For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 65 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह उस्ताद शायर जनाब  "एहतेराम इस्लाम" साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

 
"पानी पानी हुआ जाता है समन्दर देखो"

2122   1122   1122  22

फाइलातुन फइलातुन फइलातुन फेलुन

(बह्र: रमल मुसम्मन् मख्बून मक्तुअ )
रदीफ़ :- देखो
काफिया :- अर ( गर, घर,  पर, दर, बराबर आदि)
विशेष: 

१. पहला रुक्न फाइलातुनको  फइलातुन अर्थात २१२२  को ११२२भी किया जा सकता है 

२. अंतिम रुक्न फेलुन को फइलुन अर्थात २२ को ११२ भी किया जा सकता है| 

 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 नवम्बर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 28 नवम्बर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 27 नवम्बर दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 12341

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

वाह वाह वाह !! मुकम्मिल ग़ज़ल हुई है, हर शेअर दिल में उतर जाने की नौहियत वाला हुआ है I दिली दाद हाज़िर है जनाब तसदीक़ अहमद खान साहिब I

जनाब योग राज साहब आप की वाह वाह और दाद से दिल बाग बाग हो गया .....होसला अफज़ाइ का शुक्रिया ....

जनाब तस्दीक़ अहमद खान साहिब,अच्छी ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं, कुछ
शैरों में सुधार की आवश्यकता है पुनः ग़ज़ल पर आता हूँ।

जनाब समर साहब,ग़ज़ल पसंद आने का शुक्रिया,.......सारी परेशानी उर्दू शब्दों को हिन्दी में टाइप करने की है ...इस लिए बहर वाला शेर बे बहर लगता है.....उर्दू तकती के हिसाब से पूरी ग़ज़ल के शेर बहर में हैं..

//सारी परेशानी उर्दू शब्दों को हिन्दी में टाइप करने की है ...इस लिए बहर वाला शेर बे बहर लगता है.....उर्दू तकती के हिसाब से पूरी ग़ज़ल के शेर बहर में हैं..//

मैं भी उर्दू का तालिब इल्म हूँ,और मुझे अपनी ग़ज़ल लिखने में कोई परेशानी नहीं होती,उर्दू का कोई शब्द ऐसा नहीं जो हिन्दी में न लिखा जा सके,और ये हिन्दी नहीं है ,इसे देवनागिरी कहते हैं,अरबी भाषा में ऐराब लगाऐ जाते हैं ,उर्दू में ऐराब नहीं लगाऐ जाते,बस इतना है कि उर्दू का कोई शब्द देवनागिरी में लिखते हुवे ऐराब लगाना पड़ते हैं,'उस' को 'उस' ही लिखना पड़ता है,'इस'को 'इस'।
अब रही तक़्तीअ की बात तो वो किसी भी तारीक़े से कीजिये ,जो शैर बह्र में है वो बह्र में ही होता है,तरही मिसरा जब बताया जाता है तो उसके अरकान भी बताऐ जाते हैं और दोनों ही तारीक़े के बताए जाते हैं,लेकिन जब 'मकाँ'को 'मकान' लिखेंगे तो एक रुक्न तो बड़ेगा ही ।
आपने जनाब मिथिलेश जी की बात के जवाब में कहा है कि "उर्दू के कुछ हर्फ़ तक़्तीअ में नहीं गिने जाते",और जो हर्फ़ आपने बताऐ हैं वो तो बराबर गिनती में आते हैं ,जो हर्फ़ गिनती में नहीं आते ,वो हैं :- "नून ग़ुन्ना","ह दो चश्मी", "हमज़ह" ।
ये मंच सीखने सिखाने का मंच है,और यही इसकी सबसे बड़ी ख़ूबी है,अब आप इससे कितना लाभ ले सकते हैं ये आप पर निर्भर करता है,वैसे आप अपनी मर्ज़ी के मालिक तो हैं ही,बाक़ी शुभ-शुभ ।
आ.तस्दीक़ साहब। अच्छी ग़ज़ल कही है सर आपने। पुरखुलूस दाद क़बूल करें सर।

जनाब दिनेश साहब,ग़ज़ल पसंद आने का शुक्रिया,........

आदरणीय तस्दीक साहब, शानदार गज़ल के लिये बधाइयाँ........

मेरी बर्बादी पे अफ़सोस उन्हे हो या न हो

उनकी आँखें मगर आती हैं नज़रतर देखो

यकबयक उनके ही आने से करिश्मा ये हुआ

लग रहा है मेरा वीरान मकान घर देखो

वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

जनाब अरुण  साहब,ग़ज़ल पसंद आने का शुक्रिया,........

जनाब तस्दीक़ साहब ,आपने वो ग़ज़ल पेश की है जिसे हक़ीक़त में ग़ज़ल कहते हैं.....मुरस्सा ग़ज़ल के लिए दिली मुबारक बाद क़ुबूल फरमाइए.....वाह...वाह

जनाब अहमद हसन साहब ,आपको ग़ज़ल अच्छी लगी ......मेरी महनत कामयाब हो गयी....होसला बढ़ाने का तहे दिल से शुक्रिया...

जनाब अहमद हसन साहब ,आपको ग़ज़ल अच्छी लगी ......मेरी महनत कामयाब हो गयी....होसला बढ़ाने का तहे दिल से शुक्रिया...

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"तुझे तेज धारा उधर ले न जाए   जिधर उठ रहे हैं भंवर धीरे धीरे। ("संभलना" शब्द के…"
32 minutes ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय दयाराम जी शुक्रिया  हौसला अफज़ाई केलिए       "
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय अजय गुप्ता जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय पूनम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पोस्ट पर आपकी टिप्पणी व सुझाव के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय तिलकराज जी, पोस्ट पर आपकी टिप्पणी व सुझाव के लिए हार्दिक आभार। मतले में सुधार के लिए कुछ…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"" वहाँ मैं भी पहुँचा मगर धीरे धीरे" मुहब्बत  घटी   घर  इधर …"
4 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जी अबपोस्ट की ग़ज़ल  गिरहके  साथ        "
4 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"सुलगता रहा इक शरर धीरे धीरे जलाता रहा वो ये घर धीरे धीरे मचाया हवाओं ने कुहराम ऐसा गिरा टूट कर…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। आ. भाई तिलकराज जी की बात से सहमत…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service