For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

*1212 1212 1212 1212*
सितम की आरजू लिए है वक्त आजमा रहा ।
जो हो सका नहीं मेरा वो रास्ता बता रहा ।।

अजीब दास्ताँ है ये न् कह सका न् लिख सका।
ये हाथ मिल गए मगर वो फासला बना रहा ।।

है हसरतों की क्या ख़ता उन्हें जो ये सजा मिली ।
मैं कातिलों का रात भर गुनाह देखता रहा ।।

बड़ी उदास शब दिखी न् माहताब था कहीं ।
वो कहकशां सहर तलक हमें ही घूरता रहा ।।

जो सिलसिला चला नही उसी का जिक्र फिर सही ।
धुँआ उठा बहुत मगर न आग का पता रहा ।।

शजर शजर में गुफ्तगूं है बगवां को क्या खबर ।
बगावतों का दौर है वो कारवां चला रहा ।।

खुदा समझ सका न् वो अलग हुईं इबादतें ।
है मजहबी दयार ये खुदा जुदा जुदा रहा ।।

नज़र को फेर हमनशीं गुजर गया करीब से ।।
बदल गए मिज़ाज सब वफ़ा का सर झुका रहा ।


हवा ने रुख बदल दिया तो आग भी सुलग गई ।
वतन का खैर ख्वाह ही वतन को अब जला रहा ।।

हजार घर उजड़ गए तमाम लाश जल गयीं ।
सियासतों के नाम पर वो मसअला खड़ा रहा ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
कॉपी राइट

Views: 447

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 13, 2017 at 10:17am
आदरणीय आरिफ़ साहब तहे दिल से शुक्रिया ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on June 13, 2017 at 10:16am
आदरणीय गुरुप्रीत जी आपके स्नेह के लिए आभारी हूँ ।
Comment by Gurpreet Singh jammu on June 13, 2017 at 10:00am

आदरणीय नवीन जी बहुत अच्छी ग़ज़ल लगी आपकी,,, इस बह्र में बिना ज़्यादा अक्षरों  का वज़न गिराए जिस तरह से आप ने इसे निभाया है ,,वो बहुत ही प्रभावित क्र रहा है,, बहुत बधाई आपको 

Comment by Mohammed Arif on June 11, 2017 at 10:00pm
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, बहुत अच्छी ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें । कुछ अशुद्धियाँ हैं जैसे-आरजू=आरज़ू,आजमा=आज़मा,वक्त=वक़्त,सजा=सज़ा,कातिलों=का क़ातिलों,नही=नहीं,जिक्र=ज़िक्र,खबर=ख़बर,बगावतों=बग़ावतों,खैर ख्वाह=ख़ैर ख़्वाह इन्हें दुरुस्त कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं हम कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२जब जिये हैं दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं हम कान देते आपके निर्देश हैं…See More
5 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service