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मील का पत्थर …

मील का पत्थर …

कल जो गुजरता है....
जिन्दगी में....
एक मील का पत्थर बन जाता है//

और गिनवाता है....
तय किये गये ....
सफर के चक्र की....
नुकीली सुईयों पर रखे....
एक-एक कदम के नीचे....
रौंदी गयी....
खुशियों के दर्द की....
न खत्म होने वाली दास्तान//

दिखता है ....
यथार्थ की....
कंकरीली जमीन पर....
कुछ दूर साथ चले....
नंगे पांवों के....
दम तोड़ते निशान//

अहसास कराता है..... 
ख़्वाबों के फलक पर....
बेनूर होते आफताबी अरमान//

रोज,हर रोज....
शाम ढले हर आज....
अपनी केंचुली बदल.....
फिर जिन्दगी की राह में ....
मील का पत्थर बन जाता है//

दर्द की किताब में....
एक वर्क और जुड़ जाता है//

इक मुक्कमल आसमान की चाह में ....
इंसान जाने....

कहाँ-कहाँ से गुजर जाता है//

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 520

Comment

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Comment by Sushil Sarna on July 23, 2014 at 12:07pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय  जी   रचना पर आपकी आत्मीय स्नेहाशीष का हार्दिक आभार।  कुछ अपरिहार्य कारणों से आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ। 

Comment by Sushil Sarna on July 23, 2014 at 12:06pm

आदरणीय संतलाल करून जी   रचना पर आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।  कुछ अपरिहार्य कारणों से आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ। 

Comment by Sushil Sarna on July 23, 2014 at 12:05pm

आदरणीय जितेन्द्र जी  रचना पर आपकी मधुर  प्रशंसा का हार्दिक आभार।  कुछ अपरिहार्य कारणों से आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ। 

Comment by Sushil Sarna on July 23, 2014 at 12:04pm
आदरणीय शिज्जु शकूर जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। कुछ अपरिहार्य कारणों से आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 22, 2014 at 12:29am

एक विचारपरक कविता के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीय सुशील भाईजी.. .

Comment by Santlal Karun on July 20, 2014 at 8:27am

आदरणीय सुशील समा जी,

वर्तमान जीवन के विडंबन पर उत्कृष्ट व्याख्यात्मक कविता, अत्यंत प्रभावपूर्ण;  साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 18, 2014 at 12:28am

यथार्थ पर बहुत ही सुंदर रचना. बधाई स्वीकारिये आदरणीय शुशील जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 17, 2014 at 9:25pm

आदरणीय सरना सर बहुत खूब कहा आपने बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये

Comment by Sushil Sarna on July 17, 2014 at 9:19pm

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  जी रचना पर आपकी ऊर्जावान प्रशंसा का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on July 17, 2014 at 9:18pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan  जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार 

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