आदरणीय साथिओ,
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ह्रदयतल से आभार आपका आ.अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी
आपको लघु-कथाए पसंद आई यह जानकार प्रसन्नता हुई | बहुत बहुत आभार आपका आ. Nita Kasar जी | सादर
अच्छा प्रयास हुआ है आ० लक्ष्मण रामानुज लडीवाला
हार्दिक आभार आपका डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी
बहुत बहुत आभार आपका श्री महेंद्र कुमार जी |
दोनों ही कथाएं सुंदर हुई है आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी | बधाई स्वीकारें |
लघु-कथाए पसंद कर उत्साहवर्धन करने के लिए हार्दिक आभार आपका आदरणीया कल्पना भट्ट जी | सादर
हार्दिक आभार आपका आदरणीया Rahila जी | सादर
सेल्फी से मुक्ति
[प्रथम प्रस्तुति]
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“ अंकल मुझे अगवा क्यों किए और मेरा स्मार्ट फोन कहाँ है ? ”
“ मैं अंकल नहीं यमराज हूँ ,सेल्फी लेते समय तुम गिरते ही मर गई।” चित्रगुप्त, इसके कर्मों का लेखा जोखा प्रस्तुत करें।
“ महाराज, स्वच्छंद जीवन जीने वाली रईस पिता की इस बिग़ड़ैल बेटी पर मांस मदिरा का सेवन करने, कभी नग्न कभी अर्धनग्न अवस्था में सेल्फी लेकर फेस बुक व्हाट्स एप में डालने और खतरनाक सेल्फी के कारण आत्महत्या का दोष भी लगा है। सभी अपराधों की सजा नर्कवास है, पुण्य का खाता अब तक खाली है।”
“ नर्क नहीं मैं दिल्ली जाना चाहती हूँ। मेरे बगैर मॉम डैड फ्रेंड्स प्रोफेसर पड़ोसी सभी दुखी होंगे।”
“ तुमने अल्प आयु में घोर अपराध किए इसलिए तीन वर्ष तक नर्क की यातना भोगनी होगी।”
“ क्या उसके बाद मृत्यु लोक जाऊँगी या सदा के लिए मेरी मुक्ति हो जाएगी?”
“ नर्क वास के बाद मनुष्य योनि से मुक्ति तो मिल जाएगी पर मृत्यु लोक से नहीं। बरसों निर्वस्त्र सेल्फी लेने के कारण तुम्हें पशु योनि में जन्म लेना होगा, उस योनि में वस्त्र और सेल्फी दोनों से तुम्हें मुक्ति मिल जाएगी।”
“ यह अन्याय है, मुझे देखकर अच्छे अच्छों की नीयत खराब हो जाती है, अंकल कहीं आप भी.......।”
“अभद्र बालिके !! अपनी वाणी को लगाम दो। यमलोक में सिर्फ न्याय होता है, धरती की तरह अन्याय नहीं।”
चित्रगुप्त इसे शीघ्र नर्क लोक भेजने की व्यवस्था करें।
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