For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार सत्तासीवाँ आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

20 जुलाई 2018 दिन शुक्रवार से 21 जुलाई 2018 दिन शनिवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

कुकुभ छंद और कुण्डलिया छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

कुकुभ छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

कुण्डलिया छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  20 जुलाई 2018 दिन शुक्रवार से 21 जुलाई 2018 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 5151

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

कविवर नीरज के गोलोकवासी होने की सूचना पर इस बार का आयोजन उनके नाम .. 

कविवर नीरज जी को हम सबकी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि। ॐ शांति

कविवर " नीरज" का जाना पूरे भारतवासियों के लिए हृदय विदारक घटना है। भगवान श्री कृष्ण हम सब के चहीते  मधुर और रसिक गीतकार को अपने चरणों में स्थान दें। गोलोक में होगा दोनों रसिकों का मिलन।

सुधीजनो ! सत्य तो यह है कि मैं कल मिली नीरज जी के गोलोकवासी होने की सूचना के कारण इस बार छंदोत्सव के आयोजन के प्रारम्भ को लेकर एकमत नहीं हो पार हा था.

हृदय कुछ वर्ष पूर्व ही ओबीओ के पन्द्रह सदस्यों द्वारा चयनित कविताओं के संकलन ’परों को खोलते हुए’ के विमोचन की उस स्वप्न-सरीखी घड़ी का भावमय स्मरण कर बारम्बार उद्विग्न हो रहा था. अंजुमन प्रकाशन, इलाहाबाद, द्वारा प्रकाशित उक्त कविता-संग्रह के सम्पादन का दायित्व मुझ पर था तथा विमोचन गीत-ऋषि गोपालदास नीरज के कर-कमलों सम्पन्न हुआ था.

उस समृद्ध आयोजन में मंच पर छंद-धुरंधर दादा सोम ठाकुर, कविता की दुनिया की प्रखर संज्ञा नरेश सक्सेना, हिंदी ग़ज़लों के लब्धप्रतिषिठित नाम एहतराम इस्लाम, नवगीत विधा के वरिष्ठ नाम मधुकर अष्ठाना तो थे ही, लेकिन जिस अद्भुत व्यक्तित्व ने पूरे समारोह को एकसूत्र में बाँधे हुए उपस्थित सुधी-समाज को सम्मोहित कर रखा था, वे तो नीरज ही थे. उन्होंने हम सभी उत्साहियों को अपने मुखर आशीष से उस संझा न केवल विनीत किया, बल्कि जबतक रहे हमें सतत अभ्यासरत रहने की शुभकामनाओं से आप्लावित करते रहे. इस तौर पर ओबीओ का नीरज जी के साथ एक विशेष अपनापा-सा बना था. उक्त आयोजन की अत्यंत धनी स्मृति ओबीओ के उन सभी कवियों और सदस्यों के लिए आज भी गरिमा और गौरव के साथ अक्षुण्ण है.  

इस कारण, मैं रात भर ऊहापोह में रहा कि आयोजन प्रारम्भ हो या न हो. फिर ’कार्य निरंतर चलायमान रहे’ की अवधारणा की सनातनता ने प्रोत्साहित किया और आयोजन को प्रारम्भ कर अपनी अवश वैचातिकता से बाहर निकल आया. 

विश्वास है, आप सभी सुधीजन मेरी पारिस्थिक सोच को समझ कर, आयोजन में पूर्ववत सहयोग देंगे. 

सादर

 

आदरणीय सौरभ भाईजी

यह सही निर्णय है। वरना हम एक माह पीछे हो जाते। निर्धारित दिन और समय पर आयोजन का होना ही कविवर नीरजजी को सच्ची और भावपूर्ण श्रद्धांजलि है।

एक सुझाव – छंदोत्सव का आयोजन पूर्व की तरह शनि रवि दो दिनों के लिए हो। रविवार का लाभ लेने से रचनाकारों की संख्या में स्वाभाविक वृद्धि होगी। यह हम सबने छंदोत्सव अंक 86 और पूर्व के आयोजनों में देखा और अनुभव किया है।

सादर

आपका सुझाव तर्कसम्मत है आदरणीय अखिलेश भाई.

वस्तुतः ओबीओ के आयोजन पहले शनीचर और रविवार को ही हुआ करते थे. लेकिन बाद में आदरणीय योगराज भाई के आग्रह पर इसे शुक्र-शनी कर दिया गया. भाई साहब, तब आयोजनों में प्रतिभागी और पाठक सदस्यों की महती संख्या हुआ करती थी तथा आयोजन में पहली ही रचना पर औसतन चार से पाँच पेज़ तक टिप्पणियाँ आया करती थीं. 

अब मैं भी सोचता हूँ, ’चित्र से काव्य तक छंदोत्सव का आयोजन शनी-रवि ही हुआ करे. 

धन्यवाद , हम सब की हार्दिक शुभकामनाएँ सदा आपके और ओबीओ के साथ है।

A) कुकुभ छंद

(1) सुनो सुनो पैगाम निराला, फोटो आया है लेकर |
होने लगा नीर भी अब कम, अपनी धरती के अंदर |
लगता है बच्ची प्यासी है, कोई यह पम्प चलाना |
रखना ध्यान मगर है यह भी, बेकार न नीर बहाना |

(2) पम्प नहीं पानी का कोई, शायद मकतब के अन्दर |
इसी लिए आई है बच्ची, पानी पीने को बाहर |
इंतज़ाम भी जिस मकतब में, सरकार नहीं करवाए |
जाकर कहाँ वहाँ का बच्चा, होटों की प्यास बुझाए |

(3) पहुँचा दो सरकार तलक यह, कोई पैगाम हमारा |
किसी गाँव में आ कर देखे, गुरबत का बुरा नज़ारा |
नहीं गाँव में पम्प एक भी, दूरी से पानी लाएँ |
पम्प लगाएँ या फिर रहबर, पानी घर घर पहुंचाएं |

(B) कुंडलियां

(1) पानी से है ज़िंदगी, जीवन से है नीर
सुनो ज़रा पैगाम यह, देती है तस्वीर
देती है तस्वीर, न बेजा इसे बहाना
यही वक़्त की माँग, इसे है हमेँ बचाना
कहे यही तस्दीक, करेंगे गर मनमानी
पीने को भी यार, न मिल पाएगा पानी

(2) बच्ची किसी गरीब की, चहरा लिए उदास
नल के नीचे बैठ कर, बुझा रही है प्यास
बुझा रही है प्यास, किस तरह यह बेचारी
सोच रही कुछ और, मुक़द्दर की यह मारी
कहे यही तस्दीक, बात सबसे यह सच्ची
हाथों से ख़ामोश, नीर पीती है बच्ची

(3) आलम का यह ढ़ंग है, जग का यह दस्तूर
करता है तू किस लिए, ए इंसान गुरूर
ए इंसान गुरूर, हैसियत क्या है तेरी
क़ुदरत को मत छेड़, हो नहीं जाए देरी
कहे यही तस्दीक, नीर हो गया अगर कम
पानी पर ही जंग, करेगा सारा आलम

नीर _पानी, मकतब _पाठशाला, गुरबत _गरीबी, बेजा _बेकार, आलम _दुनिया
आब _पानी

(मौलिक व अप्रकाशित)

कवि सम्मेलनों /मुशायरे के मंच का एक और सितारा डूब गया l नीरज साहब मेरे पड़ोसी ज़िले से त्अललुक   रखते हैं , 1992 में आगरा में एक कवि सम्मेलन /मुशायरे में उनके साथ मैंने शिर्कत कीहै l ख़ुदा उनके परिवार को सब्र और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे l

वाह! वाह! वाह! मज़ा आ गया , मज़ा आ गया। क्या ख़ूब पैनी क़लम चलाई है । हज़ाऱों दाद आपको इस शानदार और सीख देती पेशकश पर । आयोजन का लाजवाब आगाज़ करने , प्रदत्त चित्र का शब्दांकन के लिए दिली मुबारकबाद आदरणीय तस्दीक़ अहमल साहब । पुन: ज़िंदाबाद ! ज़िंदाबाद ! ज़िंदाबाद !

मुहतरम जनाब आरिफ साहिब आ दाब, छन्दों पर आपकी बेबाक, ज़बर्दस्त, सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया l

आद0 तस्दीक अहमद खान जी सादर अभिवादन। बहुत बेहतरीन रचना। अच्छा लगा पढ़कर। बहुत बहुत बधाई आपको। सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
9 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
22 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service