For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-९ ( Now Closed )

परम आत्मीय स्वजन !

पिछले "महा उत्सव" ने ओ बी ओ को पूरी तरह से होलीमय कर दिया है, जम कर आनंद लुटाई हुई और जम कर दोहा लिखाई हुई, रंग अबीर गुलाल के साथ भंग और पव्वा भी खूब चला..इसी आनंद के वशीभूत होकर इस बार का तरही मिसरा भी दिया जा रहा है|

इस बार का तरही मिसरा तंजो-मिजहा के जाने माने शायर जनाब हुल्लड मुरादाबादी जी की गज़ल से लिया गया है |

रोज पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा

2122 2122 2122 212

फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन

बह्र वही हम सबकी जानी पहचानी -बहरे रमल मुसमन महजूफ

रदीफ : हो जायेगा

काफिया : आ की मात्रा

अब पव्वा पी पी के लिखिए और चाहे जैसे लिखिए पर अपनी गज़ल तय शुदा समय (१५ मार्च से १७ मार्च) तक जरूर तैयार कर लीजिए |
गज़ल मजाहिया होनी चाहिए और अगर होली से रिलेटेड हो तो और अभी अच्छा है | साथ ही यह भी ध्यान देना है कि तरही मिसरा ग़ज़ल में कहीं ना कहीं ज़रूर आये तथा दिये गये काफिया और रदिफ़ का पालन अवश्य हो | ग़ज़ल में शेरों की संख्या भी इतनी ही रखें की ग़ज़ल बोझिल ना होने पाए अर्थात जो शेर कहें दमदार कहे |

मुशायरे की शुरुआत दिनाकं १५मार्च दिन मंगलवार के लगते ही हो जाएगी और दिनांक १७ मार्च दिन वृहस्पतिवार के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |

नोट :- यदि आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य है और किसी कारण वश "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-९ के दौरान अपनी ग़ज़ल पोस्ट करने मे असमर्थ है तो आप अपनी ग़ज़ल एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन को उनके इ- मेल admin@openbooksonline.com पर १५ मार्च से पहले भी भेज सकते है, योग्य ग़ज़ल को आपके नाम से ही "OBO लाइव तरही मुशायरा" प्रारंभ होने पर पोस्ट कर दिया जायेगा, ध्यान रखे यह सुविधा केवल OBO के सदस्यों हेतु ही है |

फिलहाल Reply बॉक्स बंद रहेगा, मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ किया जा सकता है |
"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह

Views: 11450

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

सही पहचाना राणा भाई , खग जाने खग ही के भाषा |  २ किडनी है ताकि एक स्टेपनी में पड़ा रहे | जय हो ...
वाकई बागी जी ! किसी ने कहा है के शराब एक ऐसा नशा है जो सारे समाज को को बर्बाद कर रहा है इसलिए...... आइये ! इसे पी-पी कर मिटा देतें हैं .......:)) शौकिया पीता अभी फिर मन बढ़ा हो जायेगा,
रोज पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा , (१) चलो भाई शुरू तो किया शौकिया ही सही ..........पर पी पी के इसे जड़ से खत्म मत कर देना .........:))

खून पीते देख मच्छर से बगलगीर ने कहा,
बेवड़े का खून पीया जो छक्का हो जायेगा, (२) बेवड़े का खून पीया छक्का ही हो जायेगा,.........कमबख्त बेवड़ा शायद पीने-पिलाने में यकीन नहीं रखता था ....इसी लिए .........:))

भूत होली में सिखाया प्यार से कल यार को,
OBO पर जायेगा तो मनुष्य सा हो जायेगा, (३) ओ बी ओ पर जायेगा तो आदमी हो जायेगा ............वाह क्या मजेदार है..........:))

दारू पीना गलत है कहते ऐसा क्यू कर मिया,
पैग पी लो प्रवचन का खात्मा हो जायेगा, (४) अमां मियां! प्रवचन तो पैग पीकर ही शुरू होते है ...........:))

दिल, ज़िगर औ फेफड़ा एक ही बनाया राम ने,
किडनी दो, पीने वालो का मज़ा हो जायेगा | (५) वाह क्या बात है दूसरी तो हैं ना...........:)) बहुत मजेदार ग़ज़ल है ! वैसे भाई पीने पिलाने के मामले में मैं तो निरा अनाड़ी हूँ क्योंकि आज ओ बी ओ से ही मैंने शुरू की है..........रंगों के पावन पर्व पर ऐसे रंगीन आयोजन के लिए समस्त ओ बी ओ टीम का हृदय से बहुत-बहुत आभार ....:))

अम्बरीश भाई, इस मुशायरे में जो रस मिल रहा है ना इसके आगे सभी रस बेकार है और ऐसी वेर्तुअल पियक्कड़ी के क्या कहने, हर्रे ना फिटकरी रंग भी चोखा, 

OBO पर जायेगा तो मनुष्य सा हो जायेगा............मनुष्य लिखने के पीछे केवल मात्रिक गणित है नहीं तो आदमी ज्यादा सुट कर रहा था |

बहुत बहुत धन्यवाद , उत्साहवर्धन हेतु  |

जल्दी मे लिख रही हूँ -

बुरा ना मानना  होली है -

 

 

ये बेवडे सरफिरे शराबी 

इनके भेजे मे कुछ ना जाएगा

गाली का शोर तेरा

इनकी गजलों मे बह जाएगा

एक लगा दे चपत सखी तो

चार चार नजर आएगा

उतर जायेगा नशा 

फिर तो समझ आएगा

रोज पव्वा पी लिया तो

पीलिया हो जायेगा ....

 

 

 

हा हा हा ...

 

;))

होली मे ये भी होता है....

 

बुरा ना मानों होली है.......



वाह वाह नूतन जी आप ने भी आखिर मदिरा की सरिता में गोता लगा ही लिया, बहुत बहुत बधाई
धन्यवाद .. धर्मेन्द्र जी... इसमें कुछ पंक्तिया संशोधन के लिए और कुछ एड की थी किन्तु एन मौके पर नेट चला गया ... जिस से वो संशोधन और अन्या पंक्तियाँ नहीं जुड पायीं ... होली मुबारक ...
नूतन दीदी बहुत अच्छे , आपका आगमन हुआ, बहुत बढ़िया लगा, होली मुबारक
आपको भी होली पर शुभकामनायें ... पव्वे के चक्कर मे ना पडना भाई... :)) happy holi..
नहीं नहीं दीदी, यहाँ तो ग़ज़ल पढ़ कर खम्भा(बोतल) का मजा आ रहा है , और मजे की बात यह की पीलिया का कोई डर भी नहीं |
वाह नूतन जी ! बहुत-बहुत बधाई स्वीकार करें !
धन्यवाद अम्बरीश जी...
abrish ji holi par shubhkaamnyen ...

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"ओह!  सहमत एवं संशोधित  सर हार्दिक आभार "
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"जी, सहमत हूं रचना के संबंध में।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"शुक्रिया। लेखनी जब चल जाती है तो 'भय' भूल जाती है, भावों को शाब्दिक करती जाती है‌।…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, नए अंदाज़ की ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपका साहित्यिक नजरिया, आदरणीय नीलेश जी, अत्यंत उदार है. आपके संकल्प का मैं अनुमोदन करता हूँ. मैं…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"जी, आदरणीय अशोक भाईजी अशोभनीय नहीं, ऐसे संवादों के लिए घिनौना शब्द सही होगा. "
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सुशील सरना जी, इन दोहों के लिए हार्दिक बधाई.  आपने इश्क के दरिया में जोरदार छलांग लगायी…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"माननीय मंच एवं आदरणीय टीम प्रबंधन आदाब।  विगत तरही मुशायरा के दूसरे दिन निजी कारणों से यद्यपि…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"आप पहले दोहे के विषम चरण को दुरुस्त कर लें, आदरणीय सुशील सरना जी.   "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service