For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Manan Kumar singh's Blog – January 2018 Archive (10)

बातचीत(लघु कथा)


-उन्हें कुत्तों ने बुरी तरह काट खाया है।
-क्यूँ?
-उनकी बड़ाई करने की आदत जो न करा दे।
-बड़ाई?
-हाँ भई।उन्होंने कुत्तों को आदमी कह दिया था।
-अरे,घोर अनर्थ',अदीब चिल्लाया।@

Added by Manan Kumar singh on January 28, 2018 at 10:29pm — 2 Comments

गजल(मसाला मिलाओ...)

मसाला मिलाओ बनाओ मूवी
किसी को नचाओ सजाओ मूवी।1

चलें लात मुक्के डिगो मत निडर
बड़ी हसरतें हैं दिखाओ मूवी।2

लजाते नहीं आजकल सब बेढ़ब
लगे आग चाहे चलाओ मूवी।3

बँधी आँख पर पट्टियाँ कितनी हैं!
दिखेगा नहीं जो जलाओ मूवी।4

"कहाँ मोल खूं का रहा पहले का
बहाओ, बहाओ,बहाओ, मूवी!"5

मौलिक और अप्रकाशित 

Added by Manan Kumar singh on January 25, 2018 at 10:00am — 8 Comments

अपनी अपनी समझ (लघु कथा)

गुरु द्रोणाचार्य ने दुर्योधन एवं युधिष्ठिर को एक-एक अच्छे और बुरे व्यक्ति को ढूँढ़ कर लाने को कहा।शाम को दोनों खाली हाथ वापस आ गए।

-क्यूँ, क्या हुआ?खाली हाथ क्यूँ आया',गुरूजी ने दुर्योधन से पूछा।

-गुरुदेव! मैंने बहुत कोशिश की,पर कोई भी ऐसा न मिला जिसमें एक भी बुराई न हो।

-युधिष्ठिर ,तुम क्यूँ खाली हाथ आ गए?'

-आचार्य! मुझे कोई ऐसा न मिला जिसमें एक भी अच्छाई न हो।'

आचार्य मुस्कुराये।

-"युधिष्ठिर समझ गए,पर दुर्योधन आज भी नासमझ बना बैठा है;चाहे लेखन में हो,पत्रकारिता…

Continue

Added by Manan Kumar singh on January 23, 2018 at 8:00am — 9 Comments

समय का फेर(लघु कथा)

कभी उनकी खूब चलती थी।कोर्ट-कचहरी सब वही थे।और सरकार तो थे ही।सचिव लोग गाहे-बेगाहे जरूरी फाइलें लेकर उनके आवास जाते,तो झिड़की मिलती।टका-सा मुँह लिए लौट आते।अपने नसीब को रोते कि कहाँ से कहाँ कलक्टर हुए,अर्दली ही रहते तो बेहतर होता।चैता के ताल पर 'रे ठीक से नाच बुरबक' तो न सुनना पड़ता। सुरती ठोंककर हाकिम को तो नहीं खिलानी पड़ती। उन्हें अपने लिए 'हाकिम,साहिब' जैसे शब्द गाली लगने लगे थे।वैसे अब हाकिम-सरकार के लोग इन लोगों को अर्दली जैसे ही समझते थे,आर्डर देते थे।

फिर समय ने करवट बदली। साहब जी…

Continue

Added by Manan Kumar singh on January 18, 2018 at 9:45am — 3 Comments

ब्रेन वाश(लघु कथा)

ब्रेन वाश

---

-हाँ, मैंने कहा था।

-‎क्यूँ?

-‎क्योंकि मुझे असहिणुता दिखी थी।

-‎कैसे?

-‎पूरे देश में हो-हल्ला मचा हुआ था।अभिव्यक्ति की आजादी छीनी जा रही थी।

-‎कैसी आजादी?'मातृभूमि को मुर्दा कहने और इसके टुकड़े होने' के नारों की आजादी?

-‎वे लोग व्यवस्था से क्षुब्ध थे।

-‎और यह बताने वाले दुश्मन देश की नुमाइंदे थे,कि नहीं?

-‎वह तो बाद में पता चला न?

-‎तो पहले क्या आपलोग घास छील रहे थे,कि धूप में बाल पका रहे थे?

-‎अरे भाई,तुमुल जन-रव ने मुझे घसीट…

Continue

Added by Manan Kumar singh on January 16, 2018 at 8:31pm — 9 Comments

विमोचन(लघु कथा)



-धन्यवाद, पैसे खाते में आ गये।प्रयाग में विमोचन हो जाये?

-‎अच्छा रहेगा।

-‎हॉल वगैरह बुक कर दिया है।बस कुछ लोगों की व्यवस्था आप करा लीजिये।

-‎आपके प्रकाशन की और पुस्तकें भी हैं न?

-‎थीं,पर अब उनका विमोचन शायद अलग से हो।

-‎क्यूँ?

-‎लेखकों की भागीदारी पूरी नहीं हो रही है।

-‎फिर?

-‎यह कार्यक्रम आपका ही होगा।सम्मानित भी हो जायेंगे आप।

-‎बात तो समूह में पुस्तकों के विमोचन की थी।

-‎सम्भव नहीं है।

-‎फिर अलग से देखेंगे।मेरे पैसे में कितनी प्रतियाँ…

Continue

Added by Manan Kumar singh on January 14, 2018 at 12:40pm — 15 Comments

गजल(क्या क्या बदलोगे...)

22 22 22 22 22 22 22 2

क्या क्या बदलोगे बाबूजी, जान रहे सब ,बोलो तो

छोड़ो औरों की बातें अब खुद अपने को तोलो तो।1

बोल रहे सब बोल बढ़ाकर,लगता हो तुमको जो ऐसा

अपनी करनी का खाता अब,मत शरमाओ,खोलो तो।2



पहुँचा देते लोग कहाँ तक ,बजा-बजाकर ताली भी

जन-सेवा करते-करते अब ठौर मिला है, सो लो तो।3



रंज हुईं मजबूर हवाएँ रह-रह आज बताती हैं

धुलता दामन,दाग चढ़े हैं,और जहर मत घोलो तो।4



चिट्ठी आई है चंदू की,चाचा और भतीजों…

Continue

Added by Manan Kumar singh on January 8, 2018 at 10:00am — 10 Comments

खुली खिचड़ी(लघु कथा)



मामले की सुनवाई के उपरांत सजा तय हो चुकी थी।अब ऐलान होना शेष था।न्याय-प्रक्रिया के चौंकानेवाले तेवर के मद्दे नजर लोगों में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि घोटाले के इस मामले में आखिर क्या सजा होती है।बाकी के हश्र सामने थे,वही ढाक के तीन पात जैसे।और न्याय की देवी आज -कल में फँसी हुई थी,क्योंकि कभी किसी वकील की मर्सिया-सभा हो रही होती, तो कभी कुछ और कारण होता।

-फिर कल?

-‎हाँ, अब कल सजा सुनाई जायेगी।

-‎वो क्यों?

-‎पता नहीं।हाँ मुजरिम ने कुछ कम सजा की गुहार लगायी है।…

Continue

Added by Manan Kumar singh on January 5, 2018 at 8:00pm — 13 Comments

बंद(लघु कथा)



भुइंया लोग विजय-पर्व मना रहे थे।यह उनकी पुरातन परंपरा का हिस्सा था।उनके पूर्वजों ने कभी अपने पूर्वाग्रह ग्रस्त मालिकों को बुरी तरह पराजित किया था। तब से यह दिन भुइंया समुदाय के लिए उत्साह और उत्सव का पर्याय बन गया था। 'जई हो,जई हो',की तुमुल ध्वनि गूँजने लगी।यह उनके उत्सव के उत्कर्ष की स्थिति थी।ढ़ोल, नगाड़े,तुरही सब के बोल चरम पर थे। झंकार ऐसी कि मुर्दे भी स्पंदित हो जायें, नृत्य करने लगें। पर,यह क्या?अचानक भगदड़ -सी होने लगी।किसी के सिर से लहू के फव्वारे निकल पड़े।कहीं से किसी ने पत्थर…

Continue

Added by Manan Kumar singh on January 3, 2018 at 10:00pm — 2 Comments

ईमान(लघु कथा)

  • ईमान

    ---

    -नहीं,वह नहीं आता अब।

    -‎नहीं आतता या मना किया तूने?

    -‎हाँ, मैंने ही मना किया।

    -‎क्यूँ?

    -‎क्या मतलब?

    -‎अरे! आते-जाते रहता तो कुछ भेद पता चलता रहता।

    -‎क्या?

    -‎सत्ता पक्ष से हैं न। अंदर की बातें,और क्या?

    -‎पर मुझे उससे क्या?

    -‎मुझे तो फायदा होता न री करमजली।

    -‎सही कहा तुमने ---करमजली हूँ मैं।

    -‎बात मत पकड़ री छमिया! आजकल कुर्सी सुगबुगा रही है, उलट-फेर की संभावना है।

    -‎तो फिर?

    -‎आने दे मुंडे मौलवी को।राज पता…
Continue

Added by Manan Kumar singh on January 2, 2018 at 10:30pm — 9 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service