For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दानव शिक्षा ( लघु-कथा ) : डॉo विजय शंकर

दानव गुरु ने अपने शिष्यों को गुरु-मन्त्र दिया : स्वर्ग में सेवा करने के बजाय नर्क में शासन करना अधिक अच्छा होता है।
एक जिज्ञासु शिष्य ने एक गम्भीर प्रश्न किया : पर गुरु जी , यह तो धरती स्वयं ही स्वर्ग जैसी है तो हम कहा जाएँ ?
दानव गुरु ने तुरंत उत्तर दिया : धरती को नर्क बना दें और उस पर शासन करें।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 485

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 8, 2016 at 6:50am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , आपकी उपस्थित से हौसला बढ़ता है , आपका बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 8, 2016 at 6:48am
आदरणीय शेख सहज़ाद उस्मानी जी , आपकी टिप्पणी पढ़ कर अच्छा लगा। ये फ़रिश्ते ही हैं जिनकी बदौलत दुनियाँ चल रही है , वरना कुछ लोग तो खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी ही मार रहे हैं , कुछ आगे बढ़ने के नाम पर , कुछ उद्योग बढ़ाने के नाम पर। लघु - कथा पर उपस्थिति हेतु आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 8, 2016 at 6:40am
आदरणीय तेजवीर जी , आपको लघु कथा अच्छी लगी , आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 8, 2016 at 6:39am
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , इधर कुछ समय से पारिवारिक व्यस्तता के कारण ओ बी ओ पर आना काम हो पा रहा है , पर कुछ न कुछ लिखना बना रहता है। कभी कभी सोचता हूँ कुदरत ने तो सब कुछ बहुत ही सुन्दर बनाया है , हमी ने उसे कैसे कैसे रूप दे दिए हैं। बस यही प्रयास किया है। आपको पसंद आया , बहुत अच्छा लगा। आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 7, 2016 at 10:11pm

क्या बात है ! आदरनीय , यही तो हो रहा है आज कल , सुनदर सटीक लघुकथा के लिये हार्दिक बधाई आपको ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 7, 2016 at 6:25pm
यही तो हो रहा है/होता रहा है! वो तो गनीमत है कि नरक बनती इस धरती पर फरिश्तों के रुप में कुछ इन्सान मौजूद रहते हैं। लघुकथा क्या होती है,उसका उत्कृष्ट उदाहरण इस कृति में मिला। बहुत गहराई लिए इस प्रस्तुति के लिए तहे दिल बहुत बहुत बधाई आपको डॉ.विजय शंकर जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on January 7, 2016 at 5:55pm

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ विजय शंकर जी!बेहतरीन प्रस्तुति!शानदार गुरुमंत्र देती सुंदर लघुकथा!

Comment by Samar kabeer on January 7, 2016 at 5:24pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,बहुत अरसे बाद आपकी रचना से रूबरू हुवा हूँ,और लघुकथा पर पहली हाज़री है,इस कला में तो आप दक्ष हैं माशाअल्लाह,बहुत मुतास्सिर किया इस रचना ने,वाह वाह बहुत ख़ूब जितनी तारीफ़ की जाए कम होगी,ढेरों दाद के साथ बधाई स्वीकार करें जनाब |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
7 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
16 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
18 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
46 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
22 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service