For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पता(लघु कथा)
-आप मुम्बई में रहते हो?मैंने तो कुछ और सोचा था।मैं भी तो मुम्बई में ही हूँ।
-अच्छा,कहाँ?
-एन एम
-वो क्या हुआ?
-मुम्बईकर को तो जानना चाहिये
-अच्छा,बताइये
-लेकिन यह आपको पता होना चाहिए
-अपना पता न बताने के बहुत-से बहाने होते हैं।
-आप एन एम नहीं जानते,तो मुम्बई में क्या जानते हैं?
-दोस्तों को जो अपने पते कभी कुछ,तो कभी कुछ बताते हैं ।
-देखिये,कोल्हापुर तो मेरा मायका है,मुम्बई तो ससुराल हुई।
फिर किंचित ख़ामोशी के उपरांत फेसबुक पर संदेश तैरता है
-तो बाय कहें क्या?
-ओके,बाय-बाय।
फिर संपर्क भंग हो जाता है।नवी मुम्बई अनकही रह जाती है।
"मौलिक व अप्रकाशित"@मनन

Views: 590

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on September 10, 2015 at 8:29am
आदरणीय सौरभजी, लघु कथा को मान देने के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूँ,सादर।
Comment by Manan Kumar singh on September 10, 2015 at 8:23am
श्रद्धेय मोहनजी,अर्चनजी,गिरिराज भाई स्नेह अजर मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 6, 2015 at 11:44pm

चैट बॉक्स की नयी दुनिया का यह आधुनिक पहलू है, आदरणीय मननजी, जो दमित इच्छाओं को कुरेद-कुरेद कर, वायवीय ही सही, आकार देना चाहता है. एक बड़ा वर्ग इस ’वर्चुअल वर्ल्ड’ को अपने लिहाज से जीता है. वर्जनाओं को नकारने के फेर में कुत्सित विचारों को स्वर पाता हुआ देखता है. उसकी ’नवी मुम्बई’ कई बार अनुत्तरित रह जाती है तो कई बार, मानसिक ही सही, महालक्ष्मी-ग्राण्ट रोड के दरम्यान की बस्ती के स्तर को जीने लगती है. 

आपकी इस लघुकथा को अबतक की प्रस्तुत हुई सर्वश्रेष्ठ लघुकथा के तौर पर स्वीकार कर रहा हूँ. संवादों में चुटीलापन और कथ्य में पैनापन इस लघुकथा की विशेषता है. 

सादर शुभकामनाएँ व बधाइयाँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2015 at 8:56pm

आदरणीय मनन भाई , अच्छी लगी आपकी अनकही मुम्बई , बधाइयाँ ।

Comment by Archana Tripathi on September 6, 2015 at 12:58am
आदरणीय मनन कुमार सिंह जी ,खूबसूरत लघुकथा के लिए हसर्दिक बधाई ।
Comment by मोहन बेगोवाल on September 4, 2015 at 10:35pm

 आदरनीय मनन जी, इस  लघुकथा के लिए बधाई

Comment by Manan Kumar singh on September 3, 2015 at 11:20pm
आदरणीय तेज प्रताप जी,मिथिलेश जी तथा आदरणीया कांता जी सादर आभार आपका,प्रेरणा प्रदान करने के लिए।वस्तुतः चलते-चलते कथा बानी है।
Comment by kanta roy on September 3, 2015 at 10:23pm

वाह ! क्या नवी मुंबई का अनकही भी सब कह गया । बेहतरीन लघुकथा हुई है ये आदरणीय मनन कुमार जी । बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 3, 2015 at 6:17pm

इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन जी 

Comment by TEJ VEER SINGH on September 3, 2015 at 2:36pm

हार्दिक बधाई  आदरणीय  मनन कुमर सिंह जी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
4 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
13 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service