For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे वसंत के - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जिस वसंत की खोज में, बीते अनगिन साल
आज स्वयं ही  आ  मिला, आँगन में वाचाल।१।
*
दुश्मन तजकर दुश्मनी, जब बन जाये मीत
लगते चहुँ दिश  गूँजने, तब  बसन्त के गीत।२।
*
आँगन में जिस के बसा, बालक रूप वसन्त
जीवन से उसके हुआ, हर पतझड़ का अन्त।३।
*
कहने को आतुर हुए, मौसम अपना हाल
वासन्ती  संगत  मिली, हुए  मूक  वाचाल।४।
*
करने कलियों को सुमन, आता है मधुमास
जिसके दम पर ही मिटे, हर भौंरे की प्यास।५।
*
आस बँधा कर पेड़ को, हवा रही झकझोर
आयेगी यूँ दुख न  कर, फिर  वासन्ती भोर।६।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 207

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on February 10, 2023 at 11:02am

प्रिय धामीजी जी,

सादर वन्दे, सुन्दर रचना, वसंत को "वाचाल" अनूठी उपमा दी है, अभी पूरा आनन्द ले नहीं पाया हूँ पर छंद ४ पर मुहर लगा कर अच्छा किया. लगता है रचना अभी शेष है.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 9, 2023 at 7:45pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं त्रुतटियों की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार। 

Comment by Samar kabeer on February 9, 2023 at 5:56pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, अच्छे दोहे रचे आपने, बधाई स्वीकार करें ।

'आगन में जिस के बसा, बालक रूप वसन्त''

आगन--"आँगन"

'आस बधा कर पेड़ को, हवा रही झकझोर'

बधा--'बँधा'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
11 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
19 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service