For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खूंटी पर टंगी कमीज़ को ....

खूंटी पर टंगी कमीज़ को ....

जब जब
मैं छूती हूँ
खूंटी पर
टंगी कमीज़ को
मेरा समूचा अस्तित्व
रेंगने लगता है
उस स्पर्शबंध के आवरण में
जहां मेरा शैशव
निश्चिंत सोया करता था
अब
जब आप नहीं रहे
मैं इस कमीज़ में
आपको महसूस करती हूँ
सामना करती हूँ
हर उस दूषित दृष्टि का
जो मेरे शरीर पर
अपनी कुत्सित भावनाओं की
खरोंचें डालती है
मेरी दृष्टिहीनता को
मेरी कमजोरी मानती है

न, न
आप क्यूँ डरते हैं
आप ने ही तो मुझे
मन की आँखों से देखना
सिखाया है
आप नहीं हैं
पर है
इस खूंटी पर
टंगी कमीज में
आपके होने का विश्वास
पापा

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 17, 2017 at 4:43pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी सृजन के भावों को सहमति देती आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार । 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 6:38pm

अत्यंत मार्मिक रचना हुई है आदरणीय सुशिल सरना जी | हार्दिक बधाई |

Comment by Sushil Sarna on June 7, 2017 at 10:38am

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी  भावों को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on June 7, 2017 at 10:37am

आदरणीय Mahendra Kumar जी  सृजन के आत्मीय भावों से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on June 7, 2017 at 10:36am

आदरणीय मो.आरिफ साहिब सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार। 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 6, 2017 at 5:14pm

अत्यंत  मार्मिक, वाह  

Comment by Mahendra Kumar on June 6, 2017 at 9:12am

पिता-पुत्री के रिश्ते को "खूंटी पर टंगी कमीज़" के माध्यम से बहुत ख़ूबसूरती से उकेरा है आपने आ. सुशील सरना जी. मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Mohammed Arif on June 6, 2017 at 8:02am
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,बहुत ही सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
8 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service