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आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-101 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। 
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-101
विषय : जिद्द
अवधि : 30-08-2023 से 31-08-2023 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाए इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है। देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सकें है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)

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Replies to This Discussion

रचना पटल आपकी उपस्थिति और यूँ हौसला अफ़जाई हमें निरंतर विधागत लिखने की प्रेरणा देता है।

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद जी।बहुत सुन्दर लघुकथा।

बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय तेज़वीर सिंह जी।

वर्तमान परिदृश्य में ऐसी घटनाओं को आधार बना कर उत्तम सृजन किया आदरणीय भाईसाब उस्मानी जी। रचना बहुत कसी हुई और रोचक बनी है। संदेश भी अच्छा निहित है।

रचना पटल पर समय देकर अपनी राय से अवगत कराने और हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहेदिल से शुक्रिया जनाब अजय गुप्ता 'अजेय' साहिब।

दूसरा अंक -पत्र
'..... तो  बी. ए. की परीक्षा आपने दोबारा क्यों पास की? ' इंटरव्यू बोर्ड के अध्यक्ष ने अंतिम सवाल किया।
'क्योंकि पहली बार मैं ग्रेस से पास हुआ था। ' चंदू ने जवाब दिया।
'मिस्टर चंदन, उसके पहले भी तो रियायत (ग्रेस) से आपने परीक्षाएँ पास की होंगी। आपलोगों का कट ऑफ तो हमेशा ही नीचे रखा जाता है। ' अध्यक्ष ने फिर सवाल कर दिया।
' जी। पर मैं हमेशा सामान्य कट ऑफ से ऊपर रहा हूँ। रिकॉर्ड आपके पास है ।'चंदन दास छूटते ही बोला।
'अच्छा! ' बोर्ड -सदस्य एक साथ बोल पड़े।
'जी। रियायत पीढ़ियों से चली आ रही थी। मैंने  ठुकरा दी। ' चंदन जोश में बोला।
"मौलिक एवं अप्रकाशित"

सादर नमस्कार। पीढ़ियों से चली आ रही रिवायत/परम्परा (ज़िद/माँग/भावात्मक शोषण/प्रलोभन/मानसिकता) को तोड़ने की बात उभारती सकारात्मक संदेशवाहक लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।  रियायत, रिवायत की रियासत से परे। 

आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी। जी, ताकि रियायत रिवायत न बन जाये। 

आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर -सकारात्मक संदेश देती कथा हुई है। हार्दिक बधाई।

आपका हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण जी। 

हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बेहतरीन लघुकथा।

आपका आभार आदरणीय तेजवीर जी। 

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