For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 1212 22
उस से मिलकर तुझे हुआ क्या है ।
पूछते लोग माजरा क्या है ।।

सच बताने पे आप क्यूँ रोये ।
आइने से हुई ख़ता क्या है ।।

है तबस्सुम का राज क्या उनके ।
आंख में गौर से पढा क्या है ।।

अश्क़ हैं बेहिसाब हिस्से में ।
ज़श्न के वास्ते बचा क्या है ।।

इस तरह रोकिये नहीं मुझको ।
पूछिये मत मेरा पता क्या है ।।

आप मतलब की बात करते हैं ।
आपके साथ फायदा क्या है ।।

छोड़िये बात आप भी उसकी ।
उसकी बातों में अब रखा क्या है ।।

गर्म चर्चा है दिलब है जलाने की ।
देखिए फिरव धुँआ उठा क्या है ।।

जी रहा हूँ तमाम गर्दिश में ।
अब सिवा इसके रास्ता क्या है ।

चाँद निकलेगा उस दरीचे से ।
आसमाँ को तू देखता क्या है ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 762

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on October 12, 2017 at 10:57am
सब त्रुटियाँ तो ठीक हो गईं लेकिन ये शैर :-
'गर्म चर्चा है दिलब है जलाने की
देखिये फिरव धुआँ उठा क्या है'
इसे भी दुरुस्त कीजिये ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on October 11, 2017 at 11:35pm
आ 0 मु0 आरिफ साहब सादर आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on October 11, 2017 at 11:34pm
आ0 राजा नवादवी साहब सादर आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on October 11, 2017 at 11:33pm
आ0 कल्पना भट्ट जी नमन
Comment by Naveen Mani Tripathi on October 11, 2017 at 11:32pm
आ0 सालिम रजा रेवा साहब सादर आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on October 11, 2017 at 11:31pm
आ0 कबीर सर सादर नमन
Comment by Naveen Mani Tripathi on October 11, 2017 at 11:30pm
आ0 अफरोज सहर साहब त्रुटि ठीक कर दिया है । सादर आभार ।
Comment by SALIM RAZA REWA on October 11, 2017 at 3:32pm
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई.
Comment by Samar kabeer on October 11, 2017 at 2:47pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
टंकण त्रुटियों के कारण मिसरे बेबह्र हो रहे हैं,उन्हें दुरुस्त कीजिये ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2017 at 2:42pm

अश्क़ हैं बेहिसाबव हिस्से में ।
ज़श्न के वास्ते बचा क्यान् है ।।

इस तरह रोकिये बनहीं मुझको ।
पूछिये मत मेराब पता क्या है ।। बहुत खूब आदरणीय | हार्दिक बधाई  आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service