For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल(आजकल मन लग रहा.....)

आजकल मन लग रहा नक्कारखाना हो गया
कुर्सियों के खेल में सच भी फसाना हो गया।1

योग का मतलब अभी तक जोड़ना समझा गया
सोच की बलिहारियाँ अब तो घटाना हो गया।2

कर रहा परहेज जिससे चल रहा था बावरा
गर्ज एेसी पड़ गयी फिर गर लगाना हो गया।3

घूँघटों की ओट से ही चल रहे थे तीर सब
बह गयी ऐसी हवा मुखड़ा दिखाना हो गया।4

शब्द साधे थे कभी जिनको निशाना कर यहाँ
आज उनके पाँव में कैसे सिढ़ाना हो गया।5

तुम नशे में चल रहे हो, मैं नशा करता नहीं,
गीत दोनों मिल गये बेमेल गाना हो गया।6

लोमड़ी अब बेझिझक अंगूर खट्टे खा रही
आँसुओं को अब 'मनन'फिर से लजाना हो गया।7
मैलिक व अप्रकाशित@मनन

Views: 580

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on June 30, 2016 at 10:33pm
आभार आदरणीय।
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on June 30, 2016 at 4:28pm

वाह वाह वाह आदरणीय,,,कमाल की गझल हुई है बधाई

Comment by Manan Kumar singh on June 27, 2016 at 9:57am
आभार आदरणीय गिरिराज भाई।
Comment by Manan Kumar singh on June 27, 2016 at 9:56am
आभार आ. सतविंर जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 26, 2016 at 8:32pm

आदरणीय मनन भाई , अच्छी गज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 26, 2016 at 9:42am
सुंदर अति सुंदर।सादर नमन आदरणीय
Comment by Manan Kumar singh on June 23, 2016 at 5:04pm
आभार आ. आशुतोष जी।
Comment by Manan Kumar singh on June 23, 2016 at 5:03pm
आभार आ. कांता जी।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 23, 2016 at 4:45pm

आदरणीय मनन जी इस सुन्दर सार्थक प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर

Comment by kanta roy on June 23, 2016 at 2:51pm

योग का मतलब अभी तक जोड़ना समझा गया
सोच की बलिहारियाँ अब तो घटाना हो गया---वाह !वाह ! ----समय काल  ही  विपरीत  चल  रहा  है  आदरणीय मनन जी  अब  तो  यही  है  जो  है !  शानदार  ग़ज़ल  है  ये  भी  आपकी .बधाई  प्रेषित  है . 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service