For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख़ुद ही देखी है किसी को न दिखाई मैंने

फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन/फ़इलुन

ख़ुद ही देखी है किसी को न दिखाई मैंने
तेरी तस्वीर तसव्वुर से बनाई मैंने

ख़ाक पड़ जाएगी कितने ही हसीं चहरों पर
आईने से जो कभी गर्द हटाई मैंने

मुझको पाबंदियाँ ओरों की गवारा ही नहीं
ख़ुद ही अपने लिये ज़ंजीर बनाई मैंने

अपनी ग़ज़लों से संवारूँगा ये बज़्म-ए-हस्ती
उम्र सारी इसी चक्कर में गँवाई मैंने

अर्श हिलता है ,ज़मीं काँपने लगती है,यही
आह-ए-मज़लूम की तासीर बताई मैंने

वो भी बैज़ार नज़र आने लगे अब तो "समर"
छोड़ दी जिनके लिये सारी ख़ुदाई मैंने

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1092

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on January 15, 2019 at 11:25am

जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by राज़ नवादवी on January 15, 2019 at 12:42am

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. बहुत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने. दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ. सादर. 

Comment by Samar kabeer on January 14, 2019 at 12:01pm

जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Ravi Shukla on January 14, 2019 at 10:28am

वाह वाह बहुत खूब आदरणीय समर साहब बहुत अच्छी ग़ज़ल आपने कही शेर दर शेर दिली मुबारकबाद कुबूल करें मुझे यह बहर व्यक्तिगत तौर पर बहुत पसंद आती है इसलिए भी यह गजल अच्छी लगी मकता भी कमाल का हुआ है पुनः बधाई पेश करता हूँ 

Comment by Samar kabeer on January 13, 2019 at 5:43pm

जनाब अनीस शैख़ साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Md. Anis arman on January 13, 2019 at 4:21pm

क्या खूबसूरत ग़ज़ल कही है सर आपने मज़ा आ गया ,पढ़ के ऐसा लग रहा है मानो कोई हसीन लड़की सज के सामने आ गई हो .ग़ज़ल को सजाया है आपने |

Comment by Samar kabeer on May 27, 2015 at 10:40pm
जनाब शिज्जु "शकूर" जी,आदाब,आपकी शिर्कत ग़ज़ल में बहुत देर से हुई ,मैंने आपका बहुत इन्तिज़ार किया,ख़ैर देर आयद दुरुस्त आयद ,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ,मेरी एक ग़ज़ल ओबीओ ने चेक आउट की हुई है,हैरत है आपकी नज़र अभी तक उस पर नहीं पड़ी ।
Comment by Samar kabeer on May 27, 2015 at 10:34pm
जनाब सौरभ पांडे जी,आदाब,एक क़लमकार को दूसरा क़लमकार ही समझ सकता है,आपकी शिर्कत ने ग़ज़ल का मान बढ़ा दिया,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 27, 2015 at 8:40pm

जनाब समर कबीर साहब आपकी उस्तादाना ग़ज़ल की जितनी तारीफ़ करूँ कम है दिली दादो मुबारकबाद कुबूल फरमायें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 27, 2015 at 8:00pm

आदरणीय समर साहब,  क़ामयाब ग़ज़ल हुई है.

अर्श हिलता है ,ज़मीं काँपने लगती है,यही
आह-ए-मज़लूम की तासीर बताई मैंने
निश्शब्द  हूँ, साहब !

लेकिन इस खुद्दारी पर क्यों न कोई निसार हो जाए ?

मुझको पाबंदियाँ औरों की ग़वारा ही नहीं
खुद ही अपने लिए ज़ंज़ीर बनाई मैंने..
वाह !


लेकिन मुलामीयत से जो छू गया और अहसास लगातार झूमती लहरें बना झकझोर रहा है, वो ग़ज़ल का मतला है. कितना अपना-अपना सा है ! इसी सोच की बिना पर कभी मैंने भी कहा था --

सोचता हूँ जिसे वही हो क्या ?
डायरी से निकल गयी हो क्या !

ग़ज़ल खूब हुई है..
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. जयहिन्द रायपुरी जी,पहली बार आपको पढ़ रहा हूँ.तहज़ीब हाफ़ी की इस ग़ज़ल को बाँधने में दो मुख्य…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सादर अभिवादन तुम्हारी ख़्वाहिशों से याद आया हमें कुछ तितलियों से याद आया मैं वो सब भूल जाना चाहता…"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service