For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो नन्ही नन्ही सी गोल मटोल,

आंखे इधर उधर निहारती ,

कुछ तलाशती सी लगती ,

न पा सकने की स्थिति,

समझ न पाती .............

 

कुछ कुछ कहना चाहती ,

पर कह न पाती,

शून्य मे निहारती सी लगती,

न कह पा सकने की स्थिति,

समझ न पाती............

 

खुशी से टिमटिमाती,

दुःख से टपकती,

डर से सहमती वो,

भाषा को पढ़ पाने की स्थिति,

समझ न पाती ................   

 

प्यार दुलार अच्छे से,

पढ़ जाती और ,

सब कुछ वह मौन आँखों से ,

कह लेने की स्थिति ,

समझ न पाती...............

 

वो दादी की गाय की,

छोटी सी बछिया .....................

Views: 417

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on May 20, 2013 at 8:08pm

सभी सुधी जनो को मेरा हार्दिक धन्यवाद ।  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 18, 2013 at 9:23pm

इस सुन्दर रचना पर बधाई स्वीकारें .. आदरणीया

Comment by Yogi Saraswat on April 13, 2013 at 10:45am
सुन्दर और सरल शब्दों में आपने गहरे भाव लिखे हैं आदरणीया अन्नपूर्ण जी
कुछ कुछ कहना चाहती ,

पर कह न पाती,

शून्य मे निहारती सी लगती,

न कह पा सकने की स्थिति,

समझ न पाती............



खुशी से टिमटिमाती,

दुःख से टपकती,

डर से सहमती वो,

भाषा को पढ़ पाने की स्थिति,

समझ न पाती ................
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 12, 2013 at 6:38pm

सुन्दर कविता हेतु बधाई स्वीकारें 

आदरणीया अन्नपूर्ण जी 

सादर 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 11, 2013 at 7:09pm
बहुत ही सुन्दर कविता है अन्नपूर्णा जी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 11, 2013 at 6:04pm

गाय की बछिया के लिए समर्पित इस संवेदनात्मक दृष्टी और उसकी अभिव्यक्ति के लिए हृदय से बधाई आ० अन्नपूर्णा जी 

Comment by annapurna bajpai on April 11, 2013 at 4:36pm

आप सबको हार्दिक धन्यवाद, एवं नवरात्रि की बधाई ।

Comment by ram shiromani pathak on April 11, 2013 at 3:43pm

प्यार दुलार अच्छे से,

पढ़ जाती और ,

सब कुछ वह मौन आँखों से ,

कह लेने की स्थिति ,

समझ न पाती...............

 

वो दादी की गाय की,

छोटी सी बछिया .................बड़ी प्यारी रचना आदरणीया   !हार्दिक बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on April 11, 2013 at 3:43pm

प्यार दुलार अच्छे से,

पढ़ जाती और ,

सब कुछ वह मौन आँखों से ,

कह लेने की स्थिति ,

समझ न पाती...............

 

वो दादी की गाय की,

छोटी सी बछिया .................बड़ी प्यारी रचना आदरणीया   !हार्दिक बधाई 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 11, 2013 at 1:04pm

बहुत ही सुंदर रचना आदरनेया
दादी की गाय की बछिया
बछिया तो चंचल हिरण सी होती है उस अवस्था मे
सुकुमारी से
गाँव की बरबस याद आ गयी
आजकल की पीढ़ी को बछिया देर मे समझ आएगा
बहुत बहुत बधाई हो आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
52 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
56 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service