For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"सरकार, आज अगर एक बार देख लिया जाए तो हमका तसल्ली होइ जात", लच्छू की आवाज़ बहुत घबराई लग रही थी| उसने एक बार सर ऊपर उठाया और लच्छू को गौर से देखा, दोनों हाथ जोड़े हुए उसका चेहरा बेहद कातर लग रहा था|
"किसको देखना था लच्छू?, लच्छू कई बार किसी के लिए कह रहा था, इतना तो याद आया लेकिन किसके लिए कहा था, याद नहीं आया| कितनी बार तो टाल चुके हैं इसको, फिर भी!
"सरकार, पतोहू कई दिन से बीमार है और लड़का बाहर काम करत है, एक बार आप देख लेते तो ठीक हो जात", लच्छू की आवाज़ में अब थोड़ी उम्मीद जग गयी|
एकदम से उनके अंदर आग लग गयी, अब उनको लच्छू जैसे के घरवालों को देखना पड़ेगा, वह भी बिना पैसे| उनका चेहरा सख्त पड़ने लगा और वह जलती आँखों से लच्छू को फटकार कर भगाने वाले थे कि उनकी निगाह लच्छू की निगाह से मिली| एकदम से उनको लच्छू का चेहरा अपने जैसा लगने लगा और कल का वाक़या उनके जेहन में नाचने लगा|
"अरे सर, हम लोग हर काम नियम से करते हैं और बाकायदा टैक्स चुकाते हैं", इनकम टैक्स अधिकारी के सामने बैठे वह उसको लगभग गिड़गिड़ाने हुए समझाने का प्रयास कर रहे थे|
और वह झटके से उठ खड़े हुए "चलो लच्छू, देख लेते हैं| और दवा यही से ले लेना, मैं बोल दूंगा", कहते हुए उन्होंने लच्छू का कन्धा थपथपाया और बाहर निकल गए|
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 527

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on October 23, 2017 at 10:26am

बहुत बहुत आभार आ लक्मण रामानुज लड़ीवालाजी और सलीम रज़ा रेवा जी   

Comment by SALIM RAZA REWA on October 19, 2017 at 9:44am
आ. ख़ूबसूरत लघुकथा के लिए मुबारक़बाद.
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 18, 2017 at 5:44pm

अच्छी लगी लघु कथा  ! बधाई स्वीकारे 

Comment by विनय कुमार on October 18, 2017 at 5:04pm

बहुत बहुत आभार आ मोहतरम समर कबीर साहब 

Comment by Samar kabeer on October 18, 2017 at 2:51pm
जनाब विनय कुमार जी आदाब,अच्छी लगी आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by विनय कुमार on October 18, 2017 at 11:31am

बहुत बहुत आभार आ शेख शहज़ाद साहब 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 18, 2017 at 11:13am
आइना दिखाती हुई, सबक़ देती हुई बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब विनय कुमार साहब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
3 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
5 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service