For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

January 2013 Blog Posts (174)

पाठक नामा- मेरी आपबीती: बेनज़ीर भुट्टो 2

पाठक नामा- मेरी आपबीती: बेनज़ीर भुट्टो 2  

संजीव 'सलिल'

*

१९७१ के बंगला देश समर पर बेनजीर :



==''...मैं नहीं देख पाई कि लोकतान्त्रिक जनादेश की…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on January 17, 2013 at 6:54pm — 3 Comments

"अधखुली दुनियां "

आजकल हास्य के लिए ,

अश्लीलता का सहारा लिया जाता है !

जनता खूब हंसती भी है ,

उन्हें भी आनंद आता है !!

जब प्रतिदिन नवीन आविष्कार हो रहे ,

अश्लीलता और नग्नता पर !

आत्मा कह रही मेरी ,

तू भी कुछ नया कर !!

इस अधखुली दुनियां की ,

बात बहोत ही निराली है !

चमक तो दिखता है ,

पर दिन भी होती काली है !

टिप्पणी करने से डरता हूँ ,

क्या कहूँ ?कैसे कहूँ ?

उलझता जा रहा हूँ ,

इस अधखुली दुनियां में !!

राम शिरोमणि पाठक…

Continue

Added by ram shiromani pathak on January 17, 2013 at 6:07pm — 2 Comments

हर किसी को गम यहां पर (राजेश कुमार झा)

हर किसी को ग़म यहां पर

और तो ना दीजिए

हो सके तो मुस्‍कुराते

कारवां रच दीजिए

आ गई जो रात काली

तो नया है क्‍या हुआ

ये तो है किस्‍सा पुराना

राख इसपर दीजिए

लिख रहा जो लाल केंचुल

चीखते मज़हब नए

पोखराजी लेखनी ले

आप भी चल दीजिए

देखना क्‍या ये तमाशे

चार दिन का जब सफ़र

हर लहर को बस किनारे

का पता दे दीजिए

द़श्‍त सहरा खून पानी

लिख चुके कमसिन गज़ल

कुछ तराने अब ख़ुदा के

नाम भी कर दीजिए

दर्द के…

Continue

Added by राजेश 'मृदु' on January 17, 2013 at 2:30pm — 3 Comments

ग़ज़ल - प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है

(बह्र: रमल मुसम्मन मखबून मुसक्कन)

वज्न : 2122, 1122, 1122, 22

चोर की भांति मेरी ओर नज़र करती है,

प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है,

फूल से गाल तेरे बाल तेरे रेशम से,

चाल हिरनी सी मेरी जान दुभर करती है,

धूप…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on January 17, 2013 at 11:23am — 16 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
भर रही हुंकार सरहद लहू का टीका सजा के

ले गए मुंड काट कायर धुंध में सूरत छुपा के 

भर रही हुंकार सरहद लहू  का टीका सजा के 

नर पिशाचो के कुकृत्य अब सहे ना  जायेंगे 

दो के बदले दस कटेंगे अब रहम ना  पायेंगे

बे ज़मीर हो तुम दुश्मनी  के भी लायक नहीं

कहें जानवर तो होता उनका भी अपमान कहीं

होते जो इंसा ना जाते अंधकार में दुम दबा के 

भर रही हुंकार सरहद लहू  का टीका सजा के 

बारूद  के ज्वाला मुखी  को दे गए चिंगारी तुम

अब बचाओ अपना दामन मौत के संचारी तुम 

भाई कहकर  छल से…

Continue

Added by rajesh kumari on January 17, 2013 at 11:12am — 16 Comments

जिन्दगी तुझसे क्या सवाल करूँ

जिन्दगी तुझसे क्या

 सवाल करूँ , क्या शिकायत करूँ 

तुझसे जैसा चाहा

 वैसा ही पाया ........

फूल चाहे तो फूल ही मिले

फूलों में काँटों की शिकायत

तुझसे क्यूँ करूँ ,

मेरी तकदीर के  काँटों की 

 शिकायत  तुझसे क्यूँ करूँ ..........

सितारों भरा आसमान

चाहा तो भरपूर सितारे मिले

कुछ टूटे बिखरे सितारों की शिकायत

तुझसे क्यूँ करूँ ,

मेरी तकदीर के टूटे सितारों 

की शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ…

Continue

Added by upasna siag on January 17, 2013 at 9:46am — 4 Comments

दुर्मिल सवैया

दुर्मिल सवैया

===============

कवि-कॊबिद हार गयॆ सबहीं, नहिं भाँष सकॆ महिमा हर की ॥

प्रभु आशिष दॆहु बहै कविता, सरिता सम कंठ चराचर की ॥

नित नैन खुलॆ दिन-रैन मिलॆ,समुहैं छवि शैल-सुता वर की ॥

कवि राज गुहार करॆं तु्म सॆ, त्रिपुरारि सुनॊ विनती नर की ॥

===========================================

दुर्मिल सवैया

===============

हरि नाम रटा कर री रसना,हरि नाम बिना जग ऊसर है !!

सब ज्ञान - बखान परॆ धर दॆ,बिन नॆह हरी मन मूसर है !!

जिय चाह रहा…

Continue

Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 16, 2013 at 11:03pm — 11 Comments

किसने रंग डाला है बोलो (राजेश कुमार झा)

किसने रंग डाला है ऐसा

मारी किसने पिचकारी

ऐसे ही रंग मोहे रंग दे

हे मुरलीधर बनवारी



बह गए मेरे रेत घरौंदे

टूट गए आशा के हौदे

चाहे जितनी जुगत लगा लूं

कमती ना है दुश्‍वारी



कैसे बिखरे तान सहेजूं

किस जल से ये प्राण पखेजूं

सांझ के अनुपद धूनी रमाए

कह जाओ मुरलीधारी



शेष पहर छाया है पीली

भीत भरी अंखियां हैं नीली

धिमिद धिमिद नव नाद जगाते

आओ हे…

Continue

Added by राजेश 'मृदु' on January 16, 2013 at 5:05pm — 8 Comments

ग़ज़ल "अंधेरों को बहुत खलने लगे हैं"

======ग़ज़ल========

बहरे हजज मुसद्दस् महजूफ

वजन-1222/1222/122



दियों में तेल हम भरने लगे हैं

अंधेरों को बहुत खलने लगे हैं



नहीं रूकती हमारी हिचकियाँ भी

हमें वो याद यूँ करने लगे हैं…



Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on January 16, 2013 at 3:30pm — 11 Comments

पशु चिकित्सक की डिग्री

सुना है ,
अब,एम बी बी एस करने पर
पशु चिकित्सक की डिग्री
दी जा रही है,
क्योंकि,
मनुष्य की कोख से,
जानवर कि,
नस्ल आ आ रही है .

Added by Dr Dilip Mittal on January 16, 2013 at 3:00pm — 5 Comments

व्यसन-:

व्यसन बना जी का जंजाल ,

असमय ही खाए जा रहा काल !

इतनी सुन्दर ज़िन्दगी को ,

क्यूँ व्यर्थ में गवांते हो !

जानते हो की बुरी है ,

फिर भी पीते या खाते हो !!

व्यसन के अतिरिक्त कोई ,

कार्य नहीं है शेष !

अल्प दिनों बाद केवल

रह जाओगे अवशेष !!

फटे कपड़ों में जब इनके बच्चे ,

घर से बाहर निकलते है ,

लोग दया दिखाते बच्चों पर ,

व्यसनी को गाली देते है !!

सोचो ऐसे व्यसनी को ,

उनके अपने कैसे सहते है,

नशा करने के बाद ,…

Continue

Added by ram shiromani pathak on January 16, 2013 at 12:30pm — 3 Comments

"पडोसी"

दोस्तों, भारत पाक सीमा पर जी हो रहा है, वो बड़ा ही दुखद है, हमारे जवानों के सर को कलम कर दिया गया,
इस बात से हर हिंदुस्तानी के दिल को चोट लगी है, एक छोटी सी रचना पेश कर रहा हूँ शीर्षक है "पडोसी"
"पडोसी"   ( मौलिक व् अप्रकाशित )
मेरे शहर की गावों से अब नहीं बनती
बिलावजह जाने क्यूँ भोहें हैं तनती
गली-गली में अमन की बात करते हैं,
फिर अचानक तलवारें हवाओं में चमकी
मुल्कों, मजहबों, जातियों में बटे दिल,
दो…
Continue

Added by SURINDER RATTI on January 16, 2013 at 11:51am — 7 Comments

''बर्फ के फूल''

पथराया सा आसमां
इंतज़ार कर रहा है.....

तूफानी हवाओं में
सफेद बर्फ के फूल
नंगी निर्जीव टहनियों पर
कफ़न से रहे हैं झूल l

तूफान के रुकने पर
सूरज के निकलते ही
ये मोम से पिघलकर
बन जायेंगे धूल l

पथराया सा आसमां
इंतज़ार कर रहा है.....

-शन्नो अग्रवाल

Added by Shanno Aggarwal on January 16, 2013 at 6:30am — 9 Comments

उधेड़-बुन

हर रोज़ एक शब्द

सोचती हूँ

उसे बुन लेती हूँ 

बुन कर सोचती हूँ 

फिर उधेड़ देती हूँ ..

उधड़े  हुए शब्द

ह्रदय में

एक लकीर सी बनते

तीखी धार की तरह

निकल जाते हैं ....

सोचती हूँ यह शब्दों

का बुनना फिर

उधेड़ देना

यह उधेड़-बुन न जाने

कब तक चलेगी ..

शायद यह जिन्दगी ही

एक तरह से उधेड़ - बुन ही है

Added by upasna siag on January 15, 2013 at 6:44pm — 12 Comments

अदना सा आदमी (राजेश कुमार झा)

एक फसली जमीन को

तीन फसली करने का हुनर.....

धर्म के अंकुश तले

आकुल उड़ान की कला......

अभिशप्त़ कामनाओं को

ममी बनाने का शिल्प.......

कहां जानता है

एक अदना सा आदमी ?



वह जानता है

ताप, पसीना, थकान

विषाद, उत्पीड़न

और उससे उपजी

तटस्थता

जिसको उसने नहीं चुना,



वह जानता है

टीस, चुभन, दर्द, मरण

और इन्हें समेटकर

हो जाता है एकदिन…

Continue

Added by राजेश 'मृदु' on January 15, 2013 at 6:00pm — 14 Comments

प्रताड़ना

कोई हद नहीं थी ,

उसके ऐतबार की !

एक अंतहीन अंधविश्वास ,

शायद !अतिशयोक्ति थी प्यार की !!

कोई प्रतिरोध नहीं किया ,

सोचा न क्या होगा अंजाम ,

घुटन भरी ज़िन्दगी ,

जीती रही गुमनाम !!

जब कोई अपना ही ,

दिन रात प्रताड़ित करता है !

एक नहीं सैकड़ों बार ,

जी जी कर फिर वो मरता है !

मानसिक बीमार कर दिया इतना ,

इसलिए उसने आत्मदाह किया ,

घुटन भरी ज़िन्दगी ने ,

ऐसा करने पर मजबूर किया !!

इतना भयंकर निर्णय ,

कोई ऐसे ही…

Continue

Added by ram shiromani pathak on January 15, 2013 at 3:30pm — 7 Comments

दोहे

==========दोहे===========…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on January 15, 2013 at 3:30pm — 14 Comments

सेना दिवस

सेना दिवस 
-------------

धन्य  धरा भारत की जहाँ पग पग लगते मेले 

 उड़े अबीर गुलाल  हवा में  सब मिल गोद खेले
तिहुँ ओर घिरी  जल  से धरती  हिमालय बना  प्रहरी 
सूरज सबसे पहले उग कर  बिखेरे छटा सुनहरी 
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब भाई चारा निभाते 
होली ईद हो या दिवाली संग   मिल पर्व मनाते
सुखदेव सुभाष  भगत…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 14, 2013 at 1:08pm — 16 Comments

गीत ..बेटियाँ

धीर धरे चुप गहन कूप
होतीं हैं बेटियाँ ../
गंगा की जलधार सीं ,
अर्घ्य की पावनधार सीं ,
जीवन के आधार सीं .
भोर सजीली भक्ति रूप
होतीं हैं बेटियाँ ..!!
सुभग अल्पना द्वार कीं,
सजतीं वंदनवार सीं/
महकें हरसिंगार सीं ,
जीवन भर की छाँह -धूप
होतीं हैं बेटियाँ ..!!
बाबा के सत्कार सीं ,
मर्यादा परिवार कीं ,
बेमन हैं स्वीकार सीं ,
धीर धरे चुप गहन कूप
होतीं हैं बेटियाँ ...!!!

Added by भावना तिवारी on January 14, 2013 at 1:00pm — 11 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service