For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सपने -- डॉo विजय शंकर

सपने देखने में
कुछ नहीं जाता है ,
टूट जाएँ तो कुछ
रह भी नहीं जाता है।
इसलिए सपने देखें नहीं ,
हमेशा दूसरों को दिखाएं ,
सुन्दर , लुभावने , बड़े-बड़े ,
पूरे हों तो वाह , .. न हों ,
आपका कुछ नहीं जाता है ,
लेकिन इलेक्शन अकसर
इसी फार्मूले पे जीता जाता है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 440

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 2, 2017 at 9:48pm
आदरणीय महेंद्र कुमार जी , रचना को स्वीकृति प्रदान करने हेतु आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 2, 2017 at 9:47pm
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 2, 2017 at 9:47pm
प्रिय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , रचना पर आपके आगमन और उसे पूरे मनोयोग से स्वीकारने और उसका मूल्यांकन करने के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर.
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 2, 2017 at 9:38pm
प्रिय मिथिलेश वामनकर जी , रचना पर आपके आगमन और स्वीकृति हेतु आभार एवं धन्यवाद , सादर.
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 2, 2017 at 9:38pm
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , हल्का सा लेकिन सही व्यंग है , आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Mahendra Kumar on December 29, 2016 at 7:49pm
आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी, कटाक्षपूर्ण बहुत अच्छी कविता लिखी है आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 28, 2016 at 8:13pm

आ० विजय सिर ! राजकपूर जी की फिल्म याद आ गयी - सपनो का सौदागर . सही मायने में व्यापार स्वप्न का ही हो रहा है . सादर ,

Comment by नाथ सोनांचली on December 28, 2016 at 6:58pm
राजनीति और राजनेता तथा चुनाव जितने पर बेहतरीन कटाक्ष, वाह
आदरणीय विजय शंकर जी सादर अभिवादन, छंद पन्क्तियो में बहुत कुछ कहती इस सृजन के लिए बधाई। सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 28, 2016 at 6:31pm

आदरणीय डॉ. विजय शंकर सर, तीक्ष्ण कटाक्ष करती बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर 

Comment by Samar kabeer on December 28, 2016 at 5:08pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,सच कहा आपने "लेकिन इलेक्शन अक्सर इसी फार्मूले से जीता जाता है"वाह बहुत सुंदर कटाक्ष,इस बहतरीन प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय ।"
21 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय Aazi जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय Aazi जी  बहुत शुक्रिया आपका सlदर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी बहुत ख़ूबसूरत कहा शुक्रिया आपका सादर"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बधाई स्वीकार करें आ अच्छी ग़ज़ल हुई 4 में सूर्य की धूप स्त्रीलिंग होती है बाकी गुणीजनों की इस्लाह…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय रचना भटिया जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बधाई स्वीकार करें आ अच्छी ग़ज़ल हुई इस्लाह अच्छी हुई और बेहतर हो जायेगी"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बधाई स्वीकार करें आ अच्छी ग़ज़ल हुई इस्लाह भी अच्छी हुई"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बधाई स्वीकार करें आ अच्छी ग़ज़ल हुई नये अंदाज़ में बाकी गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service