For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 34(Closed with 1256 Replies)

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।


 इस बार से महा-उत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें |

पिछले 33 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 34 

विषय - "सावन"
आयोजन की अवधि-  शुक्रवार 09 अगस्त 2013 से शनिवार 10 अगस्त 2013 तक 

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
 
तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दिए हुए विषय को दे डालें एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति. बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य-समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित पद्य-रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :-

ओबीओ लाईव महा-उत्सव के 34 में सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.

सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 09 अगस्त दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 20696

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय के पी सत्यम जी, बहुत सुंदर छंद रचना पर, हार्दिक बधाई स्वीकारें

आ0 जितेन्द्र भाई जी,   आपके स्नेह और छंद सराहना के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार। सादर,

वाह वाह वाह

_______बहुत बहुत अभिनन्दन और बधाई

आ0 अलबेला सर जी,   सादर प्रणाम!  सरजी,  आपके स्नेह और छंद सराहना के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार। सादर,

:-)

भाई केवल प्रसाद जी, आपके आल्हा छंद ने अपने कथ्य से मन को झूमने पर विवश कर दिया. आपकी इस छंद रचना में अतिशयोक्ति के आवश्यक विन्दु विद्यमान हैं. यह संतोष की बात है. सावन के महीने को और इसकी ऋतु को आपने बढिया ढंग से प्रस्तुत किया है.

किन्तु, शिल्प के तौर पर इस रचना के पदों की मात्रिकता मात्र नहीं होती बल्कि द्विपदी की तरह रचनाकर्म भी होता है.
शुभेच्छाएँ

आ0 सौरभ सर जी,     सादर प्रणाम!  सर जी, यहां कुछ कट-पेस्ट और तत्काल पंक्तियां जोड़ने से भी कुछ गतिरोध अवश्य हुआ है। जैसा कि आ0 सीमा मैमजी ने भी इंगित किया है। आपके अनुकरणीय सुझाव और आशीष के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार। सादर,

आदरणीय केवल प्रसाद जी।

 

//झमझम-झमझम बरखा बरसे, उपवन झूम-झूम लहराय।
बालक घर-आंगन में नाचें, वन में मोर पंख फैलाय।।
रिमझिम-रिमझिम सावन बरसे, अखियां बरस-बरस रह जाय।
यादें मां-बाबुल की आती, निमकौड़ी संग बहुत सताय।।//

 

वीर छंद में आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी।

आपको हार्दिक बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

 

 

 

आ0 निकोर  सर जी,     सादर प्रणाम!   आपके स्नेह और आशीष के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार। सादर,

तपता जेठ चले लू अंधड़, सूरज आग उगलता जाय।...बढ़िया 
पेड़ झुलस कर दिखते नंगे, पत्ते झाड़ी में छिप जाय।।
हर हर हर हर चले हवा ज्यों, हाहाहूत बवन्डर छाय।...वाह शब्दों का बहुत खूब प्रयोग 
नील गगन में धूल समाया, क्षितिज लाल आंखें दिखलाय।।.......समाई 

डरे-डरे हैं जन मन खग-पशु, नदिया-ताल सूख उड़ जाय।
पवन पहन कर सागर माला, झट से अम्बर पर चढ़ जाय।।


मेघ चढ़ा है ऐरावत पर, गरज-गरज कर हिय धड़काय।
बिजली चमक रही है नभ में, जैसे आल्हा की तलवार।।....इस पंक्ति में क्या हो गया केवल जी 

पूजा शिव भोले की करती, मेंहदी-श्रृंगार सजाय।
चौपालों में विरहा-आल्हां, गाते तान खींच तलवार।।...यहाँ भी 

चातक-पपिहा टुक-टुक देंखें, दादुर टर्र-टर्र टर्राय।
तड़ तड़ तड़ तड़ ओले जैसे, बूंदें गिरे, धरा घबराय।।
झमझम-झमझम बरखा बरसे, उपवन झूम-झूम लहराय।...वाह मन मोहक पंक्तियाँ 

छंद को चार चार पंक्तियों में बाँट कर प्रस्तुत करते तो उचित रहता ........कुल 29 पंक्तियाँ है और एक वीर छंद में चार पंक्तियाँ होनी चाहिए l

 पंक्तियों को व्यवस्थित कर देंगे तो बहुत ज़बरदस्त रचा गया छंद होगा यह ........

आ0 सीमा मैम जी,     सादर प्रणाम!   आपके स्नेह, विशद सुझाव और आशीष वचन के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार। सादर,

         निमकौड़ी की गंध सुहाती, सावन झूम-झूम महकाय।।
निमकौड़ी के खेल निराले, खाट, आम, छप्पर-घर भाय।
निबिया की डाली पर झूला, झूलें संग ले सखि लिवाय।।
पेंग बढ़ावै नभ तक जावैं, नीचे आय जिया धड़काय।
नारी मन जब कजरी गातीं, हरी चूडि़यां मन को भाय।।

            आदरणीय केवल प्रसाद जी क्या जबर्दस्त चित्रण किया है . ! मै बधाई दूं तो छोटी लगेगी . पर सादुवाद मन को अछ्छी लगी ईसलिये !

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Sep 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service