Tags:
Replies are closed for this discussion.
जनाब शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब , दौरेहाज़िर के रंग पर आधारित अच्छी लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
लेकिन तुम .....!"
मात्र दो शब्दों में कितना बड़ा धिक्कार छुपा है, उस्मानी जी। यह लेखक का कौशल होता है जो बिना कुछ कहे भी बहुत कुछ कह जाता है। आश्वस्त हुआ कि आप सिर्फ लिखने के लिए नहीं लिखते। नाम मेरा प्रदीप है और रोशनी आप दे रहे हैं। बढ़िया
हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी!वाह, क्या खूबसूरती से इंसान की गिरगिट से तुलना की है!आज के दौर में आदमी अपनी लालसाओं को पूरा करने के लिये कुछ भी करने को तत्पर है!
बहुत ही बढ़िया संदेशपरक स्पष्ट रचना . वाह जनाब . आखिर के दो अनकहे अधूरे शब्द बहुत कुछ कह गए .
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
    © 2025               Created by Admin.             
    Powered by
    
    
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |