For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Ashish Painuly
  • Uttarakhand
  • India
Share on Facebook MySpace

Ashish Painuly's Friends

  • Ram Sharma
  • सीमा शर्मा मेरठी
  • Rahila
  • Sheikh Shahzad Usmani
  • pratibha pande
  • seemahari sharma
  • Dr.Prachi Singh
  • MAHIMA SHREE
  • विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी
  • rajesh kumari
  • वीनस केसरी

ashish painuly's blog

Loading… Loading feed

 

Ashish Painuly's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Dehradun
Native Place
Tehri,Uttarakhand
Profession
STUDENT
About me
Writer

Ashish Painuly's Blog

दीवार

हमको खबर है कितने, हम बेखबर हो गए

अपने ही घर से कितने बाशिंदे बेघर हो गए



जब हम एक थे तो सारा शहर एक था

जो राहें हुईं अलग हमारी तो सब कुछ बंट गया

और अब तो आलम ये है कि ये सारा शहर दो खेमों में बंट चुका है

आधे इधर हो गए आधे उधर हो गए

अपने ही घर से कितने बाशिंदे बेघर हो गए-2



हर महफिल में सन्नाटा है हर शै सूनी हो गई है

मंज़िल खोती जाती है राहें दूनी हो गई हैं

सदमे में हर कोई यहॉँ सदमे में उधर भी हैं

लफ़्ज़ शोला उगलते हैं आँखें खूनी हो गई…

Continue

Posted on March 15, 2016 at 6:30pm — 2 Comments

कितना टूटा कितना हारा

कितना टूटा कितना हारा

ज़िन्दगी ने कितना मारा



हर घङी मातम है

मायूसी का आलम है

चारों ओर निराशा है

अश्रुमिश्रित भाषा है

कलम भी मेरी सब है जाने

दु:ख के मेरे क्या हैं माने

कि झूठे उद्गारों की ज़द में गर में

खुशी कभी जो लिखना भी चाहूँ

झूठ नहीं यह सहती है

'गम ही गम हैं' कहती है।

नादां है यह ये न जाने जग में

सच ही सदा न चलता है

सफेदपोशी का नक़ाब ओढे

सफेद झूठ मचलता है

ऐसे झूठे मोती पिरो के

माला बनाना चाहूँ… Continue

Posted on March 10, 2016 at 6:36pm

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 8:34am on July 18, 2016, pratibha pande said…

 जन्म दिन की ढेरों शुभकामनाएँ 

At 5:26am on April 23, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है !

आप अपनी मौलिक व अप्रकाशित रचनाएँ यहाँ पोस्ट कर सकते है. अधिक जानकारी के लिए कृपया नियम देखे

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service