For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा संकलन :

नैन करें अठखेलियाँ, स्पर्श करें संवाद।
बाहुबंध में हो गए, अंतस के अनुवाद।१ ।

नैन शरों के घाव का ,अधर करें उपचार।
श्वास-श्वास में खो गयी,स्पर्श हुए साकार।२ ।

नैन विरह में प्रीत के ,बरसे सारी रात।
गूँगे स्वर करते रहे, मौन पलों से बात।३ ।

अद्भुत पहले प्यार का, होता है आनंद।
देह-देह में रागिनीं , श्वास -श्वास मकरंद।४ ।

केशों में जूही सजे , महके हरसिंगार।
नैनों की हाला करे, रिन्दों का सत्कार ।५ ।

दिल से दिल की कीजिये, निजी पलों में बात।
बीत न जाए व्यर्थ के, संवादों में रात।६ ।

अर्थ निरर्थक हो गए, व्यर्थ हुए सब भाव।
मेघा बन रिसने लगे, मधुपल बन कर घाव।७ ।

पुष्प सुवासित सेज भी, दिल को लगती व्यर्थ।
बिन साजन शृंगार भी, खो देता है अर्थ।८ ।

भीगी-भीगी जब चले, मस्ती भरी बयार।
कैसे विस्मृत हो भला, वो सावन का प्यार।९ ।

मद से बढ़ती अंधता, धन से बिगड़े चाल।
बिना रूप शृंगार के , दर्पण भी कंगाल।१० ।

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 548

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2018 at 4:34pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी सादर प्रणाम , सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आभार व्यक्त करने में हुए विलम्ब के लिए क्षमा।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 21, 2018 at 8:13pm

नैन करें अठखेलियाँ, स्पर्श करें संवाद। 
बाहुबंध में हो गए, अंतस के अनुवाद।१ ।-------------बहुत खूब सरना जी  I 

Comment by Sushil Sarna on December 19, 2018 at 7:30pm

आदरणीय   डॉ छोटेलाल सिंह जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on December 19, 2018 at 8:53am

आदरणीय सुशील सरना जी सादर अभिवादन बहुत ही आकर्षक दोहावली के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2018 at 6:03pm

आदरणीय फूल सिंह जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2018 at 6:03pm

आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब , प्रस्तुति को आत्मीय मान देने का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2018 at 6:02pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by PHOOL SINGH on December 17, 2018 at 2:55pm

बहुत ही सूंदर तरीके से फ़िरोही गई दोहावली बधाई स्वीकारे

Comment by Samar kabeer on December 17, 2018 at 11:10am

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छे दोहे लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by narendrasinh chauhan on December 15, 2018 at 5:59pm

खूब सुन्दर दोहावली 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service