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सालिक गणवीर's Blog – May 2021 Archive (2)

चल आज मिल के दोनों.....( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

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चल आज मिल के दोनोंं क़सम ये उठाएँ हम

तुम हमको भूल जाओ तुम्हें भूल जाएँ हम (1)

इह तरह तो हमारा गला बैठ जाएगा

कब तक असम को अपनी कहानी सुनाएँ हम (2)

पीछा न अपना छोड़ेंगी यादों की बिल्लियाँ

चल यार इनको दूर कहीं छोड़ आएँ हम (3)

तेरे ख़िलाफ़ फिर से न आवाज़ उठ सके

लोगों के साथ अपना गला भी दबाएँ हम (4)

मुद्दत से आरज़ू है हमारी ऐ जान-ए-मन

इक शाम तेरे साथ कभी तो बिताएँ हम…

Continue

Added by सालिक गणवीर on May 25, 2021 at 10:30am — 5 Comments

जग में नाम कमाना है....( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

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जग में नाम कमाना है

इक दिन तो मर जाना है. (1)

अपना दर्द छुपा कर रख

दिल में जो तहख़ाना है. (2)

ग़ैर समझता है मुझको

जिसको अपना माना है. (3)

मार नहीं सकती है भूख

गर क़िस्मत में दाना है. (4)

नई सुराही ले आए

पानी मगर पुराना है. (5)

चिड़िया उड़ जाए न कहीँ

इक पिंजरा बनवाना है. (6)

शक्ल ज़रा सी है बदली

पर जाना-पहचाना है. (7)

*मौलिक…

Continue

Added by सालिक गणवीर on May 8, 2021 at 9:00am — 6 Comments

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