For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

 

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 34 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

इस आयोजन में प्रयुक्त चित्र श्री कँवल आनन्द के सौजन्य से प्राप्त हुआ है जो जम्मू-कश्मीर में पत्रकार-फोटोग्राफर के रूप में कार्यरत हैं. इस चित्र को परिभाषित करती हुई छंद-रचना प्रस्तत करनी है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ – 

18 जनवरी 2014  दिन शनिवार

से

19 जनवरी 2014 दिन रविवार

 

 

 

छंदोत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें |

 

 

 

 

इस बार से "चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के मूल स्वरूप को स्थायी रखते हुए व्यावहारिक परिवर्तन किया जा रहा है. छंदोत्सव का आयोजन अबसे निर्धारित छंदों पर ही आधारित होगा.

इस बार के आयोजन के लिए दो छंदों का चयन किया गया है, दोहा छंद और रोला छंद.

प्रस्तुतकर्ता एक बार की प्रवष्टि में अधिक-से-अधिक पाँच दोहे या/और दो रोले प्रस्तुत कर सकते हैं.

ऐसा न होने की दशा में आपकी प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी.

 

उन सदस्यों के लिए जो दोहा और रोला छंदों के आधारभूत विधानों से परिचित नहीं हैं, उनके लिये संक्षिप्त विधान प्रस्तुत किये जा रहे हैं.

 

लेकिन उससे पूर्व मात्रिक छंदों में गेयता की सुनिश्चितता हेतु निम्न विन्दुओं को ध्यान से देखें.

शब्दों के उच्चारण और उसकी मात्राओं के समवेत स्वरूप के अनुसार शब्दों के कल  बनते हैं. जैसे, शब्दों के द्विकल, शब्दों के त्रिकल, शब्दों के चौकल, षटकल आदि. इसी के अनुसार पदों का प्रवाह निर्धारित होता है.

द्विकल, चौकल आदि शब्दों को सम मात्रिक शब्द कहते हैं.

जैसे, हम, वह, निज आदि.

जबकि त्रिकल या षटकल आदि शब्दों को विषममात्रिक शब्द कहते हैं.

जैसे, हुआ, बड़ा, कहाँ आदि त्रिकल हैं.

 

यों, कोई शब्द षटकल हो तो वह उच्चारण के लिहाज से सममात्रिक ही हुआ करता है. यानि वह दो विषम शब्दों का पूर्ण स्वरूप होने से सम शब्द ही माना जाता है. 

दीवाना, आवारा, परंपरा आदि षटकल शब्द हैं.

व्यवहार जैसा शब्द द्विकल और त्रिकल के समूह है. व्यव द्विकल तथा हार त्रिकल.

 

इस तथ्य को समझ लेने से चरणों के कुल शब्दों की मात्रा को गिनने के अलावे शब्द-विन्यास को निर्धारित करने में भी सहुलियत हो जाती है. साथ ही साथ, गेयता को सुचारू रूप से निर्धारित करने के लिए मात्रिकता को निभाना भी सहज हो जाता है.

यानि यह अवश्य मान लें कि कोई मात्रिक पद (छंद की एक पंक्ति) मूलतः सम शब्दों का ही समुच्चय बनाता है.

अर्थात कोई विषम शब्द हो तो उसके ठीक बाद विषम शब्द रख कर षटकल बनाने से सम मात्रिकता का निर्वहन हो जाता है. यानि विषम शब्द के बाद विषम शब्द ही आवे और सम के बाद एकदम से विषम शब्द न आवे.  आवे भी तो उस विषम के बाद एक और विषम शब्द रख कर सभी शब्दों के समुच्चय को सम मात्रिक बना लेते हैं.

जैसे, बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर जैसे पद में बड़ा त्रिकल के बाद हुआ भी त्रिकल है. दोनो मिल कर षटकल का निर्माण करते हैं जो कि सम संख्या भी है. इस तरह गेयता या पढ़ने के (वाचन) प्रवाह में कोई दिक्कत नहीं आती.

 

दोहा छंद

दोहा एक ऐसा छंद है जो शब्दों की मात्राओं के अनुसार निर्धारित होता है. इसके दो पद होते हैं तथा प्रत्येक पद में दो चरण होते हैं. पहले चरण को विषम चरण तथा दूसरे चरण को सम चरण कहा जाता है. विषम चरण की कुल मात्रा 13 होती है तथा सम चरण की कुल मात्रा 11 होती है. अर्थात दोहा का एक पद 13-11 की यति पर होता है. यति का अर्थ है विश्राम.

यानि भले पद-वाक्य को न तोड़ा जाय किन्तु पद को पढ़ने में अपने आप एक विराम बन जाता है.

 

दोहा छंद मात्रा के हिसाब से 13-11 की यति पर निर्भर न कर शब्द-संयोजन हेतु विशिष्ट विन्यास पर भी निर्भर करता है. बल्कि दोहा छंद ही क्यों हर मात्रिक छंद के लिए विशेष शाब्दिक विन्यास का प्रावधान होता है.

 

यह अवश्य है कि दोहा का प्रारम्भ यानि कि विषम चरण का प्रारम्भ ऐसे शब्द से नहीं होता जो या तो जगण (लघु गुरु लघु या ।ऽ। या 121) हो या उसका विन्यास जगणात्मक हो

अलबत्ता, देवसूचक संज्ञाएँ जिनका उक्त दोहे के माध्यम में बखान हो, इस नियम से परे हुआ करती हैं. जैसे, गणेश या महेश आदि शब्द.

 

दोहे कई प्रकार के होते हैं. कुल 23 मुख्य दोहों को सूचीबद्ध किया गया है. लेकिन हम उन सभी पर अभी बातें न कर दोहा-छंद की मूल अवधारणा पर ही ध्यान केन्द्रित रखेंगे. इस पर यथोचित अभ्यास हो जाने के बाद ही दोहे के अन्यान्य प्रारूपों पर अभ्यास करना उचित होगा. जोकि, अभ्यासियों के लिये व्यक्तिगत तौर पर हुआ अभ्यास ही होगा. 

 

दोहे के मूलभूत नियमों को सूचीबद्ध किया जा रहा है.

 

1. दोहे का आदि चरण यानि विषम चरण विषम शब्दों से यानि त्रिकल से प्रारम्भ हो तो शब्दों का संयोजन 3, 3, 2, 3, 2 के अनुसार होगा  और चरणांत रगण (ऽ।ऽ) या नगण (।।।) होगा.

 

2. दोहे का आदि चरण यानि विषम चरण सम शब्दों से यानि द्विकल या चौकल से प्रारम्भ हो तो शब्दों का संयोजन 4, 4, 3, 2 के अनुसार होगा और चरणांत पुनः रगण (ऽ।ऽ) या नगण (।।।) ही होगा.

 

देखा जाय तो नियम-1 में पाँच कलों के विन्यास में चौथा कल त्रिकल है. या नियम-2 के चार कलों के विन्यास का तीसरा कल त्रिकल है. उसका रूप अवश्य-अवश्य ऐसा होना चाहिये कि उच्चारण के अनुसार मात्रिकता गुरु लघु या ऽ। या 21 ही बने.

यानि, ध्यातव्य है, कि कमल जैसे शब्द का प्रवाह लघु गुरु या ।ऽ या 1 2 होगा. तो इस त्रिकल के स्थान पर ऐसा कोई शब्द त्याज्य ही होना चाहिये. अन्यथा, चरणांत रगण या नगण होता हुआ भी जैसा कि ऊपर लिखा गया है, उच्चारण के अनुसार गेयता का निर्वहन नहीं कर पायेगा.

 

३. दोहे के सम चरण का संयोजन 4, 4, 3 या 3, 3, 2, 3 के अनुसार होता है. मात्रिक रूप से दोहों के सम चरण का अंत यानि चरणांत गुरु लघु या ऽ। य 21 से अवश्य होता है.

 

कुछ प्रसिद्ध दोहे -

 

कबिरा खड़ा बजार में, लिये लुकाठी हाथ

जो घर जारै आपनो, चलै हमारे साथ

 

बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर

पंछी को छाया नहीं फल लागै अति दूर

 

साईं इतना दीजिये, जामै कुटुम समाय

मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु न भूखा जाय

 

विद्या धन उद्यम बिना कहो जु पावै कौन

बिना डुलाये ना मिले, ज्यों पंखे का पौन

 

रोला छंद

रोला छंद भी मात्रिक छंद ही है. रोला छंद के चार पद होते हैं. अतः आठ चरण होंगे.

लेकिन इसका मात्रिक विधान दोहे के विधान का करीब-करीब विपरीत होता है. यानि मात्राओं के अनुसार चरणों की कुल मात्रा 11-13 की होती है.

यानि, दोहा का सम चरण रोला छंद का विषम चरण बन जाता है और उसके विन्यास और अन्य नियम तदनुरूप ही रहते हैं.

किन्तु, रोला का सम चरण दोहा के विषम चरण की तरह नहीं होता.

 

प्राचीन छंद-विद्वानों के अनुसार रोले के भी कई और प्रारूप हैं तथा तदनुरूप उनके चरणों की मात्रिकता. लेकिन हम यहाँ इस छंद की मूलभूत और सर्वमान्य अवधारणा को ही प्रमुखता से स्वीकार कर अभ्यासकर्म करेंगे.

यहाँ प्रस्तुत उपरोक्त नियमों को फिलहाल रोला के आधारभूत नियमों की तरह लिया जाय.

 

रोला छंद के चरणों के विन्यास के मूलभूत नियम -

 

1. रोला के विषम चरण का संयोजन या विन्यास दोहा के सम चरण की तरह ही होता है,

यानि 4, 4, 3 या 3, 3, 2, 3 तथा चरणांत गुरु लघु या ऽ। या 21

 

2. रोला के सम चरण का संयोजन 3, 2, 4, 4 या 3, 2, 3, 3, 2 होता है. रोला के सम चरण का अंत दो गुरुओं (ऽऽ या 22) से या दो लघुओं और एक गुरु (।।ऽ या 112) से या एक गुरु और दो लघुओं (ऽ।। या 211) से होता है. साथही, यह भी ध्यातव्य है कि रोला का सम चरण ऐसे शब्द या शब्द-समूह से प्रारम्भ हो जो प्रारम्भिक त्रिकल का निर्माण करें.

 

रोला छंद के उदाहरण -

 

नीलाम्बर परिधान, हरित पट पर सुन्दर है.

सूर्य-चन्द्र युग-मुकुट, मेखला रत्नाकर है.

नदियाँ प्रेम-प्रवाह, फूल तारा-मंडल हैं

बंदीजन खगवृन्द, शेष-फन सिंहासन है. .....(मैथिली शरण गुप्त)

 

ये मेरा खरगोश बड़ा ही प्यारा-प्यारा

गुलथुल गोल-मटोल, सभी को लगता न्यारा

खेले मेरे साथ, नित्यदिन छुपम-छुपाई

चोर-सिपाही दौड़, और पकड़म-पकड़ाई...  .....(कुमार गौरव अजीतेन्दु)

 

 

आयोजन सम्बन्धी नोट :

(1) 17 जनवरी 2013 तक Reply Box बंद रहेगा, 18 जनवरी दिन शनिवार से 19 जनवरी दिन रविवार  यानि दो दिनों के लिए Reply Box रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

विशेष :

यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

अति आवश्यक सूचना :

आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक रचना,   कि एक ही दिन में दो रचनाएँ.

 

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.

नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.

 

सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

 

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.

 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहा...

 

मंच संचालक

सौरभ पाण्डेय

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 13916

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

प्रिय अरुन शर्मा दोहे  चित्र के अनुरूप लगे आपको पसंद आये मेरा लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार आपका 

सुंदर दोहवाली के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया राजेश कुमारी जी

आ.कल्पना जी दोहावली पर आपकी प्रतिक्रिया ने आश्वस्त किया दिल से आभार आपका 

बहुत खूब राजेश कुमारी जी, बधाई स्वीकारें

आ.धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक आभार आपका 

आदरणीया राजेश कुमारी जी,

खूबसूरत अंतिम दोहे के साथ पूरी रचना पर हार्दिक   बधाई स्वीकार करें ॥

कुछ एक दोहे में जो कमी है उसे गुणीजन ही बता पायेंगे ॥....  सादर 

आ.अखिलेश जी आपको दोहे पसंद आये हृदय से आभार ---कुछ एक दोहे में जो कमी है उसे गुणीजन ही बता पायेंगे ---आप भी स्पष्ट कर देते तो अच्छा होता ...

आदरणीया राजेश दी बहुत ही सुंदर दोहावली ..हार्दिक बधाई प्रेषित है सादर

प्रिय महिमा श्री जी ह्रदय तल से आभार आपका 

व्यस्तता में भी सुन्दर और सार्थक दोहे रचे है आदरणीया राजेश कुमारी जी | हार्दिक बधाई 

दोहे पसंद आये आ.लक्ष्मण जी बहुत- बहुत शुक्रिया 

उतर चित्र की रूह में, छंद रचें राजेश
तब ही तो इस बार भी, रचना हुई विशेष

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
17 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
54 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब …"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service