For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जहाँ गंगा जैसी सरिता है

 असंख्य घड़े को जल देकर भी, तेरा कोष न रीता  है.
धन्य - धन्य वह भारत है , जहाँ गंगा जैसी सरिता है.
तू सदैव निःस्वार्थ भाव से, हिंद - भूमि को सींचा है.
श्यामा के अभिराम वक्ष पर, लक्ष्मण - रेखा खींचा है.
भारत की मर्यादा की, यह रेखा एक निशानी है.
शहीदों की कुर्बानी की, यह रेखा एक कहानी है.
तेरी लहरों में विद्यापति, नानक - कबीर की कविता है.
धन्य - धन्य वह भारत है , जहाँ गंगा जैसी सरिता है.
हिमगिरि है तेरा ललाट, और केश सुन्दरवन है.
श्री - कृष्णा हैं ललित पाँव,और कटि तेरा संगम है.
राजीव लोचन - मुकुट गगन , बसन तेरा निर्मल जल है.
ओक अब्धि - प्रहरी रवि और शशि, ध्रुवतारा कर्ण कुण्डल है.
तेरी लहरों का कलकल, गुरुग्रंथ -कुरान और गीता है.
धन्य - धन्य वह भारत है , जहाँ गंगा जैसी सरिता है.
तेरे सम्मुख भेद नहीं है, राजा और भिखारी की.
तेरे दर पर द्वेष नहीं है, मुल्ला  और पुजारी की .
सवर्ण और अंत्यज दोनों को , निज उर में स्थान दिया.
मानव सभी बराबर हैं,  यह  अखिल विश्व को ज्ञान दिया.
तेरे तट पर भव्य भवन, तेरे तट पर ही चिता है .
धन्य - धन्य वह भारत है , जहाँ गंगा जैसी सरिता है.
नि: संतानों को सुत दी, और निर्धन की भर दी झोली.
पावन पवन दिया जग को, हे धुर्वनंदा ! तू है भोली.
कोढ़ी पाए कंचन काया , याचक की हुई ईच्छा पूरी.
हे विष्णुपदी ! तू है अनुपम , करते प्रणाम मापतपुरी .
तेरा नीर नहीं कोरा जल , अमृतरूपी  सिता है .
धन्य - धन्य वह भारत है , जहाँ गंगा जैसी सरिता है.
               ------ सतीश मापतपुरी
सुलभ संकेतार्थ -- श्री - कृष्णा ( सरस्वती - यमुना ), ओक ( आवास ), अब्धि ( समुद्र ) , सिता ( चीनी )

Views: 708

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 18, 2012 at 10:56pm

धन्य - धन्य वह भारत है , जहाँ गंगा जैसी सरिता है.

jai ganga maiya ki. badhai sir ji saadar abhivadan ke saath.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 17, 2012 at 9:51pm

भाई सतीशजी, आपकी रचना स्वर्गसलिला के श्रीचरणों में शब्दांजलि है. आगे कुछ भी कहना अनुशासनहीनता ही होगा.

सादर

Comment by satish mapatpuri on April 17, 2012 at 8:51pm

संदीप जी और भ्रमर जी ......... आपको मेरी यह रचना अच्छी लगी .... इसके लिए आभार

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 17, 2012 at 7:12pm
आदरणीय सतीश जी,
माता गंगा को समर्पित कुछ भी हो वो मुझे सदैव से ही प्रिय रहा है| और यह तो आपकी कविता है जिसकी प्रशंसा करना सूर्य को दीपक दिखाने के समान होगा| सुन्दर अलंकरणों से सुसज्जित आपकी यह रचना पूरी तरह से मुग्ध कर गई| साभार,
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 15, 2012 at 11:09pm

हिमगिरि है तेरा ललाट, और केश सुन्दरवन है.

श्री - कृष्णा हैं ललित पाँव,और कटि तेरा संगम है.
राजीव लोचन - मुकुट गगन , बसन तेरा निर्मल जल है.
ओक अब्धि - प्रहरी रवि और शशि, ध्रुवतारा कर्ण कुण्डल है.
तेरी लहरों का कलकल, गुरुग्रंथ -कुरान और गीता है.
धन्य - धन्य वह भारत है , जहाँ गंगा जैसी सरिता है.
 आदरणीय सतीश जी .माँ गंगे का अद्भुत श्रृंगार और उनकी महिमा गाई आपने ....निर्मल पावन ओजमयी माँ को भ्रमर का भी नमन -
बहुत सुन्दर शब्द बांध और भाव मई प्रवाह ...जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 15, 2012 at 1:18am

आदरणीय सतीश सर , सादर अभिवादन!   माँ गंगा को नमन स्वरुप कृति पर विशेष बधाई स्वीकार करें

Comment by satish mapatpuri on April 14, 2012 at 11:50pm

गणेश जी तथा जवाहर जी सराहना के लिए आभार

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 14, 2012 at 9:04pm
आदरणीय सतीश जी, सादर अभिवादन!
आपने तो गंगा नदी के साथ साथ भारत के भी गुण गए हैं! काश गंगा वही सुरसरिता रहती! हमारे कुकर्मों का पाप धोते धोते आज हमारी देवनदी  मैली हो गयी है पर इसकी पवित्रता ज्यों की त्यों बरकरार है. 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2012 at 8:06pm

माँ गंगा को नमन करती हुई यह कविता बहुत ही प्यारी बन पड़ी है, हम नमन करते है भारत भूमि को और माँ गंगा को , आभार आदरणीय सतीश मापतपुरी जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
17 hours ago
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service