For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल(लूटकर घर का खजाना....)

लूटकर  घर का खजाना भाग जाता आदमी
चंद सिक्कों के लिए भी मार खाता आदमी।1

बिक रहे कितने पकौड़े,चुस्कियों में प्यालियाँ,
और ठगकर आपसे भी मुस्कुराता आदमी।2

योजनाएँ चल रहीं पर हो रहीं नादानियाँ
देखकर यूँ हाल अपना खुद लजाता आदमी।3

सच कहा जाता नहीं,कह दे अगर,बदकारियाँ
तिलमिलाती बात है फिर थरथराता आदमी।4

रोक सकता दुश्मनों को देख लो जाँबाज दिल
भेदियों से घर में लेकिन मात खाता आदमी।5

खेत में होते हवन से हाथ जलते हैं बहुत
कर चुकाने में फसल भी हार जाता आदमी।6

घायलों को मरहमों से कब नवाजोगे यहाँ
घाव देकर पागलों-सा खिलखिलाता आदमी।7

शोर मचता है उसीका चल रहा झंडा लिए
खुद सँभलता है कहाँ बस लड़खड़ाता आदमी।8

पूँछ में पगड़ी लपेटे भागते सब आजकल
भैंस-भाषा भाषियों को सिर बिठाता आदमी।9
@

Views: 674

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 2, 2018 at 1:20pm

आ. भाई मनन जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Manan Kumar singh on March 1, 2018 at 10:39pm

आदरणीय समर जी आदाब व आभरा! अरकान लिखना रह गया है।हाँ, 'फसल' शब्द अब हिंदी/उर्दू में नया नहीं रह गया है,सर्वग्राह्य हो चुका है,सादर।

Comment by Manan Kumar singh on March 1, 2018 at 10:36pm

आभारी हूँ आदरणीय विश्वकर्मा जी,शुक्रिया।

Comment by Manan Kumar singh on March 1, 2018 at 10:36pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय हर्ष जी।

Comment by Samar kabeer on March 1, 2018 at 2:06pm

जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

6ठे शैर में सही शब्द है "फ़स्ल" देखियेगा ।

मंच के नियमानुसार आपने ग़ज़ल के साथ अरकान नहीं लिखे?

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on February 27, 2018 at 9:39pm

घाव देकर पागलों सा खिलखिलाता आदमी। 

वाह क्या कहने। बधाई स्वीकारें।

Comment by Harash Mahajan on February 27, 2018 at 11:35am

"कर चुकाने में फसल भी हार जाता आदमी"....वाह बहुत खूब आदरणीय मनन साहब । दाद हाज़िर है जनाब । वसूल पाइयेगा ।

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service