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(2122-2122-2122-212)

मुश्किलें कितनी हैं अपने दरमियाँ गिनता रहा ।
बैठ कर मैं राह की दुश्वारियाँ गिनता रहा ।

आँखों में अश्कों का दरिया चढ़ के जब उतरा तो फ़िर,
मैं तो बस ख़्वाबों की डूबी कश्तियाँ गिनता रहा ।

और करता भी तो क्या वो नौजवां बेरोज़गार,
दी हैं कितनी नौकरी कीअरज़ियाँ गिनता रहा ।

राजनेता को न था मतलब किसी इंसान से,
वो तो केवल धोतियाँ और टोपियाँ गिनता रहा ।

वो रहे गिनते मुनाफ़ा कारख़ाने का उधर,
मैं इधर दरिया में मरती मछलियाँ गिनता रहा ।

नाम पर आतंकियों के ले के निर्दोषों की जान,
वो लगीं कंधों पे अपनी फीतियाँ गिनता रहा ।

लहलहाती फ़स्ल पर जब बर्फ़ बारी हो गई
खेत में दहक़ान टूटी बालियाँ गिनता रहा । 

क्या ग़ज़ल पढ़ता भला ' जम्मू' गया जब मंच पर,
धीरे धीरे ख़ाली होती कुर्सियाँ गिनता रहा ।

(मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment by Gurpreet Singh jammu on February 15, 2023 at 9:00pm

आदरणीय अजय तिवारी जी, आदरणीय विजय निकोरे जी हालांकि बहुत देर कर दी है मैने लेकिन बहुत शुक्रिया आपका ग़ज़ल पसन्द करने के लिए

Comment by vijay nikore on July 12, 2018 at 1:00pm

वाह, सच मज़ा आ गया आपकी गज़ल पड़ कर। हार्दिक बधाई।

Comment by Ajay Tiwari on July 11, 2018 at 6:52am

आदरणीय गुरप्रीत जी,

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई. 

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 10, 2018 at 3:34pm

शुक्रिया नीलेश सर जी ...इस ज़मीन पर आपकी और समर सर जी की बेहतरीन गजलें पढ़ कर ही ये ग़ज़ल कहने की प्रेरणा मिली 

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 10, 2018 at 3:33pm

शुक्रिया आदरणीय सुशील सरना जी ..आपको कोशिश पसंद आई , अच्छा लगा 

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 10, 2018 at 3:32pm

shukriya aadarniya . neelam upadhyaya ji 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 10, 2018 at 9:17am

आ. गुरप्रीत जी,
आप का इंतज़ार था. आप की ग़ज़ल का अंदाज़ आकर्षित करता है,,
बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है.. बधाई स्वीकार करें 

Comment by Sushil Sarna on July 9, 2018 at 2:35pm

आँखों में अश्कों का दरिया चढ़ के जब उतरा तो फ़िर,
मैं तो बस ख़्वाबों की डूबी कश्तियाँ गिनता रहा । ... वाह आदरणीय बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बनी है। हार्दिक बधाई।

Comment by Neelam Upadhyaya on July 9, 2018 at 1:37pm

आदरणीय  गुरप्रीत सिंह जी, खूबसूरत ग़ज़ल की पेशकश के लिए मुबारकबाद ।  

Comment by Samar kabeer on July 9, 2018 at 11:11am

भाई आप अच्छा लिखते हैं,मैंने तो कुछ शब्द इधर उधर किये हैं बस ।

कृपया ध्यान दे...

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