For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हौले हौले-(ग़ज़ल - एक प्रयास)

हौले हौले-(ग़ज़ल - एक प्रयास)

बहर -२२ २२ २२ २

हौले हौले रात चली
हौले हौले बात चली !!१!!

हौले हौले  होंठ  हिले
हौले से बरसात चली !!२!!

हौले  हौले   आँखों    में
प्यासी प्यासी रात चली !!३!!

हौले   हौले   जीत   हुई
आलिंगन की बात चली !!४!!

हौले  हौले  ख़्वाबों की
आँखों से बरसात चली !!५!!

हौले  हौले  आँखों   से
जागी जागी रात चली !!६!!

हौले  हौले  वो  महकी
जुगनू की बारात चली !!७!!


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 659

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on May 2, 2016 at 6:58pm

आदरणीय सौरभ सर प्रत्युत्तर के लिए हार्दिक आभार। प्रयास  जारी रहेंगे। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 6:03pm

पगना का अंग्रेजी पर्याय होता है - सीज़ण्ड (seasoned) होना. अन्य भावार्थ होगा, कालतप्त होना. 

Comment by Sushil Sarna on May 2, 2016 at 5:00pm

आदरणीय सौरभ सर प्रस्तुति के प्रयास पर  आपकी स्नेहाशीष का हार्दिक आभार।  सर ये पगने का अर्थ समझ नहीं आया , कृपया बता कर अनुग्रहित करें ताकि बन्दा तदानुसार अपने सृजन पता पर अग्रसर हो।  हार्दिक आभार सर। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 4:01pm

ऐसे प्रयास आपके रचनाकर्म केपगने का कारण होंगे आदरणीय सुशील सरनाजी.

शुभेच्छाएँ

 

Comment by Sushil Sarna on May 2, 2016 at 12:53pm

आदरणीय  जयनित कुमार मेहता जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by जयनित कुमार मेहता on May 2, 2016 at 7:36am
आ. सुशील जी, इस सुन्दर प्रयास के लिए बधाइयां आपको।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 2, 2016 at 7:36am
आ. सुशील जी, इस सुन्दर प्रयास के लिए बधाइयां आपको।
Comment by Sushil Sarna on May 1, 2016 at 3:01pm

आदरणीय    Nilesh Shevgaonkar   जी प्रयास की सराहना के लिए हार्दिक आभार।  बाकी आपके कथन  से मैं सहमत हूँ सर अभी आप जैसे गुणी जनों की उंगली पकड़ क्र पइयाँ पइयाँ चलना सीख रहा हूँ धीरे धीरे विविधता भी आ जाएगी। आपके आत्मीय सुझाव का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 1, 2016 at 2:55pm
आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभार।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 1, 2016 at 11:41am

अच्छा प्रयास है...सारे शेर एक ही तरक़ीब के होने से विविधतता कम है.
विविधता लाने से ग़ज़ल निखर के सामने आएगी..
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service