For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पद्य-शृंगारिक एवं कृष्ण-स्तुति

(1)

चंद्रमुखी! हे मृगनयनी! क्या यौवन-रूप सजाया है।
ओष्ठ-अरुण मधुरस के प्याले, सुंदर कंचन-काया है।
लोच कमरिया-इंद्रधनुष, लट-केश घटा की छाया है।
कटि गगरी धर जाने वाली, तूने हृदय चुराया है।

(2)

मुरलीधर धर मुरली अधरन, ग्वालिंन को नचावत हो।
विश्वम्भर भर प्रेम हृदय में, राधा को रिझावत हो।
चक्रपाणि पाणि चक्र धर, अधर्म को मिटावत हो।
दामोदर दर-दर भटकूँ मैं, क्यों न मोहि उबारत हो?

-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 528

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2016 at 11:30am

वाह्ह्ह  बहुत सुन्दर शृंगार रस से आप्लावित इस प्रस्तुति ने मन मोह लिया दिल से बधाई लीजिये शुभकामनायें 

Comment by रामबली गुप्ता on March 29, 2016 at 9:57pm
रचना पसंद करने के लिए हृदयतल से आभार आ.सुशील सरना जी
Comment by Sushil Sarna on March 29, 2016 at 7:40pm

आ. रामबली गुप्ता ही प्रस्तुति में शृंगार रस अपनी चरम सीमा पर है। अलंकारिक शब्दों का मन मोहक रूप इस प्रस्तुति की अप्रितम उपलब्धि है। दिल से बधाई स्वीकार करें आदरणीय। 

Comment by रामबली गुप्ता on March 29, 2016 at 12:15pm
भावसिक्त शब्दों से रचनाओं का मान बढ़ाने के लिए हृदयतल से आभार आदरेया कांता जी। सब आप ही लोगों से और आप लोगों की प्रस्तुतियों से ही सीखता हूँ। पुनः आभार।
सादर
Comment by kanta roy on March 29, 2016 at 11:51am

कटि गगरी धर जाने वाली, तूने हृदय चुराया है।--------- अद्वितीय  ! चकित हूँ  इस  सम्प्रेषण से  !  पंक्तियों में बसा  माधुर्य यहाँ  मन को झंकृत  सा   कर  जाता  है  . 

मुरलीधर धर मुरली अधरन.....वाह ! 

विश्वम्भर भर प्रेम हृदय में......अति -सुन्दर !

चक्रपाणि पाणि चक्र धर, ..... अप्रतिम  संयोजन ! 

दामोदर दर-दर भटकूँ मैं, .........इन पंक्तियों  में  अजब  का  सम्मोहन  है ! मुझे बेसब्री से  इंतज़ार  रहेगा  आपकी  अन्य  रचनाओं  का  भी  , बहुत  बहुत  बधाई  आपको  आदरणीय  रामबली  जी  इन  सृजनो  के लिए  . सादर  

Comment by रामबली गुप्ता on March 29, 2016 at 11:12am
रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आ.मोहित जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service