल

-----ग़ज़ल -----



*2122 1212 22*



हाथ काफी मले गए हर सू ।

कुछ सयाने गए छले हर सू ।।



बात बोली गई दीवारों से ।

खूब चर्चे सुने गए हर सू ।।



आग का कुछ पता न् चल पाया ।

बस धुंआ ही धुंआ उठे हर सू ।।



इक तरन्नुम में पढ़ ग़ज़ल मेरी ।

ये ज़माना तुझे सुने हर सू ।।



जुर्म की हर निशानियाँ कहतीं ।

अश्क़ यूं ही नहीं बहे हर सू ।।



वह मुहब्बत में डूबती होगी ।

ढूढ़ दरिया में बुलबुले हर सू ।।



रात मिलकर गई है… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on June 16, 2017 at 2:01pm — 2 Comments

ग़ज़ल --बेवफ़ा मुझको कहो मत मैं अता हो जाऊंगा

2122 2122 2122 212



मैं तेरे अहले चमन का सिलसिला हो जाऊंगा।

बेवफा मुझको कहो मत मैं अता हो जाऊंगा ।।



कुछ तेरी फ़ितरत है ऐसी कुछ मेरी आवारगी ।

वस्ल के आने पे तेरा मयकदा हो जाऊंगा ।।



घुघरूओं की ये सदायें छू रही हैं रूह को ।

मैं तेरी महफ़िल में आकर बाखुदा हो जाऊंगा।।



अब मेरे हालात पर नज़रे इनायत कीजिये ।

आपकी इस जिंदगी का तज्रिबा हो जाऊंगा ।।



बज़्म में लाखों दीवाने आ गए हैं आपके ।

कौन कहता आपका मै रहनुमा हो जाऊंगा… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on June 15, 2017 at 1:00am — No Comments

गज़ल

1222 1222 122

उसे सर पर बिठाया जा रहा है ।

किसी पे जुर्म ढाया जा रहा है ।।



उन्हें मालूम है अपनी तरक्की ।

जहर को आजमाया जा रहा है ।।



चलेगा किस तरह गर्दन पे ख़ंजर ।

तरीका सब सिखाया जा रहा है ।।



जो नफरत में चलाता रोज पत्थर ।

उसे अपना बताया जा रहा है ।।



जो चारा खा चुके हैं जानवर का ।

उन्हें नेता बुलाया जा रहा है ।।



वो गायें काटते हैं वोट खातिर ।

नया मजहब चलाया जा रहा है ।।



जे एन यू में है गद्दारी का… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on June 14, 2017 at 12:30am — 6 Comments

ग़ज़ल

122 122 122 122

तेरे अक्स के ख्वाब आते रहेंगे ।

मुहब्बत की रस्मे निभाते रहेंगे ।।



ये जुल्फों के साये में तेरे तबस्सुम ।

मुझे उम्र भर तक सताते रहेंगे ।।



नज़ारों से लूटा गया हूँ बहुत मैं ।

मगर फिक्र दिल से उडाते रहेंगे ।।



न ठुकरा सकोगी हमारी मुहब्बत ।

यकीनन तुझे याद आते रहेंगे ।।



बड़ी आरजू थी मुलाकात होगी ।

खबर क्या थी चिलमन गिराते रहेंगे ।।



तेरी खुशबुओं को बिखेरा करें वो ।

हवाओं से चर्चा चलाते रहेंगे… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on June 13, 2017 at 12:30am — 13 Comments

ग़ज़ल -फिक्र बनकर तिश्नगी अक्सर सवर जाती है रोज़ ।

2122 2122 2122 212(1)







फिक्र बनकर तिश्नगी अक्सर सँवर जाती है रोज़ ।

उस दरीचे तक मेरी सहमी नज़र जाती है रोज़ ।।



मुन्तजिर आंखे गवाही दे रही हैं इश्क़ की ।

आइने के सामने कितना निखर जाती है रोज़ ।।



सिम्त शायद है ग़लत उलझे हुए हालात हैं ।

है मुसीबत बदगुमां घर में ठहर जाती है रोज़ ।।



जिंदगी के फ़लसफ़े में है बहुत आवारगी ।

ठोकरें खाने की ख़ातिर दर बदर जाती है रोज़ ।।



यह उमीदों का परिंदा भी उड़े तो क्या उड़े ।

बेरुखी तो बेसबब… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on June 12, 2017 at 2:28pm — 6 Comments

ग़ज़ल

*1212 1212 1212 1212*

सितम की आरजू लिए है वक्त आजमा रहा ।

जो हो सका नहीं मेरा वो रास्ता बता रहा ।।



अजीब दास्ताँ है ये न् कह सका न् लिख सका।

ये हाथ मिल गए मगर वो फासला बना रहा ।।



है हसरतों की क्या ख़ता उन्हें जो ये सजा मिली ।

मैं कातिलों का रात भर गुनाह देखता रहा ।।



बड़ी उदास शब दिखी न् माहताब था कहीं ।

वो कहकशां सहर तलक हमें ही घूरता रहा ।।



जो सिलसिला चला नही उसी का जिक्र फिर सही ।

धुँआ उठा बहुत मगर न आग का पता रहा… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on June 11, 2017 at 5:32pm — 4 Comments

गज़ल

।। 2122 2122 2122 212 ।।



पूछिये मत क्यो हमारी शोखियाँ कम पड़ गईं ।

जिंदगी गुजरी है ऐसे आधियाँ कम पड़ गईं ।।



भूंख के मंजर से लाशों ने किया है यह सवाल ।

क्या ख़ता हमसे हुई थी रोटियां कम पड़ गईं ।।



जुर्म की हर इंतिहाँ ने कर दिया इतना असर ।

अब हमारे मुल्क में भी बेटियां कम पड़ गईं ।।



मान् लें कैसे उन्हें है फिक्र जनता की बहुत ।

कुर्सियां जब से मिली हैं झुर्रियां कम पड़ गईं ।।



इस तरह बिकने लगी है मीडिया की शाख भी ।

जब लुटी… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on June 7, 2017 at 11:59pm — 6 Comments

ग़ज़ल --ख़ुदा की रहमतें उनको बहुत लाचार करतीं हैं

1222 1222 1222 1222



वो अक्सर बेरुखी से वक्त का दीदार करती हैं ।।

हवाएं इस तरह से जिंदगी दुस्वार करती हैं ।।



न जाने क्या मुहब्बत है हमारी हर तरक्की से ।

हज़ारों मुश्किलें हम से ही आंखें चार करती हैं ।।



बड़ी चर्चा है वो बदनामियों से अब नहीं डरता ।

है उसकी हरकतें ऐसी दिलों में ख्वार करतीं हैं ।।



जिन्हें खुद पर भरोसा ही नही रहता है मस्जिद में ।

खुदा की रहमतें उनको बहुत लाचार करती हैं ।।



न् जाओ तुम कभी मतलब परस्तों के इलाके में… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on June 3, 2017 at 3:04pm — 5 Comments

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