For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 54

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 53 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह भारत के प्रसिद्ध शायर जनाब बशीर बद्र साहब की ग़ज़ल से लिया गया है| पेश है मिसरा ए- तरह 

 

"ये चाँद बहुत भटका सावन की घटाओं में "

221 1222 221 1222

मफऊलु मुफाईलुन मफऊलु मुफाईलुन
(बह्र: बहरे हज़ज़ मुसम्मन अखरब)
रदीफ़ :- में
काफिया :- आओं(घटाओं. हवाओं, दुवाओं आदि )

 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 26 दिसंबर दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 27 दिसंबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 26 दिसंबर दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 13442

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

 

जब रात पिघलती है सुनसान फिजाओं में 
आवाज कसकती है ख़ामोश सदाओं में 

वाह ! मत्ले के शाब्दिक प्रभाव से उत्पन्न दृश्य से बंध गया हूँ आदरणीय, बमुश्किल आगे बढ़ पा रहा हूँ।

सादर नमन आपको। 

आपकी ग़ज़ल अब भी मेरे मन में लहरें बना रही है.

आप जैसे सुगढ़ ग़ज़लकार से प्रशंसा पाना संतुष्टिदायी है, आदरणीय गजेन्द्र भाईजी.

बहुत खूब भावपूर्ण  रचना  हुई है, ये पंक्तिया तो  लाजवाब  है -

इतिहास के पन्नों में इक जिक्र नहीं, जिनका 
आदम तो भला आदम, था ख़ौफ़ खुदाओं में ----- गजब का शेर

बंदूक कभी दुनिया बदली है न बदलेगी 
कुछ लोग मगर करते व्यापार नफाओं में ------  वास्तविकता 

बहुत बहुत  बधाई  आदरणीय 

उत्साहवर्द्धन के लिए सादर आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसादजी.

सर जी, आप जी की गजल के साथ और दोस्तों की गजलों से बहुत कुछ शीखने को मिलता है, जिसकी बदोलत हम भी गजल कहने का प्रयास करते है 

आदरणीय मोहन भाई, आपकी प्रशंसा अतिरेक कारण बन रही है. 

सादर आभार.

जब रात पिघलती है सुनसान फिजाओं में
आवाज कसकती है ख़ामोश सदाओं में

दिल जीत लेने वाला मतला हुवा है आदरणीय....

क्या बात न जाने थी पर मेरी ग़ज़ल सुन कर
ये चाँद बहुत भटका सावन की घटाओं में

और गिरह तो क्या कहने....

जिस पेड़ की किस्मत में चिड़ियों की न हो खुशियाँ
चुपचाप खड़ा अक्सर रोता है दुआओं में

क्या  कमाल दिखाया है इस शेर नें....

हरकत ही बताती है व्यवहार हथेली का
हर दीप परखता है तूफ़ान हवाओं में

दीपों को परखना तूफ़ान का क्या बात है 

अहसान भुला कर वो सम्बन्ध मिटा बैठे
अब खूब भुनाते हैं, अहसास सभाओं में

सभाओं में इस तरह की मनोमनी और इससे होती पीड़ा....

इतिहास के पन्नों में इक जिक्र नहीं, जिनका
आदम तो भला आदम, था ख़ौफ़ खुदाओं में

कुछ वाकिये होते ही ऐसे हैं साहब की खुदा भी खौफ खा जाये, तो इतीहासकी मजाल ही क्या कि उसका जिक्र कर पाए...


बंदूक कभी दुनिया बदली है न बदलेगी
कुछ लोग मगर करते व्यापार नफाओं में

काश हिटलर ये बात जान पाया होता और जान पाते वो लोग जो इस व्यापर में आज भी हैं....

आदरणीय पूरी ग़ज़ल एक नायब तुहफा है इस तरही को....बधाई स्वीकार करें.....

आदरणीय भुवन भाईजी, आपने मान दिया आपका सादर आभार.

इतिहास के पन्नों वाले शेर को अपने थ्रेड में मैंने वीनस भाई की टिप्पणी में तफ़्सील से समझाया है, कृपया देख लीजियेगा..

ग़ज़ल बेहद सुंदर हुई है आ० सौरभ भाई जी, जिसके लिए हार्दिक बधाई निवेदित है।  आपकी ग़ज़ल पर बहुत लम्बी चौड़ी चर्चा पहले ही हो चुकी है, जिसमे मैं चाह कर भी भाग न ले सका। बहरहाल, आखरी शेअर में शब्द "नफ़ाओं" को एक दफा फिर से देख लें - शब्द जाना पहचाना नहीं लग रहा है। 

आदरणीय योगराजभाईजी, आपकी उपस्थिति का आभार.

आदरणीय, नफ़ा का अर्थ फ़ायदा ही है जो नुकसान का उलट हुआ करता है. इसीका बहुवचन नफ़ाओं किया गया. आदरणीय एहतराम भाई के सौजन्य से ज्ञात हुआ है कि नफ़ा उर्दू में वस्तुतः नफ़्अ होता है जिसका बहुवचन नफ़्ओं होगा. किन्तु यह हिन्दी में अप्रचलित शब्द है.
सादर
 

इतिहास  लिखा तुमने  , मासूम  अदाओं में

दो नाम खुदे दिखते , हर  ओर  शिलाओं में

“सौंदर्य” समझने को, जप-तप हैं किये बरसों  

तब फर्क समझ आया , जुल्फों में-जटाओं में

अनमोल बड़ा जीवन , मत व्यर्थ गँवाओ पल

है सार लिखा  पढ़ लो, वेदों की  ऋचाओं में

गैरों की अमानत से, कब प्यास बुझी किसकी

"ये चाँद बहुत भटका सावन की घटाओं में "

वो स्वप्न दिखाता है, झूठे ही सही लेकिन

पुरजोर बजी ताली, अब उसकी सभाओं में

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

क्या प्रभावशाली लेखन है। कलम तोड़ कर रख दी है। किस शे'र की तारीफ़ करूँ?? कमाल कर दिया। सर जी

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service