For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रात को चाँद फिर आयेगा देखिये.

२१२  २१२   २१२     २१२

रात को चाँद फिर आयेगा देखिये

आके दिल फिर जला जायेगा देखिये

 

हम रहेंगे खड़े रात भर छत पे ही 

बादलों में वो छुप जायेगा देखिये

 

अपने दीवानों पे रोज ही इस तरह

चांद क्या क्या सितम ढायेगा देखिये

 

हम जिसे भूल पाए कभी हैं  नहीं

किस तरह वो भुला पायेगा देखिये

 

रंग गिरगिट के जैसे बदलता है जो 

कैसे वादे निभा पायेगा देखिये

 

चांदनी बन जमी पर उतरता रहा

खुद जमी पर वो कब आयेगा देखिये

 

फिर सितारों की बारात वो लायेगा

जलवे यूं रोज दिखलायेगा देखिये 

 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 609

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 19, 2013 at 10:50pm

अंदाज़ में कही हुई मुसलसल ग़ज़ल है.

बधाई आदरणीय ..

Comment by vijay nikore on December 14, 2013 at 12:06am

इस सुन्दर गज़ल के लिए बधाई।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 13, 2013 at 1:38pm

आदरणीया प्राची जी ..मेरी ग़ज़ल आपको पसंद आयी ..मैं शुक्रगुजार हूँ ...आपकी उत्साहवर्धक टिप्पड़ी के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 13, 2013 at 1:35pm

आदरणीय शिज्जू जी .. आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद ..बस आप सब का सहयोग यूं ही मिलता रहे ...सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 13, 2013 at 1:33pm

आदरणीय वैद्यनाथ .जी उत्साहवर्धन के लिए तहे दिल शुक्रिया ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 13, 2013 at 1:33pm

आदरणीया कुंती जी ...मेरी ग़ज़ल आपको पसंद आयी  ..इससे निश्चित रूप से मेरा हौसला बढ़ा है ..आपका तहे दिल शुक्रिया ..सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 13, 2013 at 1:07pm

आदरणीय निलेश जी ..आपके मशविरे के लिए तहे दिल धन्यवाद ..रंग ही उपयुक्त होगा .. मैं इसमें परिवर्तन कर लूँगा ..बस यूं ही आप सभी का स्नेह सतत मिलता रहे इसी अभिलाषा के साथ ..सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 13, 2013 at 10:09am

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी 

सभी अशआर बहुत पसंद आये 

हार्दिक बधाई स्वीकार करें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2013 at 10:15pm

///फिर सितारों की बारात वो लायेगा

जलवे यूं रोज दिखलायेगा देखिये /// बहुत बढ़िया आदरणीय डॉ आशुतोष सर ये शे'र बहुत अच्छा लगा

Comment by Saarthi Baidyanath on December 12, 2013 at 8:07pm

एक अच्छी  ग़ज़ल हुई है ..मुबारक डॉक्टर साहेब 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service