For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी मां ने मुझे रोते हुए हंसना सिखाया है

मेरी दादी बताती थी कि ये सब मोह माया है,
कोई परियों की रानी है ये नानी ने बताया है।।

शिवपुरीवासियों दुगनी मोहब्बत से सुनो मुझको,
कटे हैं पंख पंछी के ये अब तक उड न पाया है।।

नहीं जब मानता था बात थप्पड मार देती थी,
मेरी मां ने मुझे रोते हुए हंसना सिखाया है।।

घमंडी मत बनो दौलत का पीछा मत करो इतना
जो अपने पास होता है वो भी सब कुछ पराया है।।

नोट—यह रचना मौलिक व अप्रकाशित है।

Views: 531

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2013 at 12:18am

एक और शेर का होना बनता था. एक मान्य ग़ज़ल हो जाती.

वैसे शिवपुरी वासियो वाला मिसरा न समझ में आया न वो बह्र में है.. .

Comment by वीनस केसरी on December 17, 2013 at 3:20am

सुन्दर प्रयास है
ढेरो शुभकामना


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 15, 2013 at 9:45pm

आदरणीय,  बहुत सुन्दर बातें कही है रचना के माध्यम से , आपको बधाई ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 15, 2013 at 7:31pm

अच्छी रचना है अतुल जी

Comment by coontee mukerji on December 15, 2013 at 6:46pm

बहुत सुंदर रचना.अब तो दादी-नानी की कहानी भी में रह गयी है.सादर

Comment by atul kushwah on December 15, 2013 at 5:33pm

आदरणीय सविता जी, गोपाल नारायण जी और अजय जी...काव्य लेखन के इस तोतले प्रयास को आशीष देने के लिए शुक्रिया। सादर— अतुल

Comment by savitamishra on December 15, 2013 at 3:50pm

sundar

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 15, 2013 at 2:42pm

atul kushwah jee

जो अपने पास होता है  वो भी सब कुछ पराया है i

अति  सुन्दर i

Comment by ajay sharma on December 15, 2013 at 1:14pm

bahut khoob 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Jun 7

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service