For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अश्विनी कुमार
  • Male
  • उ प्र
  • India
Share on Facebook MySpace

अश्विनी कुमार's Photos

  • Add Photos
  • View All

अश्विनी कुमार's Friends

  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
  • K M Mishra
  • Chaatak
  • मनोज कुमार सिंह 'मयंक'
  • PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
  • JAWAHAR LAL SINGH
  • विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी
  • Arun Sri
  • Er. Ambarish Srivastava
  • वीनस केसरी
  • Saurabh Pandey
  • Er. Ganesh Jee "Bagi"

Profile Information

Gender
Male
City State
u.p
Native Place
prayaag
About me
यारों अपनी क्या बताऊँ
 

अश्विनी कुमार's Page

Comment Wall (8 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 12:40pm on April 1, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

aapka profile top vala  sundar kaese kar liya badhai.

vande maatram.

At 12:38pm on April 1, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

स्नेही  , श्री अश्विनी   जी.

सादर अभिवादन.
ये सब आपकी मेहनत का प्रतिफल है.
धन्यवाद.  स्नेह बनाये रखियेगा.
At 9:41am on March 26, 2012, Arun Sri said…

स्वागत है सर !

At 9:17am on March 24, 2012, K M Mishra said…

प्रिय आपके कहे अनुसार यहाँ आ गया, अब आप जानो और आपका काम जाने. मतलब आगे जो आज्ञा हो. वैसे नए वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं. माता जी प्रनाम और बच्चों को प्यार.

At 7:39am on March 17, 2012, JAWAHAR LAL SINGH said…

अश्विनी कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए आभार!

At 10:46pm on March 16, 2012,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 12:37pm on March 9, 2012,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

आप यदि अपना वास्तविक फोटो प्रोफ़ाइल में दें तो सब पर उपकार हो.

अपना दिल शेरदिल हो साहब, फोटो नहीं,  है न !?

सादर

At 12:07pm on March 7, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

सपरिवार होली मंगलमय हो . 

अश्विनी कुमार's Blog

मानव

खोलो मन की सांकल को ,

जरा हवा तो आने दो ,,

निकलो घर से बाहर तुम ,

शोख घटा को छाने दो ,,…

Continue

Posted on April 5, 2012 at 2:11pm — 24 Comments

मै ..........

जीवन मुझसे हरदम जीता ,

मै सदा सदा इससे हारा ,,

आकुल मन पिंजर बंद हुआ ,

कातर घायल यह बेचारा ,,

अति गहन तिमिर में व्याकुलमन,

विस्मृति से मुझे उबारे कौन,,

यह बुद्धि मनीषा किससे पूछे,

निर्जर भी सब हो गए मौन ,,

कुसुमित होता था कुसुम जहां ,

वह बगिया भी अब सूख गई ,,

निर्झरिणी बहती थी जहां सदा,

वह अमिय जाह्नवी सूख गई ,,

हा करुणा करुण विलाप करे ,

पर नेत्र नही हैं पनियाले ,,

तट बंध भ्रमित हो यह प्रश्न करे…

Continue

Posted on March 26, 2012 at 10:00pm — 7 Comments

आशा

दूर क्षितिज प्राची की लाली ,

अरे बावरी ओ मतवारी ,

उस पल को तूँ विस्मृत कर दे ,

जीवन मे विष को जो भर दे ,

इंद्रव्रज्या नही  बन दधीचि तूँ ,

परम दंभ का ना बन प्रतीक तूँ ,

कण्ठ गरल मुख पर मुस्कान…

Continue

Posted on March 16, 2012 at 10:00am — 8 Comments

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service