आदरणीय साथिओ,
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बहुत सुन्दर और संदेश प्रद लघुकथा ।हार्दिक बधाई आदरणीय अर्चना जी।
क्या खोट रह गयी मेरी परवरिश में ?न जाने कितने माँ बाप आज इस बात को दोहराते हैं लेकिन आज की ये पीढ़ी अपने हिसाब से चल रही है ..अच्छी लघु कथा लिखी है किन्तु संवाद लम्बे तथा पात्रों की अधिकता के कारण थोड़ी क्लिष्ट जरूर हो गई है आद० अर्चना जी बहुत बहुत बधाई
वाह ..आपकी कोई पहली रचना पढ़ रही हूँ .. सधी शैली में कही गई उत्कृष्ट रचना प्रदत्त विषय को सार्थक करती हुई हार्दिक बधाई निवेदित है आदरणीया अपराजिता जी
वाह वाह, बहुत ही प्रभावशाली लघुकथा कही है अपराजिता जीI फ़्लैशबैक तकनीक का बहुत ही कुशलता से प्रयोग किया गया हैI रचना प्रदत्त विषय को बखूबी परिभाषित भी कर रही है जिस हेतु आपको बहुत बहुत बधाई.
आदरणीया अपराजिता जी, आपने बहुत शानदार और प्रभावोत्पादक लघुकथा लिखी है. प्रदत्त विषय को सार्थक करती इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर
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