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आचार्य शीलक राम
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आचार्य शीलक राम commented on AMAN SINHA's blog post हम मिलें या ना मिलें
"बढिया"
Dec 29, 2022
आचार्य शीलक राम commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहता हूँ तुझसे जन्मों का नाता है ओबीओ
"सत्य वचन"
Dec 29, 2022
आचार्य शीलक राम commented on आचार्य शीलक राम's blog post "बारहमासा"
"Dr.Prachi Singh जी आदरणीय"
Dec 29, 2022
आचार्य शीलक राम commented on आचार्य शीलक राम's blog post "बारहमासा"
"Samar kabeer जी आदरणीय"
Dec 29, 2022
Samar kabeer commented on आचार्य शीलक राम's blog post "बारहमासा"
"जनाब आचार्य शीलक़ राम जी आदाब,ओबीओ पटल पर आपका स्वागत है I  रचना का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें, मुहतरमा प्राची सिंह जी की टिप्पणी का अबापने अभी तक जवाब नहीं दिया, और देख रहा हूँ कि आप कई रचनाएँ मंच पर पोस्ट कर चुके हैं, ये सीखने सिखाने…"
Dec 12, 2022
SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR commented on आचार्य शीलक राम's blog post मौन
"शिक्षाप्रद पद और क्षणिकाएं, बहुत खूब , जय जय श्री राधे।"
Dec 10, 2022
SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR commented on आचार्य शीलक राम's blog post व्यवस्था के नाम पर
"बहुत सुन्दर रचना, आज के जीवन की झांकी दिखाती हुई, जय जय श्री राधे"
Dec 10, 2022
आचार्य शीलक राम posted a blog post

व्यवस्था के नाम पर

कोई रोए, दुःख में हो बेहाल असहाय, असुरक्षित, अभावग्रस्त टोटा संगी-साथी, हो कती कंगाल अत्याचार, अव्यवस्था से त्रस्त किसी को क्या फर्क पड़ता है । यहां-वहां घूमे, दुःख के आंसू पीए गिड़गिड़ाए, झुके, करे चापलूसी हर रोज, मर-मरकर फिर जीए सालों की प्रतीक्षा, मिली न कोई खुशी नहीं प्रफुल्लता, छाई बस जड़ता है। हो ना कोई भी जरूरत पूरी जी-तोड़ मेहनत करता दिन-रात की हुई हर एक इच्छा अधूरी हर अरमान टूटता, रहता अकुलात चिंता मं हर दिन जाता सड़ता है । आंसू बहते जब-तब, कर्म-व्यवस्था असफल कोई भी मदद को न आए आगे हताशा,…See More
Dec 8, 2022
आचार्य शीलक राम posted blog posts
Dec 3, 2022

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on आचार्य शीलक राम's blog post "बारहमासा"
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय यह रचना दोहा छंद के बहुत निकट है , बस थोड़ा सा लय और मात्रिकता का ध्यान रख कर इस छंद को सहज ही साधा जा सकता है..इस रचना पर  मैं विस्तार से आती हूँ तब तक निवेदन है कि भारतीय छंद विधान समूह में संग्रहीत…"
Dec 2, 2022
आचार्य शीलक राम left a comment for रक्षिता सिंह
"धन्यवाद आदरणीय"
Dec 2, 2022
आचार्य शीलक राम left a comment for Dr.Prachi Singh
"धन्यवाद आदरणीय"
Dec 2, 2022

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh left a comment for आचार्य शीलक राम
"स्वागत आदरणीय आचार्य शीलक राम जी "
Dec 2, 2022
Dr Sanjeev Kumar Verma and आचार्य शीलक राम are now friends
Dec 2, 2022
आचार्य शीलक राम updated their profile
Nov 30, 2022
रक्षिता सिंह left a comment for आचार्य शीलक राम
"Welcome sir ! "
Nov 30, 2022

Profile Information

Gender
Male
City State
Rohtak
Native Place
Chuliana
Profession
Professor
About me
लेखक परिचय लेखक का जन्म एक किसान परिवार में 1965 ई॰ में हुआ। लेखक ने अपनी शिक्षा की शुरूआत गांव के ही विद्यालय से शुरु करके उसमानिया विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं दिल्ली विश्वविद्यालय से संपन्न की । लेखक ने दर्शनशास्त्र, हिंदी व संस्कृत विषयों से स्नातकोत्तर परीक्षाएं उत्तीर्ण करके दर्शनशास्त्र विषय से एम॰फिल्॰ व पीएच॰डी॰ की उपाधियां अर्जित की । इसके साथ ही लेखक महोदय ने ‘दर्शनशास्त्र’, ‘धार्मिक अध्ययन’ एवं ‘जैन-बौद्ध-गांधी व शांति अध्ययन’ विषयों से चार नेट UGC, NET परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं । लेखक महान दार्शनिक एवं रहस्यदर्शियों ऋषि दयानंद, योगिराज अरविंद, जिद्दू कृष्णमूर्ति आदि की योग-साधना में पारंगत तथा सनातन भारतीय हिंदू योग-साधना का कई वर्ष तक हिमालय के योगियों के मार्गदर्शन में योग-साधना किए हुए हैं । लेखक ने कई महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य किया है । इस समय लेखक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अंतर्गत ‘दर्शन शास्त्र विभाग’ में असिसटेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं । लेखक ने बचपन से ही लेखन-कार्य शुरू कर दिया था । अब तक इन द्वारा पचास (50) पुस्तकों का लेखन हो चुका है जिनमें से सैंतालीस (47) प्रकाशित हो चुकी हैं । (1) एक वैज्ञानिक संत स्वामी विवेकानंद (2) अधखिले कमल (3) विश्वगुरु आर्यावर्त भारत (4) भगवान का गीत (हरियाणवी गीता) (5) अमृतकलश - धनपत सिंह निंदाणा (ग्रंथावली) (6) लूट सके तो लूट (सार्वभौम दर्शन) (7) हरियाणवी लोकसाहित्य में दर्शन की अवधारणा:पं. लखमीचंद व बाजे भगत के संदर्भ में (8) राष्ट्रनायक : हमारा हरियाणा, विकसित हरियाणा (महाकाव्य) (9) ढाई आखर प्रेम का (10) मुक्तिदाता चौधरी छोटूराम (11) प्रेम की झील में विश्वासघात के कांटे (प्रेम का दर्शन) (12) प्रेम-सरोवर (प्रेम का दर्शन) (13) प्रेम-पूजा (प्रेम का दर्शन) (14) प्रेम से प्रेम तक (प्रेम का दर्शन) (15) प्रेम की पाती (प्रेम का दर्शन) (16) दर्शन-ज्योति (दार्शनिक शोध-लेख संग्रह) (17) मैं श्री कृष्ण बोल रहा हूं! (18) समकालीन दार्शनिक जे. कृष्णमूर्ति के दर्शन में ध्यान की अवधारणा का समीक्षात्मक अध्ययन (19) ओशो ब्रह्मसरोवर (भाग-एक) (20 हरियाणवी लोककाव्य में दर्शन की अवधारणा (दार्शनिक शोध-लेख संग्रह) (21) सनातन भारतीय योग-साधना एवं इसकी विभिन्न ध्यान विधियां (22) भारतीय दर्शन की सनातन परंपरा (23) भारतीय-दर्शन के विविध आयाम (24) भारतीय-दर्शन एवं हरियाणवी लोक जीवन (25) व्यावहारिक दर्शनशास्त्र (26) आज का दर्शनशास्त्र (27) जागो भारत (Philosophy of Nation) (28) वैदिक प्रार्थना (29) भगवान बुद्ध का आर्य वैदिक सनातन हिन्दू दर्शन (30) विश्वगुरु आर्यावर्त भारत (इस पुस्तक में 12000 पद, 45000 पंक्तियां तथा 250000 शब्द मौजूद हैं। यह दूनियां का सबसे बडा महाकाव्य है। (31) दर्शनशास्त्र (32) आख्यां देखी (हरियाणवी नाटक) (33) अथातो भारतीय दर्शन शास्त्र जिज्ञासा (34) प्रेम राक्षसी (35) पं. लखमीचंद के सांगो का दार्शनिक विवेचन (दर्शन) (36) भगवान बुद्ध एवं बौद्ध दर्शन (37) पं दीनदयाल उपाध्याय का जीवन एवं जीवन दर्शन (38) प्रेम पाखंड (39) जागो हिन्दू (40) हरियाणवी लोक-कवि पंडित लखमीचन्द का "समाज दर्शन" (Social Philosophy of Pt. Lakhamichand) (तथ्य भ्रम एवं समाधान) (41) ब्रह्मज्ञानी कौन? पं. लखमीचंद, दादा बस्ती राम या बाजेभगत (42) भाजपा के गांधी पंडित दीनदयाल उपाध्याय (भाग-एक) (43) भाजपा के गांधी पंडित दीनदयाल उपाध्याय (भाग-दो) (44) हरियाणवी योगसूत्र (45) हरियाणवी लोक-कवि पंडित लखमीचन्द का दार्शनिक अध्ययन (Philosophical Thoughts of Pt. Lakhamichand) (तथ्य भ्रम एवं समाधान) (46 जीवन-दर्शन एवं संस्कृति (47) अन्नदाता भारतीय किसान लेखक हरियाणवी भाषा के भी प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं आलोचक हैं। काव्य, आलोचना, दर्शन एवं योग में लेखक की गति विस्मकारी है। सनातन भारतीय आर्य हिंदू वैदिक संस्कृति, योग, दर्शन, जीवन- मूल्यों तथा राष्ट्र भाषा के प्रति लेखक की असीम श्रद्धा है तथा इनके प्रचार-प्रसार हेतु ये सतत् कार्यरत हैं । इसके साथ लेखक दस (10) अंतर्राष्ट्रीय रैफरीड रिसर्च जर्नल्स के संपादक एवं स्वामी हैं । इन जर्नल्स के नाम हैं - ‘चिन्तन’, ‘प्रमाण’, ‘द्रष्टा’, ‘दर्शन’, ‘दर्शन-ज्योति’, ‘स्वदेशी’, ABSURD’, AWARENESS’, ‘JUSTICE’ एवं ‘VISION’ । विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च जर्नल्स में लेखक के सौ (100) शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं । राष्ट्रीय दैनिक समाचार-पत्रों में भी लेखक के 300 के लगभग लेख प्रकाशित हो चुके हैं । इस समय लेखक अध्यापन के साथ-साथ योगाभ्यास करवाने, लेखन करने, राष्ट्रभाषा हिंदी का प्रचार-प्रसार करने तथा सनातन भारतीय जीवन-मूल्यों की प्रासंगिकता को समस्त जगत् को समझाने हेतु कार्यरत हैं ।

आचार्य शीलक राम's Blog

व्यवस्था के नाम पर

कोई रोए, दुःख में हो बेहाल

असहाय, असुरक्षित, अभावग्रस्त

टोटा संगी-साथी, हो कती कंगाल

अत्याचार, अव्यवस्था से त्रस्त

किसी को क्या फर्क पड़ता है ।



यहां-वहां घूमे, दुःख के आंसू पीए

गिड़गिड़ाए, झुके, करे…

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Posted on December 8, 2022 at 8:00pm — 1 Comment

मौन

              मौन

                          आचार्य शीलक राम

सरल-सहज है तुम्हारी सूरत

देवलोक की जैसे कोई मूरत

मूरत होकर भी अमूर्त लगती…

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Posted on December 1, 2022 at 9:31pm — 1 Comment

स्वप्न अधूरे

स्वप्न अधूरे, भूखा पेट

होने को है, मटियामेट

कड़ी मेहनत, कड़े प्रयास

फिर भी बची न कोई आस।1

अनगिनत ग्रंथ, आंखें फोड़ी

मम जीवन, सम फूटी कौड़ी

सब कुछ किया, व्यर्थ जा रहा

कौन दुःख, मैंने न सहा । 2

देर तक पढ़ना, ऊंचे अंक

बेरोजगारी के, फंसा हूं पंक

कर्म का नियम, बना है निष्फल

हर पैड़ी पर, हुआ हूं असफल ।3

ऊंची-ऊंची, उपाधि अर्जित

अभिनव किया, बहुत कुछ सृजित

फिर भी यहां, नकारा बना हूं

अभाव, दुःखों से, कती सना हूं । 4

घर बैठा हूं,…

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Posted on December 1, 2022 at 9:30pm

"बारहमासा"

"बारहमासा"

"चैत्र" मे चित चिंतित, चंचल चहु चकोर।

प्रिया बिन सब सूना लगे, ना सुझे कौर॥

"वैशाख" वैरी विष समान, वल्लरी बन विलगाय।

दोबारा फूल खिलेंगे तभी, अनुकूल रितु को पाय॥…

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Posted on November 30, 2022 at 9:00pm — 4 Comments

Comment Wall (3 comments)

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At 10:20am on April 9, 2024, Erica Woodward said…

I need to have a word privately,Could you please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.

At 7:26pm on December 2, 2022,
सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh
said…

स्वागत आदरणीय आचार्य शीलक राम जी 

At 7:51pm on November 30, 2022, रक्षिता सिंह said…

Welcome sir ! 

 
 
 

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