ना जइयो परदेस सजनवा, बिन तेरे हिया ना लगे रे
तोहरी राह तकते तकते हमरी, प्राण निकल ना जावे रे
जे तू हमरी सुध ना लेवे, ना हमारी पाती लौटावे रे
तोहरी क़सम हम तोहरी खातिर भूख प्यास भी त्यागे रे
ना जइयो परदेस सजनवा, बिन तेरे हिया ना लगे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 9, 2023 at 11:57pm — No Comments
भोर होने को है देखो, छट रहा है अंधेरा
किस संशय ने तुमको अब भी रखा है घेरा
बढ़ा कदम दिखा ताक़त तू अपने बुलंद इरादो की
कौन सी है दीवार यहाँ जिसने तुझको रोखे रखा है
तू अगर चलेगा तो, मंज़िल भी तुझ तक आएगी
भला बता वो तुझसे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 2, 2023 at 7:33pm — No Comments
फोन आया,
कई सालों के बाद
फिर उसका फोन आया
पहले जब
घंटी बजती थी,
दिल की धड़कन भी बढ़ती थी
लेकिन आज फोन बजा
तो धड़कन ने इशारा नहीं…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 19, 2023 at 9:00pm — 1 Comment
एक जनम मुझे और मिले मैं देश की सेवा कर पाऊं
दुध का ऋण उतारा अब तक, मिट्टी का ऋण भी चुका पाऊं
मुझको तुम बांधे ना रखना अपनी ममता के बंधन में
मैं उसका भी हिस्सा हूँ तुमने है जन्म लिया जिसमे
शादी बच्चे घर संसार, ये सब मेरे पग को बांधे है
लेकिन मुझसे मिट्टी मेरी बस एक बलिदान ही मांगे है
सब ही आंचल मे छुपे तो देश को कौन सम्हालेगा
सीमा पर शत्रु सेना से फिर कौन कहो लोहा लेगा
तुमने दुध पिलाया मुझको…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 15, 2023 at 1:30pm — No Comments
ठंडा है मीठा है थोड़ा सा गाढ़ा है
पर मेरे घर तक आता है नलके का पानी
जब भी दिल चाहे प्यास बुझाता है
ठंडक दे जाता है नलके का पानी
जब से घर आया है सबको लुभाया है
हिम्मत बढ़ाया है नलके का पानी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 13, 2023 at 9:10am — No Comments
तुमको पढ़ा तुमको जाना तो ये समझ में आया है
कितनी बेकरारी को समेट कर तूने कोई एक शेर बनाया है
रईसी ऐसी की बस इशारों में मुआ हर काम हो जाए
फकीरी ऐसी की जो सब पाकर भी बेइंतजाम हो जाए
हमने सुने है किस्से तेरी बेरुखी की ज़िंदगी से
शोहरत पाकर भी कोई कैसे तुझसा बेनाम हो जाए
लिखा जो तूने कहा जो तूने कोई ना जान सका
तू सभी का है अभी पर तब तुझे कोई ना पहचान सका
आज नज़्में तेरी दासतां बताती है
कैसे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 6, 2023 at 8:56pm — No Comments
कभी दिलबर बताते हो, कभी रहबर बताते हो
ये मर्ज़ी है बस तेरी, जो मर्ज़ी बताते हो
कभी सुनते हमारी बात, कबसे जो दबी दिल में
हमें अपना बताकर तुम, बड़ा दिल को जलाते हो
जीवन है सफर लंबा, मगर जो तुम हो तो कट जाए
राह है जो सदियों की, वो पल भर में सिमट जाए
बिना तेरे ना चल पाएं, कदम दो चार भी हम तो
थाम कर हम तेरा दामन, चलो उस पार हो…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 29, 2023 at 10:20pm — No Comments
ढूँढता हूँ कब से मुझमे मुझसा कुछ तो हो
सोच हो, आवाज़ हो, अंदाज़ हो, ना कुछ सही सबर तो हो
क्यूँ करूँ परवाह खुद की संग क्या ले जाना है
बिन बुलाये आए थे हम बिन बताए जाना है
क्यूँ बनाऊ मैं बसेरा डालना कहाँ है डेरा
जिस तरफ मैं चल पड़ा हूँ उस गली है बस अंधेरा
क्या करूँ तालिम का मैं बोझ सा है पड गया
है सलिका खूब इसमे, पर, सर पर मेरे चढ़…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 23, 2023 at 7:55am — 2 Comments
एक चेहरा जो याद नहीं, एक चेहरा जो मैं भूल गया
तस्वीर भला मैं क्या खिंचू, तस्वीर बनाना भूल गया
एक लम्हा जो ना लौटा फिर, वो एक लम्हा जो मैं भूल गया
यादें अब समेटूँ कैसे मैं, जो यादें बनाना भूल गया
एक गली जो कभी फिर मिली नहीं, वही गली जो मैं भूल…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 16, 2023 at 12:16am — 3 Comments
मैं चाँद तू चकोरा मेरे बिन तू अधूरा
जो तू मिल जाए मुझसे मैं हो जाऊँ पूरा
तेरे बिन जीने में है क्या बात मितवा
बस तुझको दिल मेरा दे आवाज़ मितवा
तू भी भागे मेरी ओर मैं भी भागूं तेरी ओर
बांधे तुझको मुझको है कोई अनदेखी सी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 8, 2023 at 5:59am — No Comments
मन के जीते जीत है मन के हारे हार
मन चाहे तो मिल जाए आँगन में हरिद्वार
क्यों चले बाज़ार में करने को चित्कार
मन की बात जो मान गए हो जाए सब उपचार
बस मन हिन मानिए पट दिखलाए सटीक
वापस लौट के आ जाए पथ से भटका…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 2, 2023 at 8:16am — No Comments
तेरे रूठने का सिलसिला कुछ ज्यादा हीं बढ़ गया है
लगता है मुझे दिल का किराया बढ़ाना होगा
बहुत जिये तेरी उम्मीद के साये में अब तक
अब खुदका एक तय आशियाँ बनाना होगा
सब जानते है पता जिसने ताजमहल बनवाया था
मगर उन गुमशुदा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on June 24, 2023 at 11:24pm — 1 Comment
मोहब्बत है या नफरत है सभी कुछ जनता हूँ मैं
इन लहजों को अदाओं को बहुत पहचानता हूँ मैं
तेरे आने से फैली है जो खुशबू इन हवाओं में
इस खुशबू से उस आहट तक तुझे पहचानता हूँ मैं
कभी कुछ सोचना चाहा ख़यालों में तुम्ही ही आए …
ContinueAdded by AMAN SINHA on June 16, 2023 at 8:39pm — 1 Comment
दबा कर आँखों में आँसू यूं मुस्कुरा जाते हो तुम
देकर खुशियाँ अपने हिस्से की हमें ग़म भुला जाते हो तुम
कैसे अपने एहसासों को ज़ुबां पर आने नहीं देते
दिल के बवंडर को क्यों बह जाने तुम नहीं देते
कैसे हर बार तुम हीं अपने अरमानो को दबाते हो …
ContinueAdded by AMAN SINHA on June 10, 2023 at 6:47am — No Comments
कैसी ये पुकार है? कैसा ये अंधकार है
मन के भाव से दबा हुआ क्यों कर रहा गुहार है?
क्यों है तू फंसा हुआ, बंधनों में बंधा हुआ
अपनी भावनाओं के रस्सी में कसा हुआ
त्याग चिंताओं को अब चिंतन की राह धरो
स्वयं पर विश्वास कर दृढ़ हो…
ContinueAdded by AMAN SINHA on June 3, 2023 at 7:26pm — No Comments
एक जीवन मे नारी का तीन जन्म होता है
लेकिन हर जनम मे उसका कर्म अलग होता है
पहला रूप है पुत्री का, पिता के घर वो आती है
संग में अपने मात-पिता का स्वाभिमान भी लाती है
यहाँ कर्म हैं मात-पिता की सेवा निशदिन करते रहना …
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 21, 2023 at 6:00am — No Comments
Added by AMAN SINHA on May 14, 2023 at 8:30am — 1 Comment
मेरी खूबसूरती श्राप है
मेरे पूर्व जन्म का पाप है
जितनों को मैंने छला होगा
ये उन सबका अभिशाप है
घर से निकल ना पाऊँ मैं
रास्ते पर चल ना पाऊँ मैं
कपड़े गहनों की बात हीं…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 7, 2023 at 6:39am — 1 Comment
मैं जिया हूँ दो दफा और दो दफा हीं मैं मरा हूँ
पर अधूरी ख्वाहिशो संग हर दफा हीं मैं रहा हूँ
चाह मेरी जो भी थी वो मेरे पास थी सदा
पर मेरे पहुँच से देखो दूर थी वो सर्वदा
राह जो चुनी थी मैंने पूरी तरह सपाट थी
पर मेरे लिए हमेशा बंद उसकी कपाट थी
मैंने जो गढ़ी इमारत दीवार जो बनाई थी
उसकी नींव में हमेशा हो रही खुदाई थी
मैं चला था साथ जिसके मंज़िलों के प्यास में
वो रहा था पास मेरे किसी दूसरे के आस में
साथ…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 1, 2023 at 5:30am — 2 Comments
चार रुपये लिए थे, मेरे दादा ने कर्ज़ में
कल तक बाबा चुका रहे थे, ब्याज उसका फर्ज़ में
रकम बढ़ी फिर किश्त की, हर साल के अंत में
मूलधन खड़ा है अब भी, ब्याज दर के द्वंद में
चार बीघा ज़मीन थी, अपना खेत खलिहान था
हँसता खेलता घर हमारा, स्वर्ग के समान था
बाढ़ आयी सब तबाह हुआ, बाबा की हिम्मत टूट गयी
कल तक जो खिली हुई थी, किस्मत जैसे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on April 23, 2023 at 8:32am — 2 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2023 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |