For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-109

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 109वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब मज़हर इमाम साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"कुछ लोग अभी लौट के आए हैं सफ़र से "

221       1221     1221        122

मफ़ऊलु     मुफाईलु       मुफाईलु       फ़ऊलुन

(बह्र: हजज मुसम्मन् अखरब मक्फूफ महजूफ)

 

रदीफ़ :- से

काफिया :- अर( सफर, हुनर, घर, सहर, नज़र, सर आदि)

मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 26 जुलाई दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 27 जुलाई दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा, अर्थात मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है |

 

नियम एवं शर्तें:-

 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

 

विशेष अनुरोध:-

 

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

 

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 26 जुलाई दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन

बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

 

मंच संचालक

राणा प्रताप सिंह 

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 9441

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

ना लौटने का फैसला कड़वा है जहर से।
दिल बैठ गया है तेरे जाने की खबर से।।१।।


पूछेंगे हंसी राहों में क्या-क्या थे नजारे।
कुछ लोग अभी लौट के आए हैं सफ़र से।।२।।


जब बेवफा के नाम से बदनाम हुए हम।
तब हो गए आजाद जमाने की फिकर से।।३।।


नफरत के हो या फिर तेरे जज्बात के बादल।
बरसे जो कभी हम पे, तो जी जान से बरसे।।४।।


आसूं थे बड़े चैन से आंखों के मकां मैं।
देके गम आखिर में निकाले गए घर से।।५।।


हाले दिल किस से कहें बोलो कहें कैसे।
घायल हुए थे हम भी कभी तीरे नजर से।।६।।


कितनी भी 'अमित' भूलने की तुम करो कोशिश।
आऊँगा बहुत याद जो गुजरोगे इधर से।।७।।


मौलिक एवं अप्रकाशित

अच्छी कोशिश हुयी आदरणीय  अमित कुमार जी मतले मे जहर लेना कितना उचित है गुणी जन प्रकाश डालेंगे क्योंकि हमारी जानकारी मे सही शब्द ज़ह्र 2 1 है उसी तरह ना को न 1 लेना उचित है, ऐसा कही पढ़ा था बाकी गुणीजन  इस विषय पर प्रकाश डालें  तो जानकारी 

में इजाफा हो |

नादिर खान जी गजल पसंद करने और हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आप सही कह रहे हैं इसको सही करने का प्रयास करता हूं धन्यवाद

मान रखने का धन्यवादआदरणीय अमित जी , हम सब विद्यार्थी है एक दूसरे से सीखते है |

अच्छी गजल कही है अमित जी। बधाइयाँ।गजल में ना का प्रयोग वर्जित माना जाता है। कुछ टंकण त्रुटियाँ भी दिख रही हैं।

आदरणीय अरुण कुमार सिंह गजल पसंद करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद कृपया संशोधित गजल पर एक बार नया डालें और मार्गदर्शन करें सादर

देखा था मुझे आपने जब वैसी नज़र से
अब तक भी धड़कता है़ ये  दिल उसके असर से 

नज़रें मिली जो मुझसे तेरी दिल को  लगा यूँ 
पिघला कोई सीसा तेरी आँखों के हुनर से

यह देख फ़िज़ा  के हुए रुख़सार गुलाबी 
लिपटी है कोई  बेल किसी तन्हा शजर से

मुझको है़ पता तू कहाँ रहती है़ मुहब्बत 
रस्ता तेरा जाता है़ मेरे दिल की डगर से 

जिस राह मेंं तेरी न मुझे छाँव मिलेगी 
गुज़रुँ न कभी देख मैं उस राह गुज़र से

ए धूप जरा भेज किसी छाँव को ज़ल्दी 
  लौटी है़ मेरी ज़िंदगी सहरा के सफ़र से 


गिरह 

ए धूप जरा भेज किसी छाँव को ज़ल्दी 
कुछ लोग अभी लौट के आये हैं सफ़र से

मौलिक एवं अप्रकाशित 

आदरणीया राजकुमारी जी एक अच्छी ग़ज़ल कहने के लिए बहुत-बहुत बधाइयां।

देखा था मुझे आपने जब वैसी नज़र से
अब तक भी धड़कता है़ ये  दिल उसके असर से 

इस शेर में "वैसी नजर" का भाव स्पष्ट नहीं लग रहा है। इस शेर के ऊला को ऐसे कर ले तो कैसा रहेगा।

देखा था मुझे आपने जब तिरछी नज़र से

अथवा

देखा था मुझे आपने तब कैसी नज़र से

आभार।

आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया .आपकी बात भी सही है मगर ये एक मुसलसल ग़ज़ल कही है जिसके वैसी की पुष्टि नीचे के शेर कर रहे हैं 

आम बोलचाल में भी वैसी नज़र कह देते  हैं इशारों में कैसी नज़र बताना मेरे ख़याल से इस ग़ज़ल में सपाट बयान बाज़ी हो जाती .

"वैसी नज़र" यानी प्यार की नज़र ।

आदरणिया राजेश कुमारी जी
अच्छी ग़ज़ल कहने के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार
करें।
आदरणिय अमित जी से सहमत।
किसी छाँव पर शंकाहै।

बहुत बहुत शुक्रिया रचना जी आपको ग़ज़ल पसंद आई .किसी छाँव से तात्पर्य है पेड़ की छाँव ही नहीं आँचल की छाँव भी होती है उसी बात को दिमाग में रखते हुए किसी छाँव कहा है |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
15 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service