For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Samar kabeer's Blog – May 2015 Archive (7)

वफ़ाओं का अपनी सिला चाहता हूँ

फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन



वफ़ाओं का अपनी सिला चाहता हूँ

ख़रीदो मुझे मैं बिका चाहता हूँ



मिरी ज़िन्दगी तो हुई ख़त्म,बेटे

मैं तेरे लिये सोचना चाहता हूँ



मुझे रोक लेती हैं मासूम कलियाँ

मैं ख़ुद से अगर भागना चाहता हूँ



मुझे उनकी ख़ुश्बू से महकाए रखना

मैं क्या तुझ से बाद-ए-सबा चाहता हूँ



लगाते हो क्यूँ दैर-ओ-मस्जिद प ताले

ख़ुदा का हर इक घर खुला चाहता हूँ



छियालीस डिग्री से ऊपर है गर्मी

मैं सावन की ठंडी हवा… Continue

Added by Samar kabeer on May 28, 2015 at 11:00pm — 24 Comments

ग़ज़ल बतौर-ए-ख़ास ओबीओ की नज़्र

फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन



कहूँ,ओबीओ से में क्या चाहता हूँ

ग़ज़ल की सुहानी फ़ज़ा चाहता हूँ



यही आरज़ू लेके आया हूँ यारो

मैं इस मंच को लूटना चाहता हूँ



ये समझो मुझे कुछ भी आता नहीं है

मैं सब कुछ यहाँ सीखना चाहता हूँ



जुड़े भाई'मिथिलेश' ही सब से पहले 

मैं उनसे ग़ज़ल की अदा चाहता हूँ



ये'गिरिराज' तो मेरे हम अस्र ठहरे

मैं उनसे भी लेना दुआ चाहता हूँ



बहुत कुछ मुझे उनसे करना है साझा

मैं 'सौरभ' से इक दिन मिला चाहता…

Continue

Added by Samar kabeer on May 24, 2015 at 6:30pm — 67 Comments

ख़ुद ही देखी है किसी को न दिखाई मैंने

फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन/फ़इलुन



ख़ुद ही देखी है किसी को न दिखाई मैंने

तेरी तस्वीर तसव्वुर से बनाई मैंने



ख़ाक पड़ जाएगी कितने ही हसीं चहरों पर

आईने से जो कभी गर्द हटाई मैंने



मुझको पाबंदियाँ ओरों की गवारा ही नहीं

ख़ुद ही अपने लिये ज़ंजीर बनाई मैंने



अपनी ग़ज़लों से संवारूँगा ये बज़्म-ए-हस्ती

उम्र सारी इसी चक्कर में गँवाई मैंने



अर्श हिलता है ,ज़मीं काँपने लगती है,यही

आह-ए-मज़लूम की तासीर बताई मैंने



वो भी बैज़ार नज़र… Continue

Added by Samar kabeer on May 17, 2015 at 11:19am — 39 Comments

ग़ज़ल :-गले प रख के वो तलवार बोले

बह्र :- मफ़ाइलुन मफ़ाइलुन फ़ऊलुन



गले प रख के वो तलवार बोले

वही कहना जो ये सरकार बोले



हमें बर्बाद कर देगा तिरा सच

मिरी बस्ती के इज़्ज़तदार बोले



हमारा ख़ानदानी वस्फ़ है ये

हमेशा जानिब-ए-हक़दार बोले



कई नामों से हमको जानते हैं

कोई तूफ़ाँ,कोई मंझधार बोले



बुराई पीठ के पीछे करेगा

मिरे मुँह पर ज़रा इक बार बोले



है मुझ को आरज़ू उस हमसफ़र की

जो वीरानों को भी गुलज़ार बोले



क़ुसूर इन शाईरों का भी नहीं जी

वही… Continue

Added by Samar kabeer on May 13, 2015 at 10:44pm — 22 Comments

ग़ज़ल :-लुक़्मा समझ के हम को मज़ेदार खा गई

बह्र :- मफ़ऊल फ़ाइलात मफ़ाईल फ़ाइलुन



लुक़्मा समझ के हम को मज़ेदार खा गई

दुनिया है एक डायन-ए-बदकार खा गई



निकला जो चाँद मैंने ये समझा कि आप हैं

धोका मेरी नज़र ये कई बार खा गई



पहले तो इसने उनको ज़मींदार कर दिया

फिर ये ज़मीन सारे ज़मींदार खा गई



लिल्लाह अब ये ज़ुल्म-ओ-सितम रोक दीजिये

नफ़रत की आग कितने ही घर बार खा गई



जो कह रहा हूँ कोई नई बात तो नहीं

रोटी की भूक सेकड़ों फ़नकार खा गई



कपड़े ही सिल सके हैं ,न दीपक… Continue

Added by Samar kabeer on May 10, 2015 at 1:54pm — 17 Comments

नसरी नज़्म :- तन्क़ीद निगार

तनक़ीद निगार

अच्छा भी,बुरा भी

अच्छा इसलिये कि वो

हमें हमारी ख़ामियाँ बताता है

हमें सही सम्त (दिशा) देता है

लेकिन जब यही तनक़ीद निगार

प्रोफ़ेश्नल,कारोबारी,हो जाता है

तब ये तख़लीक़ के

महासिन नहीं देखता

उस तख़लीक़ में

धड़कता दिल नहीं देखता

उसकी नज़र सिर्फ़ और सिर्फ़

ऐब तलाश करती है

उस तख़लीक़ में

जो शाईर की,कवि की,

लेखक की,मुसन्निफ़ की

अपनी जागीर है

वो इसमें ऐब निकालकर,कीड़े निकालकर

ख़त्म कर देता है

उस महल को जो ख़यालों… Continue

Added by Samar kabeer on May 4, 2015 at 11:12pm — 15 Comments

ग़ज़ल :- ज़िन्दगी जोड़ने घटाने में

फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन/फ़ेलान



ज़िन्दगी जोड़ने घटाने में

आगए मौत के दहाने में



सब ही सुनते हैं शौक़ से उसको

ज़िक्र तेरा हो जिस फ़साने में



गालियाँ खाके भी निगलते रहे

हीरे मोती थे उसके खाने में



उसकी आँखो का वो फ़ुसूं,तौबा

आगए हम भी वरग़लाने में



ये उसी नस्ल के तो हैं,जिनका

नाम है हड्डियाँ चबाने में



जैसे हो वैसे क्यूँ नहीं दिखते

मसलहत क्या है मुस्कुराने में



आप ईमान लाए हो भाई

फिर भी तकरार… Continue

Added by Samar kabeer on May 2, 2015 at 10:31am — 24 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service