For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया छंद-. [अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के उपलक्ष्य में]

खेती में घाटा हुआ, कृषक हुए मजबूर।
क्षुधा मिटाने के लिए, बने आज मजदूर।।
बने आज मजदूर, हुए खाने के लाले।
चले गाँव को छोड़, घरों में डाले ताले।।
खाली है चौपाल, गाँव में है सन्नाटा।
फाँसी चढ़े किसान, हुआ खेती में घाटा।।
2-
बिकने को बाजार में, खड़ा आज मजदूर।
फिर भी देश महान है, उनको यही गुरूर।।
उनको यही गुरूर,नहीं अब रही गरीबी।
वह खुद हुए धनाड्य,साथ में सभी करीबी।।
नेता शासक वर्ग, सभी लगते घट चिकने।
लेते आँखें मूँद, खड़ा है मानव बिकने।।
[मौलिक व अप्रकाशित]
**हरिओम श्रीवास्तव**

Views: 579

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hariom Shrivastava on May 8, 2019 at 12:43pm

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी।

Comment by Hariom Shrivastava on May 8, 2019 at 12:42pm

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी। मजदूर व मजबूर से भारत को मुक्ति मिले या न मिले आदरणीय, पर मैं आगे से अवश्य ध्यान रखूँगा। हा हा हा

Comment by Hariom Shrivastava on May 8, 2019 at 12:40pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुरुक्षत्रप' जी।

Comment by नाथ सोनांचली on May 8, 2019 at 3:52am

आद0 हरिओम श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन। बढिया कुण्डलिया रची आपने, बधाई स्वीकार कीजिये


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 6, 2019 at 8:42am

आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी, आपकी प्रस्तुतियों से जो भावबोध निस्सृत हो रहा है, वह आजके रचनाकर्म को भी गरिमामय कर रहा है. मज़दूर और मज़बूर की तुकान्तता से समाज को जितनी शीघ्रता से छुटकारा मिले भारत देश का भला होगा. 

आपकी दोनों कुण्दलियों के कथ्य आजके यथार्थ को सशक्तता से अभिव्यक्त कर रहे हैं. हार्दिक बधाइयाँ 

सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 5, 2019 at 6:29am

आ. भाई हरिओम जी, बहुत ही सार्थक दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।

Comment by Hariom Shrivastava on May 4, 2019 at 10:35am

"हार्दिक आभार आदरणीय Samar Kabeer जी। आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।"

Comment by Samar kabeer on May 2, 2019 at 11:51am

जनाब हरिओम श्रीवास्तव जी आदाब,मज़दूर दिवस पर अच्छे कुण्डलिया छन्द लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service