For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

३ क्षणिकाएं :

तृप्त हो गए
चक्षु
पिघला कर
एक पाषाण से बोझ को
हृदय की
स्मृति श्रृंखला से

.......................

मृत्यु
किसी जीवंत स्वप्न का
यथार्थ है
ज़िंदगी
यथार्थ का
आभास है
प्रीत
आभास में निहित
विश्वास है

...............................

कुछ टूटा
कुछ छूटा
प्रीत पथ के
अंतस से
वेदना साकार हुई
बुत बनी आँखों से
अनुत्तरित एकांत
विकलता का पर्याय बना
बीता क्षण
स्मृतिपृष्ठ का
अविनाशी अध्याय बना

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 515

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 16, 2019 at 5:33pm

आदरणीय Mahendra Kumar जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 16, 2019 at 5:33pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Mahendra Kumar on January 16, 2019 at 11:12am

आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी तीनों क्षणिकाएँ उम्दा हैं. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. //विश्वास है// सादर.

Comment by नाथ सोनांचली on January 16, 2019 at 6:15am

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। तीनों क्षणिकाएँ उत्तम हैं। इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on January 11, 2019 at 6:51pm

आदo  सुचिसंदीप अग्रवाल जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 11, 2019 at 6:50pm

आदरणीय  PHOOL SINGH जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 11, 2019 at 6:50pm

आदरणीय  Samar kabeer जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" on January 11, 2019 at 8:53am

सुशील सरना जी, बहुत ही उम्दा, उत्तम रचना। सृजन हेतु हार्दिक बधाई

Comment by PHOOL SINGH on January 10, 2019 at 12:00pm

"सरना जी" बहुत सूंदर रचना बधाई स्वीकारें

Comment by Samar kabeer on January 9, 2019 at 11:36am

जनाब सुशील सरना जी आदाब,तीनों क्षणिकाएँ उत्तम हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service