For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिक्षिका , प्रथम और अंतिम ( लघु - कथा ) - डॉo विजय शंकर

माँ बच्चे की प्रथम शिक्षिका होती है।
.
.
.
.
और पत्नि , पति की अंतिम शिक्षिका होती है।
.
.
क्योंकि माँ बच्चे को जो सिखाती है वो वह कभी भूलता नहीं।
और पत्नि जो सिखाती है , पति वह भूल सकता नहीं।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 837

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 18, 2016 at 7:50am

आदरनीय ,  दोनो रिश्तों की अद्भुत व्याख्या के लिये बधाई आपको ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 15, 2016 at 9:56pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Shyam Narain Verma on January 15, 2016 at 10:03am

बहुत ही सुन्दर , बधाई इस प्रस्तुति के लिए आदरणीय

.सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 14, 2016 at 7:01pm
आदरणीय पवन जैन जी , आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , इसमें व्यंग है भी और नहीं भी , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 14, 2016 at 6:59pm
आदरणीय तेजवीर सिंह जी , आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 14, 2016 at 6:58pm
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 14, 2016 at 6:57pm
आदरणीय शेख सहजाद उस्मानी जी , आपका आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Pawan Jain on January 13, 2016 at 9:40pm

पति वह भुला नहीं सकता। पहले मैं स्वीकारोक्ती,दूसरे में मजबूरी।वाह,बधाई आदरणीय।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 13, 2016 at 7:32pm

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ विजय शंकर जी!इतनी गूढ और गहन बात इतने सूक्ष्म रूप से वर्णन क़माल की बात है!बेहतरीन प्रस्तुति!

Comment by Samar kabeer on January 13, 2016 at 5:51pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,कम शब्दों में इतनी शानदार यथार्थवादी लघुकथा लिखना आपका ही कमाल है,ढेरों बधाई इस रचना के लिये आपको |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service