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आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार पचपनवाँ आयोजन है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  20 नवम्बर 2015 दिन शुक्रवार से  21 नवम्बर 2015 दिन शनिवार तक

 

इस बार गत अंक में से दो छन्द रखे गये हैं - दोहा छन्द और रोला छन्द.

 

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

 

इन दोनों छन्दों में से किसी एक या दोनों छन्दों में प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द रचना करनी है. 

 

इन छन्दों में से किसी उपयुक्त छन्द पर आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

 

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है]

 

जैसा कि विदित ही है, छन्दों के विधान सम्बन्धी मूलभूत जानकारी इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

 

********************************************************

 

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 20 नवम्बर 2015  से 21 नवम्बर 2015 यानि दो दिनों के लिए  रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  5. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  6. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  7. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

विशेष :

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

हर एक दोहा प्रदत्त चित्र  का पूरा पूरा खाका खींच रहा है , सुन्दर सार्थक दोहावली के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीय अखिलेश जी 

आदरणीया प्रतिभाजी

उत्साहवर्धक टिप्पणी और रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार

नेता, मंत्री, सरकार और आम आदमी के रवैये से लेकर गन्दगी के सभी पहलू और प्रदूषण पर करारा कटाक्ष/व्यंग्य करते हुए जन-जागरूकता को समर्पित इस बढ़िया लयबद्ध सृजन के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी ।

आदरणीय शेख शहजाद भाई

लिखना सार्थक हुआ। उत्साहवर्धक टिप्पणी और रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार

आदरणीय शेख शहजाद भाई

लिखना सार्थक हुआ , उत्साहवर्धक टिप्पणी और रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार

आदरणीय अखिलेश जी सादर

       सुन्दर प्रस्तुति स्वच्छता अभियान के आड़ में खेले जा रहे नाटक और नेताओं की मंसा पर  आपका  व्यंग  प्रहार मन को भा गया उसी प्रकार प्रशासन के उदासीनता की ओर ध्यानाकर्षण करने हेतु  आपको ढेरों हार्दिक बधाई.

शुभारम्भ मंत्री किये, स्वच्छ शहर अभियान।

पा जायेंगे पद्मश्री, और बढ़ेगा मान॥..... सटीक व्यंग

सादर

 

आदरणीय सत्यनारायण भाईजी

लिखना सार्थक हुआ। उत्साहवर्धक टिप्पणी और रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार

आदरणीय सत्यनारायण भाईजी

लिखना सार्थक हुआ ,उत्साहवर्धक टिप्पणी और रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार

आदरणीय अखिलेश सर, शानदार दोहावली हुई है. हार्दिक बधाई. पुनः उपस्थित होता हूँ. सादर 

राज मार्ग पर देखिये, कचरों की भरमार।.........कचरों /कचरे

परेशान जनता मगर, अंध बधिर सरकार॥

कपड़े रंग बिरंग के, कचरे रंग बिरंग।................कचरे/कचरा

मक्खी मच्छर मस्त हैं, नगर निवासी दंग॥

कुंभकर्ण की तर्ज पर, सोती है सरकार।

न्यायालय फटकार दे, तब ही करें विचार॥....बहुत सटीक कहा है.

कूड़ा करकट फेंकते, जहाँ कहीं जिस ठौर।

चलो देखते हैं वहाँ, यह नाटक अब और॥.............खूब कहा है. किन्तु आशा है यह नाटक नही रहेगा. जन जाग्रति से देश स्वच्छ होगा.

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर सुन्दर दोहे रचे हैं. बहुत-बहुत बधाई.सादर.

आदरणीय अशोक भाईजी

लिखना सार्थक हुआ। सुझाव , उत्साहवर्धक टिप्पणी और रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार

कचरों /कचरे ....... कचरों .......  सही लग रहा है,,,,,  जैसे हम कहते हैं ... लड़कों की भीड़

कचरे रंग बिरंग ...... बहुवचन है इसलिए यह भी सही प्रतीत होता है ,

देखते हैं उपरोक्त दोनों पर अन्य गुणीजन क्या कहते हैं ,

सादर

आदरणीय अशोक भाईजी

इस थ्रेड में टिप्पणी बार बार डिलिट हो रही है

लिखना सार्थक हुआ। सुझाव , उत्साहवर्धक टिप्पणी और रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार

कचरों /कचरे ....... कचरों .......  सही लग रहा है,,,,,  जैसे हम कहते हैं ... लड़कों की भीड़

कचरे रंग बिरंग ...... बहुवचन है इसलिए…"

संकलन के समय तक और स्पष्ट हो जाएगी

सादर

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