रण भूमी में अस्त्र को त्यागे अर्जुन निःस्तब्ध सा खडा हुआ
बेसुध सा निःसहाय सा केशव के चरणों मे पडा हुआ
कहता था ना लड पायेगा, वार एक ना कर पायेगा
शत्रु का है भेष भले पर वो अपना है जो अडा हुआ
कैसे मैं उनपर प्रहार करूँ, जिनका मैं इतना सम्मान…
ContinuePosted on March 23, 2024 at 5:57am — 1 Comment
काश कहीं ऐसा हो जाता,
मैं जगता तू सो जाता
मेरी हंसी तुझे मिल जाती
तेरे बदले मैं रो लेता
काश कहीं ऐसा हो जाता
तू चलता मैं थक जाता
पैर तेरे कभी ना रुकते…
ContinuePosted on March 19, 2024 at 6:02am — 1 Comment
आ जा खेले आँख मिचौली, तू मेरा मैं तेरी हमजोली
बंद करूँ मैं आँखों को तू जाकर कहीं छूप जाए
पर देख मुझे तू सतना ना दूर कहीं छिप जाना ना
ऐसा न हो तू पुकारे मुझे, मैं दूर कहीं खो जाऊं
मैं आऊँ मैं आऊँ…
ContinuePosted on March 16, 2024 at 6:16am
आज गाँव से पाति आई,
माँ के चरणों की मिट्टी लायी
वैसे तो ये बस धूल है लेकिन,
इसमे अपनों की महक समाई
पाति में सबके हिस्से है,
सबके अपने-अपने किस्से है
कहीं प्रेम है, कहीं…
ContinuePosted on March 8, 2024 at 11:09pm
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |