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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 57 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-58

विषय - "फंदा"

आयोजन की अवधि- 7 अगस्त 2015, दिन शुक्रवार से 8 अगस्त 2015, दिन शनिवार की समाप्ति तक  (यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र एक ही प्रविष्टि दे सकेंगे.  
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 7 अगस्त 2015, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

हार्दिक  आभार आपका आदरणीया कांता रॉय जी | सादर 

झूलते फंदा लगाकर धैर्य जो रखते नहीं
धैर्य रखते कष्ट में भी लटककर मरते नहीं |

जान कर अनजान बनता वह नहीं होता सफल
कर्म साधना रत नर फंदा लगा मरते नहीं |

वाह आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी प्रदत विषय पर बहुत ही सुंदर सार्थक और संदेशपरक प्रस्तुति है आपकी सर। यथार्थ का बोध कराती इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई कबूल फरमाएं सर।

रचना पसंद करने के लिए हार्दिक  आभार आपका श्री सुशील जी | सादर 

बहुत खूब आ० लडीवाला जी।

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर जी | सादर  

// झूलते फंदा लगाकर धैर्य जो रखते नहीं

धैर्य रखते कष्ट में भी लटककर मरते नहीं // आदरणीय रामानुज जी, आपकी ये पंक्तियाँ पर्स्तिथिवश फंदे को अपनाकर अपनी जान देनेवालों को ऐसा करने से रोकती हैं ! आपके इस बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आपको ! 

रचना के पंक्तिया सराहने के लिए हार्दिक बधाई श्री सचिन देव  जी 

आदरणीय लक्ष्मण भाई , वर्तमान की विभिन्न सच्चाइयाँ बयान करती आपकी विषयानुरूप रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय श्री गिरिराज भंडारी जी | सादर 

आदरणीयलक्ष्मण  भाईजी

विषय पर बहुत ही सुंदर प्रस्तुति और बेइमानों गद्दारों के लिए सीख भी।  हृदय से बधाई

गाँव जाकर लूट रहे सौदागर मरते नहीं |[ प्रवाह  कुछ बाधक है] गाँव जाकर लूटते वो सौदागर मरते नहीं |

सादर

बेहद सुन्दर भावपूर्ण व्यावहारिक रचना प्रस्तुत करने केलिए हार्दिक बधाई आदरणीय लडीवाला साहब!

रोड नापे व्यर्थ में श्रम से रहते दूर सदा

मार्ग ह्त्या का चुने सद्मार्ग पर मरते नहीं |---बहुत अच्छी बात कही है ..श्रम नहीं करते फिर असफल होकर डिप्रेशन में आत्म हत्या भी कर लेते हैं और आवश्यकता पूर्ति के लिए हत्या भी कर देते हैं 

अच्छी प्रस्तुति आ० लक्ष्मण जी 

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