For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

moin shamsi
  • Male
  • DELHI
  • India
Share on Facebook MySpace

Moin shamsi's Friends

  • Prabha Khanna
  • Tapan Dubey
  • Azeez Belgaumi
  • Bhasker Agrawal
  • Ekta Nahar
  • Lata R.Ojha
  • Priti Kumari
  • DEEP ZIRVI
  • vikas rana janumanu 'fikr'
  • mohd adil
  • SYED BASEERUL HASAN WAFA NAQVI
  • kanika singal
  • राज लाली बटाला
  • Aparna Bhatnagar
  • Abhinav Arun

moin shamsi's Groups

 

moin shamsi's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
delhi
Native Place
Aonla
<!-- Counter Code START --><a href="http://www.e-zeeinternet.com/" target="_blank"><img src="http://www.e-zeeinternet.com/count.php?page=589837&style=comic_book&nbdigits=5&reloads=1" alt="HTML Hit Counter" border="0" ></a><br><a href="http://www.e-zeeinternet.com/" title="HTML Hit Counter" target="_blank" style="font-family: Geneva, Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 10px; color: #000000; text-decoration: none;">HTML Hit Counter</a><!-- Counter Code END -->

Moin shamsi's Blog

धारावाहिक यात्रा-संस्मरण "चार-गाम-यात्रा" (All rights are reserved.)

हज़रत निज़ामुद्दीन-बैंगलोर राजधानी ऐक्स्प्रेस में दो रातों तक कुछ नन्हे-मुन्ने कॉकरोचों से दो-दो हाथ करते हुए 30 अक्टूबर की सुबह जब हम बैंगलोर सिटी जंक्शन पहुंचे तो दिन निकल चुका था । ट्रेन रुकने से पहले ही हमें उन क़ुलियों ने घेर लिया जो चलती ट्रेन में ही अन्दर आ गये थे । सामान उठाकर ले चलने से लेकर होटल दिलाने, लोकल साइट-सीइंग और मैसूर-ऊटी तक का टूर कराने के ऑफ़र्ज़ की बरसात होने लगी । मगर हम तो काफ़ी जानकारी पहले से ही इकट्ठा करके पूरी तैयारी से आये थे, इसलिये क़ुली साहिबान की दाल नहीं…

Continue

Posted on July 26, 2011 at 1:34pm — 15 Comments

"व्यथा" मेरी, आवाज़ भी मेरी !

दोस्तो ! अपनी एक पुरानी रचना "व्यथा" सुना रहा हूं । बर्दाश्त कीजियेगा ।…

Continue

Posted on June 9, 2011 at 2:00pm

मेरा कलाम मेरी आवाज़ में

ओबीओ पर आप दोस्तों ने मेरा कलाम पढ़कर हमेशा मेरी हौसला-अफ़्ज़ाई की है । आप क़द्रदानों के लिये मैं अपनी ताज़ा ग़ज़ल को, जोकि "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक ११ में शामिल हुई थी, अपनी ख़ुद की आवाज़ में पेश कर रहा हूं । इसे सुनने के लिये नीचे दिये बॉक्स के प्ले बटन को क्लिक करें :…

Continue

Posted on June 1, 2011 at 2:30pm — 14 Comments

’मदर्स-डे’ स्पेशल (मां का प्यार)

सबसे पावन, सबसे निर्मल, सबसे सच्चा मां का प्यार

सबसे अनोखा, सबसे न्यारा, सबसे प्यारा मां का प्यार ।



बच्चे को ख़ुश देख-देख के, मन ही मन हंसता रहता

जब संतान पे विपदा आए, तड़प ही उठता मां का प्यार ।



सुख की ठंडी छांव में शीतल पवन के जैसा लहराता…

Continue

Posted on May 7, 2011 at 5:00pm — 8 Comments

Comment Wall (10 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 7:34pm on January 1, 2011, Lata R.Ojha said…
Janmdin mubarak ho :)
At 9:27am on January 1, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 8:20pm on December 2, 2010, Azeez Belgaumi said…
Thanks moin bhai
At 1:40am on October 14, 2010, Julie said…

अपनी दोस्ती से नवाजने का बहुत -बहुत शुक्रिया... "मोईन जी"...!! -जूली :-)
At 7:15pm on October 9, 2010, Hilal Badayuni said…
जनाब मोईन साहब आदाब
आप एक अदबी माहौल में तरबियत ले रहे है तो सब से पहले आप को मेरे सलाम का जवाब देना चाहिए था जैसा की मैंने आपको लिखा था मोईन साहब अस्सलाम-ओ-अलैकुम आपने जो "देखिये मियां " कहकर पुकारा है वो काबिल-ऐ-मुहब्बत नहीं है
और मैंने वक्तन बा वक्तन अपने अशआर पे आपके ता-अस्सुरात (comments ) मांगे थे न की इस तरह से कोई सनद के मै ज़बरदस्त लिखता हूँ खानदानी शायर हूँ
इस तरह आप अपनी समा-अत का फ़रीज़ा नहीं अदा कर सकते
ऐसा नहीं के "देखिये मियां" एक तहज़ीब से गिरा हुआ लफ्ज़ है मगर जब भी किसी से बात की शुरुआत हो तो सलामत (सलाम )से हो बेहतर है आगे से ये ख्याल रखियेगा के किसी भी ओबो मेम्बेर्स को "देखिये मियां" के बजाये भाई कहकर पुकारें , अपनापन झलकेगा!
आपके इस मुहब्बत भरे अलकाब "देखिये मियां" की नज्र जनाब मुनव्वर राना साहब का शेर पेश करता हूँ तशरीह हो जायगी
शुक्रिया आपका भाई
हिलाल अहमद हिलाल

बेसबब लोग हमे दुश्मन-ऐ-जाँ कहते हैं
हम जो इस मुल्क की मिटटी को भी माँ कहते है
आप ने खुल के मुहब्बत नहीं की है हमसे
आप भाई नहीं कहते है मियां कहते है
At 4:03pm on October 6, 2010, Hilal Badayuni said…
moin sahab assalam-o-alaikum
masarrat ki baat hai k aapne mujhe frien list me to shaamil ker liya hai maagar naacheez ki shayri per apne ta-assuraat pesh nahi kiye abhi tak
bhai mai wazirganj zila budaun se belong kerta hu basically aur zauq wazirganjvi sahab ka farzand hu is waqt delhi me hu
aapke yaha aaonla me nadeem sahab hafiz raees sahab au rifat sahab sabhi jaane hai
shukriya
aapka hilal ahmad 'hilal wazirganjvi' budauni
At 8:43am on September 27, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 10:18pm on September 26, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

At 6:09pm on September 26, 2010, Ratnesh Raman Pathak said…

At 5:56pm on September 26, 2010, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
10 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
14 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
14 hours ago
Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
14 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
14 hours ago
Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service