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भोजपुरी साहित्य Discussions (246)

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जाड़ा बीतल,बसंत आइल (बसंत ऋतु पर भोजपुरी गीत)

जाड़ा बीतल,बसंत आइल। सब प्राणी के मन हर्षाइल।। हरियर बा धरती के आँचल, सुरुज देवता अइलन माकल, सभे रजाई छोड़ के भागल, चर-फर बा,देहिया अलसाइल।…

Started by जयनित कुमार मेहता

1 Feb 18, 2016
Reply by Shyam Narain Verma

ओ, दसरथ माँझी !

ओ ! दसरथ माँझी, ओ ! दसरथ माँझी जियरा तू पोढ़ कइलो दसरथ माँझी |   जाना उस पार बीचे बाटै पहाड़ काटौ पाथर-गरब अपार   हाथ-गोड़ लोह कइलो दसरथ माँझी…

Started by Santlal Karun

4 Feb 14, 2016
Reply by Santlal Karun

देहियाँ पे गाढ़ा चुंबन

जड़ दिहला हो, रामा ! जड़ दिहला सगरौ देहियाँ पे गाढ़ा चुंबन, जड़ दिहला |   हथवौ से जड़िला, नजरियौ से जड़िला बहियाँ में लइके अँकवरियौ से जड़िला अंगै…

Started by Santlal Karun

8 Dec 15, 2015
Reply by Santlal Karun

सदस्य टीम प्रबंधन

चुनावी दौर के बाद (दोहा छन्द) // --सौरभ

जवन चलीं हम नीक बा, तहरे बाउर चाल !                             [बाउर - ग़लतराजनीति के खेल में, कूल्हि पैंतरा गाल !!                        …

Started by Saurabh Pandey

7 Nov 13, 2015
Reply by Santlal Karun

गजल

वोटर के उद्गार भउजी कहली वोट गिरावल जाई। चलीं नेतवन के समुझावल जाई। बात बनउअल भइल बहुत अब एकनी के आज बतावल जाई। बहुते नाच नचवलख इ सब एकनी क…

Started by Manan Kumar singh

0 Oct 11, 2015

मुख्य प्रबंधक

भोजपुरी गीत : शाबास बबुआ

बबुआ बम्बई में बंगला बनवले बा, बाबू माई के अपना बइलवले बा । टिप टाप बनके रहे दुनों रे परानी, नया युग आइल मरल अखियां के पानी, बबुआ दुधवो मे…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

16 Sep 22, 2015
Reply by indravidyavachaspatitiwari

सदस्य टीम प्रबंधन

गइल भँइसिया पानी में अब (भोजपुरी नवगीत) // --सौरभ

गइल भँइसिया पानी में अब कइल-धइलसब बंटाधार !  बान्हब पगहारउए ढूँसी  सुखहा मोन्हे मूड़ी ठूँसीघींच-घाँच ले आईं रउआ  करीं फेर सेचारा-भूँसी !परल…

Started by Saurabh Pandey

1 Sep 19, 2015
Reply by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"

उछहल मन

गोरी तोहरे संगे हम तर जइबेंतूँ जो नाही मिलबू त मर जइबें तोहरे ही याद में अब जिनगी बिताइलेरोज के सपनवा में तोहरा के पाइलेटूटी जो सपना त बिख…

Started by Pawan Kumar

0 Aug 12, 2015

बात बा(भोजपुरी गजल,मनन कु.सिंह)

बात अब चुनाव के बरिआत के बा, सब त लूटेवाला,देखीं लुटात के बा? बात अब रह गइल बस जात के बा, देखीं ना अब उहाँ गभुआत के बा? का होइ,ना होइ,गइल ग…

Started by Manan Kumar singh

0 Jun 1, 2015

रूप धूप में सुखाई मत(गजल,मनन कु.सिंह)

रूप अपन धूप में सुखाईं मत एने-ओने नजर भटकाईं मत। उछहल हियरा उछलबे करी बेशी ओकरा अब दबाईं मत। कबसे चकोर बा आँख गड़वले चंदनिया अबहुँ चोराईं मत…

Started by Manan Kumar singh

0 May 29, 2015

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"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
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तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

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