For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मधुमालती छंद ( मात्रा विधान - 7-7 , 7-7)

ऐसा हुआ , बारात में
लड़का नहीँ , आया अभी

बोले पिता , बेटा कहे
पैसा अभी , मिला नहीं

शादी नहीँ , होगी अभी
मिला नहीं , दहेज अभी ।

बेटी कहे , देना नहीं
पैसा बुरा , जले चिता

होती नहीं , बेटी बुरी
चलती नही , चालें कभी

पगड़ी भली , लागे मुझे
पिता बोज़ क्यों , माने मुझे

बेटी कभी , चाहे नहीँ
अपमान नहीँ , करे कभी ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 942

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on March 17, 2017 at 10:32am

हार्दिक बधाई आदरणीय कल्पना जी।बेहतरीन प्रयास।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on March 17, 2017 at 10:14am
Aadarniya Ravi sir aapke vishwash par khari utar sakun chahti hoon yeh main . Prayas karungi . sadar.
Comment by Ravi Shukla on March 17, 2017 at 10:09am

आदरणीया कल्‍पना जी छंद पर प्रयास का स्‍वागत है आगे और भी अच्‍छे छंद रचेंगी , इसका भी पूर्ण विश्‍वास है आदरणीय रक्‍ताले जी ने भी स्‍पष्‍ट कर दिया है । इसी पर अभ्‍यास करके इसे संशोधित करें । आपके प्रयास के लिये बहुत बहुत बधाई, सादर ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on March 16, 2017 at 10:36pm
Ji sir .Pratham Prayas tha.khsama chahti hoon. Galtiyan hui hai.sadar.
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 16, 2017 at 10:30pm
आदरणीया कल्पना दीदी,मधुमालती छ्न्द पर आपका प्रयास सराहनीय है।बहुत-बहुत बधाई आपको।दीदी,छ्न्द के शिल्प अनुसार शायद चार पंक्तियों का छ्न्द होता है,दो-दो पंक्तियों में तुकान्तता,होती है।
प्रत्येक चरण 7 मात्राएँ।एक पंक्ति 14 मात्राएँ।
मैंने इस छ्न्द के शिल्प को इस प्रकार याद करने का प्रयास किया था:
मधुमालती ,मधुमालती(2212,2212)=7,7
मधुमालती ,मधुमालती(2212,2212)=7,7..आदि
सादर
Comment by Ashok Kumar Raktale on March 16, 2017 at 8:55pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी सादर, मधुमालती छंद परअच्छा प्रयास हुआ है. फिरभी यदि सारे पद गिन लें तो यह साढे तीन छंद होते हैं.

कई जगह असावधानी से छह मात्राएँ ही रह गई हैं. देख लें.

आपके कथ्य पर ही एक छंद का प्रयास है. सादर.

ऐसा हुआ, बारात में , सारे लगे थे बात में |

पैसा नहीं, पाया अभी, दुलहा नहीं आया तभी ||

Comment by Mohammed Arif on March 16, 2017 at 6:01pm
आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब, बेटी सशक्तिकरण, दहेज प्रथा के विरोध को प्रदर्शित करते बेहतरीन मधुमालती छंद लिखें हैं आपने । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । पूछना चाहूँगा कि क्या-"पिता बोझ क्यों,माने मुझे"तथा "अपमान नहीं,करे कभी" में मात्रिक विधान सही है । मुझे मात्रा बढ़ी नज़र आ रही है । सादर....।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service