आदरणीय साथियो,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
स्वागतम
फूल खिलेंगे भी
बम के धमाके और बारूद की गंध से पटे वातावरण में फूलों की तिरती सुगंध के बीच घर  - गृहस्ती छोड़कर सुरक्षित स्थान की तरफ जाते हुए व्यक्ति ने फूल के पौधे रोपती वृद्ध महिला से पूछा, 'इस महाविनाश की घड़ी में फूलों का क्या काम, मां? सब कुछ तो उजड़ा जा रहा है। '
'सच है, बेटा।पर ये फूल सदा सुगंध बिखेरेंगे। मुरझाएंगे। खिलेंगे भी। बम -बारूद की आग ठंडी पड़ जायेगी।'
" मौलिक एवं अप्रकाशित"
संदेश देती सुन्दर रचना।बहुत-बहुत बधाई, सर
आपका आभार आ.बबिता जी।
आदरणीय मनन जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति. हार्दिक बधाई. सादर
आदरणीय मिथिलेश जी,आपका आभार।
बहुत सार्थक रचना है।
आपका आभार दिव्या जी।
आ. मनन कुमार सिंह, लघु कथा के स्वरूप और मर्म को आप बेहतर समझते हैं, स्वाभाविक है, प्रस्तुति दमदार है, बधाई !
आपका आभार आ.चेतन प्रकाश जी।
सामयिक और प्रभावशाली रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन जी
हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बेहतरीन लघुकथा।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
    © 2025               Created by Admin.             
    Powered by
     
    
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |